- एडीआर की पहल पर ही शुरू हुआ था कैंडिडेट्स से एफिडेविट लेने की प्रॉसेस

- अब भी नहीं होती है एफिडेविट की मॉनीटरिंग, प्रॉसेस में और सुधार की जरूरत

- यूपी के 30 जिलों में एक्टिव है डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन वॉच

GORAKHPUR: इलेक्शन के दौरान धनबल और बाहुबल का बेधड़क इस्तेमाल होता है। कैंडिडेट्स किस कैटेगरी में आता है, पहले यह जान पाना काफी मुश्किल होता था। मगर अपने कैंडिडेट्स के बारे में सभी जान सकें, इसके लिए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिव रिफॉ‌र्म्स (एडीआर) ने पॉलिटिकल कैंडिडेट्स के एसेट्स और क्रिमिनल केसेज को लेकर एक पीआईएल फाइल किया। जिसमें कैंडिडेट्स से इन दोनों चीजों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया। लंबी लड़ाई के बाद अब कैंडिडेट्स को इन दोनों चीजों का एफिडेविट देना पड़ता है। यह जानकारी एडीआर के फाउंडर मेजर जनरल अनिल वर्मा प्रेस से रूबरू होते हुए दी। उन्होंने बताया कि एडीआर का प्रयास लगातार जारी है और अब पॉलिटिकल पार्टीज के एक्सपेंडीचर की सीलिंग और डीक्रिमिनलाइजेशन ऑफ पॉलिटिक्स को लेकर भी एक पीआईएल दाखिल की गई है।

नहीं होती है मॉनीटरिंग

मेजर ने बताया कि इलेक्शन के दौरान कैंडिडेट्स एफिडेविट तो भरते हैं, लेकिन इलेक्शन कमिशन और अधिकारी अब तक इसकी मॉनीटरिंग ही नहीं करते हैं। कैंडिडेट्स एफिडेविट में जो डीटेल दाखिल करता है, पांच साल बाद जब इलेक्शन आता है, तो एज, एसेट जैसी कई चीजें चेंज हो जाती हैं। एसेट में तो वह कभी सही सूचना नहीं देते हैं। एडीआर इन्हीं सब चीजों को फोकस रखकर रेग्युलर एनालिसिस करती है, जिससे कि वोटर्स को अपने होने वाले लीडर्स के बारे में सही जानकारी मिल सके। हम यह बताते हैं कि वह जो जानकारी दे रहे हैं, वह किस हद तक सही है।

गैर राजनीतिक मेंबर्स है एक्टिव

यूपी के मुख्य समन्वयक संजय सिंह ने बताया कि यूपी के 30 जिलों में डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन वॉच टीम एक्टिव हो चुकी है। यह सभी गैर राजनीतिक मेंबर्स हैं, जो विधानसभा में लड़ने वाले सभी कैंडिडेट्स की डीटेल्स कलेक्ट करने में लगे हुए हैं। प्रदेश में अब तक एक लाख से ज्यादा वालंटियर्स अपनी सेवा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि एडीआर कैंडिडेट्स के दाखिल शपथपत्रों एनालिसिस करने के बाद इसकी फाइंडिग्स के थ्रू वोटर्स को अवेयर करने की प्लानिंग कर चुकी है। उन्होंने बताया कि उनकी मंशा है कि चुनाव में अपराधियों, बाहुबलियों, धन्नासेठों के बढ़ते प्रभाव को कम करना है।