नई दिल्ली (पीटीआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए 25 मार्च को नेशनल लाॅकडाउन के बाद भारत को मंदी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। लॉकडाउन जो जून तक विभिन्न चरणों में सख्ती से जारी रहा लेकिन अब कई प्रतिबंधों के साथ इसमें ढील दी गई है। लॉकडाउन की स्थिति सुगम होने से कारोबारी गतिविधियां सामान्य स्तर पर लौट रही हैं। कमर्शियल कोल माइनिंग के शुभारंभ पर बोलते हुए उन्होंने कहा खपत और मांग तेजी से पहले की तरह अपने लेवल पर पहुंच रही है।

हमें इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए

प्रधानमंत्री के मुताबिक भारत इंक और कॉर्पोरेट जगत के पास भारत के इतिहास और भाग्य को बदलने का मौका है। हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। हमें एक आत्मनिर्भर भारत बनाना है। हमें इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए। आइए, भारत को आगे ले जाएं, भारत को आत्मनिर्भर बनाएं। आत्मनिर्भर भारत का मतलब आयात पर कम निर्भरता है। आयात पर खर्च होने वाले हजारों करोड़ रुपये की बचत और उनका उपयोग गरीबों के कल्याण के लिए करना है।

डिजिटल लेनदेन में भी वृद्धि देखी गई

पीएम मोदी ने बिजली उत्पादन और खपत के साथ-साथ मई के अंतिम सप्ताह और जून के पहले सप्ताह में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग का हवाला दिया। अप्रैल की तुलना में ई-वे बिल में करीब 200 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, जून में सड़क और राजमार्ग टोल कलेक्शन फरवरी की तरह 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जबकि मई में रेलवे भाड़ा टैरिफ में अप्रैल के मुकाबले 26 प्रतिशत का सुधार हुआ है। डिजिटल लेनदेन में भी वृद्धि देखी गई है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी रफ्तार पकड़ रही

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ये संकेतक भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से बाउंस बैक की तैयारी की ओर इशारा करते हैं। भारत अतीत में बड़े संकटों से बाहर आया है और यह वर्तमान में भी बाहर आएगा। अब तक सरकार और आरबीआई ने 2020-21 के लिए राजकोषीय वृद्धि का अनुमान नहीं लगाया है। पीएम ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी रफ्तार पकड़ रही है। खरीफ फसल की बुवाई का क्षेत्रफल पिछले वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है।

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