रांची : सऊदी अरब में चार माह से बंधक बने मो। मुफीज सफदर अली मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रयास से सोमवार को रांची लौट आए। एयर एशिया के विमान से सकुशल रांची पहुंचे मुफीज का बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर उनके फ्रेंड्स व परिजनों ने स्वागत किया और गले मिलकर उन्हें बकरीद की बधाई भी दी। मो। मुफीज ने भावुक होते हुए कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास व सीएम के आप्त सचिव केपी बालियान के सहयोग से वतन लौट पाया हूं। मुझे तो वतन वापसी की उम्मीद ही नहीं थी। बकरीद के त्योहार पर राज्य सरकार ने मुझे ईदी दी है। गौरतलब हो कि मामला संज्ञान में आने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तत्काल अधिकारियों से बात की थी। सीएम के आप्त सचिव रियाद स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में थे।

क्या है मामला

मुफीज ने बताया कि सऊदी अरब में रेसीडेंट आइडी बनता है। दो माह बाद कार्ड की समयावधि खत्म होने वाली थी। शेख से कार्ड रिन्यूवल कराने की बात की तो उसने रेसीडेंट आइडी भी जब्त कर लिया। बताया कि सऊदी अरब में हाल ही में एक नया कानून बना है। इस कानून के तहत जिन लोगों को तीन माह से सैलरी नहीं दी जाती है, वे ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराकर अपने पैसे वापस ले सकते हैं। इसी कानून के तहत अपने बकाया पैसे को लेने के लिए वे 12 अप्रैल को रियाद गए थे, जबकि 13 अप्रैल को शेख अलकशी मुनैजर ने उनपर भगौड़ा होने व घर से 20 हजार रियाल के सोना चोरी मामले में झूठा केस दर्ज करा दिया। रियाद से वापसी के बाद शेख ने पुलिस को 4200 रुपये देने की बात कह बकाया पैसे में से यह रकम भी काट ली। इससे पहले उसने सऊदी अरब में बीते एक-एक पल को याद करते हुए कहा कि मुझ पर झूठा केस किया गया था। 15 दिनों तक काफी परेशान रहा। ऐसा लग रहा था जैसे जहन्नुम में सजा काट रहा हूं। मुफीज ने बताया कि रियाद की पुलिस मारपीट नहीं करती, लेकिन मानसिक रूप से प्रताडि़त करती है। वहां की पुलिस ने चोरी मामले में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया और जेल भेज दिया। फिर 24 घंटे बाद रिहा कर दिया गया।

दोस्त ने जॉब दिलाने के नाम पर दिया धोखा

मो। मुफीज ने बताया कि रांची के ¨हदपीढ़ी ग्वाला टोली निवासी मौजा मल्लिक ने उन्हें पैसे कमाने के लिए सऊदी अरब जाने का सपना दिखाया और पासपोर्ट बनवा दिया। मुंबई स्थित सऊदी अरब के दूतावास से वीजा बनवाया गया। फिर 11 मार्च 2017 को वह मुंबई से सऊदी अरब के लिए रवाना हुआ। जब सऊदी अरब पहुंचा तो पता चला कि वीजा व पासपोर्ट फर्जी है। दोस्त ने कहा था कि कंपनी में प्रति माह 2600 रियाल मिलेंगे, जबकि कहां फुटपाथ के टू व्हीलर दुकान पर मैकेनिक का काम मिला। आठ घंटे की जगह 18-20 घंटे काम कराए गए। प्रतिमाह सैलरी के नाम पर मात्र एक हजार रियाल मिलते थे। फुटपाथ दुकान का मालिक शेख अलकशी मुनैजर था।

आजमगढ़ के दो लोग अब भी बंधक

मुफीज ने बताया कि पिछले चार महीने से वे एक चोर की तरह छिपकर रहे। फिर ¨हदपीढ़ी स्थित अपने घर फोन किया और पूरे मामले की जानकारी परिजनों को दी। मीडिया से बातचीत के क्रम में कहा कि अब वे पैसे कमाने के लिए सऊदी अरब कभी नहीं जाएंगे। साथ ही सऊदी अरब जाने वालों से अपील करते हुए कहा कि कंपनी के बारे में पूरी तरह छानबीन करने के बाद ही वहां जाएं। इस मामले में किसी के बहकावे में नहीं आएं। उन्होंने बताया कि हाल ही में सऊदी अरब में बंधक बना फिलिपींस का एक व्यक्ति भी कई वर्षो के बाद अपने वतन वापस लौटा, जबकि उत्तर प्रदेश स्थित आजमगढ़ के दो लोग अभी भी वहां बंधक हैं।