RANCHI : आयुष्मान भारत योजना के तहत राजधानी रांची समेत पूरे झारखंड में अबतक 18,53,309 लोगों को गोल्डन कार्ड मिल चुका है। लाभुकों के रजिस्ट्रेशन का सिलसिला लगातार जारी है। इस वजह से हर दिन गोल्डेन कार्डधारियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इस योजना के तहत लाखों लोगों का इलाज भी हो रहा है। लेकिन, गोल्डेन कार्डधारियों की संख्या जिस तादाद में बढ़ रही है, उस लिहाज से अस्पतालों की क्षमता कम पड़ रही है। इतना ही नहीं, प्राइवेट हॉस्पिटल भी गोल्डेन कार्ड वालों का इलाज करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कम अस्पताल निबंधित होने के कारण गोल्डन कार्ड वाले मरीजों की इलाज में दिक्कतें आनी शुरू हो गई है। कई जगहों पर अस्पतालों ने इस योजना से जुड़ने के लिए आवेदन तो दिया है लेकिन रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पा रहा है।

शर्तो के कारण अस्पताल किनारे

आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत झारखंड से ही की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे देश में 23 सितंबर 2018 को इस योजना की शुरुआत रांची से की गई थी। इसलिए झारखंड सरकार इस योजना को अधिक से अधिक लोगों को लाभ दिलाने के लिए काम कर रही है। लेकिन सबसे बड़ी परेशानी आ रही अस्पतालों के निबंधन की, अस्पतालों के लिए इतना अधिक नियम कानून तय कर दिया गया है कि अस्पताल इंपैनल नहीं हो पा रहे हैं। इस कारण एक ही अस्पताल में बहुत अधिक गोल्डन कार्ड वाले मरीज पहुंच रहे हैं।

रांची में 4.64 लाख परिवार

राजधानी रांची में 4 लाख 64 हजार परिवारों को गोल्डन कार्ड मिलना है। इसके तहत रांची जिले में 19 लाख 80 हजार लोगों को आयुष्मान भारत योजना से लाभ मिलेगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रांची जिले में ढाई लाख से अधिक लोगों को गोल्डन कार्ड मिल चुका है और अभी जो बाकी हैं उनको गोल्डन कार्ड देने का प्रॉसेस चल रहा है। बहुत जल्द टारगेट पूरा कर लिया जाएगा।

रांची में 98 अस्पताल इंपैनल्ड

रांची में हजारों की संख्या में अस्पताल और नर्सिंग होम हैं, लेकिन मात्र 98 अस्पतालों को ही आयुष्मान भारत योजना के तहत इंपैनल्ड किया गया है। गोल्डन कार्ड वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है और अस्पतालों की संख्या कम है। इस कारण इन अस्पतालों में काफ भीड़ रहती है। आयुष्मान योजना के तहत इंपैनल्ड कराने के लिए अस्पतालों ने आवेदन दिया है लेकिन सरकार की जो क्राइटेरिया तय है उसमें बहुत सारे अस्पताल बाहर हो जा रहे हैं। इस कारण अस्पतालों की संख्या बढ़ नहीं रही है।