एडमिशन केयू में, ‘आमबगान यूनिवर्सिटी’ में पढ़ाई
कोल्हान यूनिवर्सिटी के कॉलेजेज में शॉर्ट अटेंडेंस की प्रॉलम है। आमबगान यूनिवर्सिटी में क्लासेस फुल रहती हैं। केयू के टीचर्स स्टूडेंट्स के क्लास में आने का वेट करते हैं और आमबगान यूनिवर्सिटी के टीचर्स को क्लास लेने से फुर्सत नहीं मिलती। इस आमबगान यूनिवर्सिटी ने तो केयू के नाक में दम कर रखा है। इसमें कोई कर भी क्या सकता है। कॉम्पटीशन का जमाना है। स्टूडेंट्स को जहां कुछ गेन होता दिखेगा वे तो वहीं जाएंगे। सिटी के ज्यादातर स्टूडेंट्स ने डिग्री के लिए एडमिशन तो केयू के कॉलेजेज में लिया है, पर वे ज्यादातर समय आमबगान यूनिवर्सिटी में ही स्पेंड करते हैं। अब आमबगान यूनिवर्सिटी के नाम से आप इतने भी परेशान न हों। ये केयू के पेरलल कोई नई यूनिवर्सिटी नहीं ओपेन हुई है। साकची स्थित आमबगान में 50 से ज्यादा कोचिंग इंस्टीट्यूट्स हैं, जिसे बोलचाल की भाषा में आमबगान यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है।
सभी कॉलेजेज में Short attendance है बड़ी प्रॉलम
कांस्टीट्यूएंट कॉलेजेज में शार्ट अटेंडेंस की प्रॉलम है। ज्यादातर कॉलेजेज में यूजी लेवल पर अटेंडेंस लगभग 30 परसेंट रहता है। को-ऑपरेटिव और वर्कर्स कॉलेज में यूजी लेवल पर अटेंडेंस 25-30 परसेंट रहता है। ग्रेजुएट कॉलेज में इससे कुछ बेहतर स्थिति है। यहां अटेंडेंस का परसेंटेज 50 के आस पास रहता है। गोलमुरी स्थित एबीएम कॉलेज भी शॉर्ट अटेंडेंस की प्रॉलम को फेस कर रहा।
यहां महीने के 50 रुपए और वहां 1500, फिर भी
कॉलेज में यूजी लेवल पर स्टूडेंट्स को ट्यूशन और अदर फीस साल के लगभग 600 रुपए देने होते हैं, जो महीने का 50 रुपए होता है। कोचिंग में इन्हें प्रत्येक पेपर के लिए महीने के 4 से 5 सौ रुपए देने होते हैं। तीन पेपर के लिए इन्हें हर महीने 1500 रुपए देने होते हैं। सवाल यह है कि ज्यादा पैसे लगने के बाद भी ये स्टूडेंट्स कोचिंग की तरफ क्यों अट्रैक्ट होते हैं। वर्कर्स कॉलेज के स्टूडेंट शाहनवाज कहते हैं कि कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती। किसी न किसी कारण से अक्सर क्लासेस डिस्टर्ब रहती हैं। यही वजह है कि वे कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढऩे जाते हैं।
ओवरऑल डेवलपमेंट कॉलेज में ही होगा
स्टूडेंट्स चाहे जो भी कहते हों, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि स्टूडेंट्स इस गलतफहमी में रहते हैं कि कोचिंग इंस्टीट्यूट में वे अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे। ग्रेजुएट कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ उषा शुक्ला कहती हैं कि कॉलेज में अच्छे और एक्सपीरिएंस टीचर्स अवेलबल रहते हैं पर कभी कभी तो स्टूडेंट्स क्लास अटेंड करने ही नहीं आतीं। को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आरके दास ने कहा कि स्टूडेंट्स का ओवरऑल डेवलपमेंट कॉलेज में ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि कोचिंग में शॉर्टकर्ट तरीके से कोर्स कंप्लीट करा दिया जाता है, जिससे स्टूडेंट्स का ओवरऑल डेवलपमेंट नहीं होता।
VC साहब हैै अनजान
केयू के एक्टिंग वीसी आलोक गोयल द्वारा शॉर्ट अटेंडेंस की प्रॉलम को दूर करने के लिए 75 परसेंट अटेंडेंस को कंपल्सरी किए जाने की बात पर कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि इससे पहले कॉलेजेज में इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति सुधारनी होगी और टीचर्स की कमी को पूरा करना होगा। कॉलेजेज के प्रिंसिपल्स का कहना था कि अगर सभी स्टूडेंट्स क्लास अटेंड करने लगें तो उन्हें पढ़ाने के लिए क्लास रूम कम पड़ जाएंगे और क्लास लेने के लिए टीचर्स नहीं मिलेंगे क्योंकि सभी सजेक्ट्स में टीचर्स की काफी कमी है।
कोचिंग में शॉर्टकर्ट तरीके से पढ़ाया जाता है जिससे उन्हें ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला।
- डॉ आरके दास, प्रिंसिपल को-ऑपरेटिव कॉलेज
हमने पीजी में शॉर्ट अटेंडेंस होने पर कई स्टूडेंट्स को एग्जाम में अपीयर नहीं होने दिया।
- डॉ डीपी शुक्ला, प्रिंसिपल वर्कर्स कॉलेज
कॉलेज में पढ़ाई होती ही नहीं तो हम वहां जाकर क्या करेंगे। कॉलेज जाकर समय बर्बाद करने से अच्छा है कि हम आमबगान स्थित कोचिंग में पढ़ें।
- इमरान, स्टूडेंट पीजी
मैं बीसीए का स्टूडेंट हूं। कॉलेज में टीचर्स का पढ़ाने से ज्यादा दूसरे काम में इंट्रेस्ट रहता है। किसी न किसी कारण क्लासेस डिस्टर्ब रहती हैं।
- मितेश भौमिक, स्टूडेंट यूजी
Report by : amit.choudhary@inext.co.in
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