सेंट्रल यूनिवर्सिटी के डिफेंस स्टडीज डिपार्टमेंट के हेड रहे प्रो। संजीव भदौरिया ने फांसी लगाकर जान दी

PRAYAGRAJ: डिफेंस स्टडीज डिपार्टमेंट के हेड रह चुके थे। रिटायरमेंट करीब था। स्टूडेंट्स को बोल्ड बनने का संदेश देते थे। चैलेंजेज को फेस कैसे किया जाता है, इसके लिए मोटीवेट करते थे। विहैबियर इतना इंप्रेसिव था कि छात्र उनके काफी क्लोज थे। बाहर से इतना स्ट्रांग दिखाने वाल प्रोफेसर अंदर से इतने कमजोर थे कि फांसी लगाकर जान दे देने जैसा कदम उठा लिया। यह सूचना फैली तो पत्‍‌नी सन्नाटे में आ गयीं। उनके आवास के बाहर छात्रों की भीड़ लग गयी। देर रात तक परिवार के सदस्य नई दिल्ली और इटावा से पहुंच गये। हर कोई इस सूचना से सन्नाटे में था। यहां तक कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कर्मचारी तक प्रोफेसर के इस कदम से सदमे में थे।

टॉप फ्लोर पर बाथरूम में मिली बॉडी

फांसी लगाने वाले प्रोफेसर का नाम संजीव भदौरिया था। उम्र 58 साल के आसपास थी। वह चन्द्रलोक टॉकीज के पास अपना मकान बनवाकर रहते थे। तीन भाइयों में वह दूसरे नंबर पर थे और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में जॉब मिलने के बाद यहीं शिफ्ट हो गये थे। बुधवार को उनकी बॉडी इसी मकान के टॉप फ्लोर पर बने बॉथरूम में एंगल से रस्सी के सहारे लटकती मिली। मौके पर पहुंची पुलिस को कमरे में सुसाइड नोट मिला। इसमें उन्होंने बीमारी से तंग आकर जान देने की बात लिखी है। पत्‍‌नी के मुताबिक सुबह उन्होंने घर से निकलना बताया था। कहा था कि ब्लड सैंपल देने जा रहे हैं। वह घर से बाहर निकले या नहीं, यह पत्‍‌नी ने ध्यान ही नहीं दिया।

घर में पर्स-चॉबी देखकर माथा ठनका

प्रोफेसर भदौरिया के आखों के सामने से हटने के करीब एक घंटे बाद पत्‍‌नी ने उन्हें कॉल किया। दो बार ट्राई करने के बाद भी फोन रिसीव नहीं हुआ। इससे पत्‍‌नी परेशान हो उठीं। संयोग से इसी दौरान उनकी नजर बेडरूम में बिस्तर पर पड़े पर्स और गाड़ी की चाबी पर पड़ी। यह देखकर वह सन्नाटे में आ गयीं। अनहोनी की आशंका में उन्होंने घर को खंगालना शुरू कर दिया। मकान के टॉप फ्लोर पर बने कमरे से अटैच्ड बाथरूम अंदर से लॉक मिला तो उनका माथा ठनका। उन्होंने फोन करके पति के अंडर में शोध कर रहे छात्र प्रवीन को बुलाया। दोनों ने मिलकर बाथरूम का दरवाजा तोड़ा और अंदर घुसे तो सकते में आ गये। प्रोफेसर की बॉडी नायलॉन की रस्सी के सहारे लटक रही थी। इसकी सूचना डॉयल 100 को दी गयी तो पुलिस मौके पर पहुंच गयी। पुलिस की मौजूदगी में बॉडी तो नीचे उतारा गया। छानबीन में पुलिस को एक पन्ने का सुसाइड नोट मिला।

कोई संतान नहीं थी प्रोफेसर की

पुलिस ने बेसुध पत्‍‌नी और शोध छात्र की मदद से इसकी सूचना प्रोफेसर के रिलेटिव्स को दी। सूचना मिलने पर देर रात उनके होमटाउन इटावा से छोटे भाई मनीष मां को लेकर यहां पहुंचे तो नई दिल्ली से बड़े भाई राजीव भदौरिया भी आ गये। परिजनों से पता चला कि प्रोफेसर के अपनी कोई संतान नहीं थी। इसके साथ ही वह गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। जानने वाले बताते हैं कि यह बीमारी बेहद गंभीर और जानलेवा थी। इसके बारे में अक्सर वह इंटरनेट पर सर्च करते थे। सुसाइड नोट में उन्होंने बीमारी तो लिखा लेकिन यह नहीं लिखा कि बीमारी क्या थी। परिवार के सदस्य देर रात तक इसका जवाब देने की स्थिति में नहीं थे।

प्रोफेसर को कोई बच्चा नहीं था। बीमारी भी जानलेवा थी। इसी के चलते प्रोफेसर ने सुसाइड किया होगा। यही सुसाइड नोट में भी मेंशन है। परिवार के सदस्य भी ऐसा ही बता रहे हैं। बॉडी पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गयी है।

-बच्चेलाल प्रसाद

इंस्पेक्टर, कोतवाली