इस काम में सेना के हेलिकॉप्टर भी लगे हैं।

इस गिरोह के सरगना हैं, गुलाम रसूल उर्फ छोटू। इस गिरोह ने 24 पुलिसवालों को अगवा कर लिया था, जिनमें से सात की मौत हो गई है।

ग़ुलाम रसूल को यह नाम गिरोह के पूर्व सरग़ना बाबा लवांग ने दिया था। जब वो इस गिरोह में शामिल हुए तो उनकी उम्र काफी कम थी।

पाक सेना को छकाने वाला छोटू है कौन?

एक छोटे किसान के बेटे ग़ुलाम रसूल उर्फ़ छोटू ने 1988 में काशमोर इलाक़े में ट्रक ड्राइवरों के लिए बने ढाबे पर भी काम किया। उस समय उनकी उम्र केवल 13 साल थी।

'जंग' अख़बार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि एक झगड़े में उनके एक भाई को जेल हो गई। इसके बाद वो, उनके अन्य भाई और पिता गिरफ्तारी से बचने के लिए इधर-उधर भागने लगे।

उन्होंने बताया कि क़रीब एक साल बाद कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें चोरी के एक फर्जी मामले में फंसा दिया, क्योंकि वो उन्हें रिश्वत नहीं दे पाए थे।

जेल जाने के बाद उनके पड़ोसियों ने उनकी क़रीब 12 एकड़ पुश्तैनी ज़मीन हथिया ली।

पाक सेना को छकाने वाला छोटू है कौन?

दो साल बाद जेल से वापस आकर छोटू अपनी ज़मीन वापस पाने के लिए बाबा लवांग के गिरोह में शामिल हो गए। बाद में उनके भाई भी इस गिरोह से जुड़ गए।

छोटू गैंग डाकुओं का एक गिरोह है। यह गिरोह पंजाब प्रांत में सिंध नदीं में बने एक टापू से अपना काम करता है।

छोटू गैंग इस इलाक़े में एक दशक से भी अधिक समय से सक्रिय है। कुछ लोगों का मानना है कि इस गैंग में तीन सौ से अधिक लोग शामिल हैं।

पंजाब प्रांत के डेरा ग़ाज़ी ख़ान और सिंध प्रांत के काशमोर के क़रीब डेढ़ सौ किलोमीटर के इलाक़े में सक्रिय डकैतों में छोटू गैंग एक नामी गैंग है।

ये गिरोह आपस में जुड़े हैं और तस्करी, फिरौती के लिए अपहरण और हाइवे पर लूटपाट में शामिल हैं।

छोटू और गिरोह के अन्य प्रमुख सदस्य मज़ारी जानजाति से हैं, जो राजनपुर ज़िले की रोज़हन तहसील में प्रमुखता से पाई जाती है।

इस इलाक़े में ख़ानदान की शान और ज़मीन के लिए दुश्मनी आम बात है।

यहां ज़मींदारों का बहुत असर है, जो अपने फ़ायदे के लिए पुलिस और डकैतों, दोनों को पैसा देते हैं।

छोटू गैंग का राजनपुर में नदी में बने कई टापुओं पर नियंत्रण है, जहां घने जंगल हैं।

ये टापू पंजाब प्रांत के राजनपुर और सिंध प्रांत के रहीमयारख़ान और काशमोर ज़िले में आते हैं।

ये टापू अंग्रेजों के ज़माने से ही डाकुओं, स्वतंत्रता सेनानियों और चरमपंथियों के छिपने का स्थान रहा है, क्योंकि यह अलग-अलग अधिकारक्षेत्रों में आता है, जहां अक्सर तालमेल का अभाव रहता है।

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