- 108 एम्बुलेंस सर्विस से रोजगार छीनने के बाद स्टेट के 600 से ज्यादा कर्मचारी सड़क पर

- परेड ग्राउंड पर शुरू किया धरना, कांग्रेस और यूकेडी का मिला साथ

DEHRADUN: इमरजेंसी सेवा 108 एम्बुलेंस सर्विस से रोजगार छीनने के बाद स्टेट के 600 से ज्यादा कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. 10 वर्षो से भी ज्यादा समय तक 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सर्विस में सेवा देने के बाद नई संचालन करने वाली कंपनी कैंप के कामकाज संभालते ही सभी पुराने कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं. कर्मचारियों ने ट्यूजडे को परेड ग्राउंड में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है. कर्मचारियों को कांग्रेस, यूकेडी के साथ ही कुछ कर्मचारी संगठनों ने समर्थन दिया है. उन्होंने बेरोजगारों के समर्थन में सांकेतिक धरना भी दिया.

प्रदेशभर से धरना देने पहुंचे कर्मचारी

ट्यूजडे को 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा और खुशियों की सवारी में सेवाएं दे चुके 600 से ज्यादा कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड स्थित धरनास्थल पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया. सुबह से ही उत्तराखंड के दूर-दराज क्षेत्रों पिथौरागढ़, चंपावत, रामनगर, उत्तरकाशी जैसे इलाकों से भी कई कर्मचारी धरनास्थल पर पहुंचे. कर्मचारियों का नेतृत्व कर रहे विपिन जमलोकी ने कहा कि सभी कर्मचारी सालों से 108 एम्बुलेंस सेवा में ईमानदारी से अपना योगदान देते रहे, लेकिन सरकार और नई कंपनी के तुगलकी फरमान से 600 से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. जिनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने बताया कि उनका विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार उनके पक्ष में कोई निर्णय नहीं ले लेती है. उन्होंने तब तक चरणबद्ध तरीके से विरोध करने की बात कही.

कांग्रेस और यूकेडी ने दिया समर्थन

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने परेड ग्राउंड पहुंचकर धरने पर बैठे 108 व खुशियों की सवारी के कर्मचारियों के आंदोलन को कांग्रेस की ओर से समर्थन देने का ऐलान किया. धस्माना ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अगर इन आपातकालीन सेवाओं के कर्मचारियों की मांगों को नहीं माना गया तो कांग्रेस सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करेगी. कर्मचारियों को संबोधित करते हुए धस्माना ने कहा कि राज्य में सीएम स्वयं स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, लेकिन राज्य में सबसे ज्यादा हालात खराब अगर किसी विभाग की हैं, तो वह स्वास्थ्य विभाग है. पूरे राज्य में दूर-दराज के इलाकों में मरीजों को हायर सेंटर ले जाने के लिए 108 व खुशियों की सवारी एम्बुलेंस का ही इस्तेमाल होता है, लेकिन बीते 8 दिनों से ये आपातकालीन सेवाएं ठप पड़ी हैं. उन्होंने कहा कि जिस नई कंपनी को अब संचालन का जिम्मा दिया गया है, उसको इस प्रकार की आपातकालीन सेवा के संचालन का कोई तजुर्बा नहीं है. कंपनी द्वारा वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों को आधे वेतन पर काम करने के प्रस्ताव दिए गए हैं, जो कि अनुचित व अन्याय है. कहा कि कंपनी द्वारा नई भर्तियों में उन लोगों को नियुक्त किया जा रहा है, जिनको किसी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं दिया गया, जबकि एम्बुलेंस संचालन के लिए 52 दिनों का प्रशिक्षण आवश्यक है. कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक हीरा सिंह बिष्ट, राजेन्द्र भंडारी ने भी धरनास्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों को समर्थन दिया. उत्तराखंड की क्षेत्रीय पार्टी यूकेडी की ओर से पूर्व केन्द्रीय अध्यक्ष बीडी रतूड़ी ने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया.

केस 1-

पिथौरागढ़ से आए दीवान नाथ ने बताया कि वे 2013 से 108 सेवा में कार्यरत थे. परिवार में 7 सदस्य हैं और सभी की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर है. उनके 3 बच्चे हैं, जिनकी पढ़ाई से लेकर सारे खर्चे इसी नौकरी से उठ रहे थे. अब बेरोजगार हो गए हैं. कोई काम नहीं मिल रहा, ऐसे में अब स्टेट से बाहर जाकर नौकरी तलाश करने की सोच रहे हैं, लेकिन तब तक परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया है.

केस 2-

बागेश्वर से आए सूर्यप्रकाश के सामने रोजगार का संकट ही नहीं बच्चों की पढ़ाई के लिए लिया लोन चुकाने की समस्या भी खड़ी हो गई है. उन्होंने बताया कि वे 2010 से 108 सेवा में कार्यरत थे. परिवार में 6 सदस्य हैं. पहले से ही उन्होंने जरूरी काम के लिए पत्‍‌नी के जेवर गिरवी रखे हैं. ऊपर से बच्चों की पढ़ाई के लिए कुछ लोन भी लिया है. ऐसे में अब उनके आगे बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. उन्होंने बताया कि अगर जल्द रोजगार नहीं मिला तो वे आत्मदाह करने को मजबूर हो जाएंगे.

केस 3-

चमोली गैरसैंण से आए यशपाल ने बताया कि वे 2008 से 108 में सेवाएं दे रहे हैं. उनका 1 बच्चा पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कर रहा है, जबकि दूसरा बच्चा दून में कोचिंग ले रहा है. दोनों बच्चों की पढ़ाई के लिए लोन ले रखा है. अब रोजगार छिन गया है और उम्र भी 42 वर्ष हो गई है. ऐसे में दूसरी जगह नौकरी मिलना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके सामने आर्थिकी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

केस 4-

विनोद चन्द बागेश्वर से आए हैं, जो 2008 से 108 सेवा में कार्यरत हैं. उनके परिवार में 5 सदस्य हैं, जिनकी पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर है. विनोद ने बताया कि उनकी बेटी कॉलेज जाती है, जिसके लिए रोजाना 120 रुपए किराया लगता है. बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी है. ऐसे में उसके सपने पूरे करने के लिए वे मेहनत और नौकरी कर रहे हैं, लेकिन अब रोजगार नहीं रहा तो बेटी ही नहीं उनके सपने भी टूटते नजर आ रहे हैं.