- कांग्रेस ने सड़क से सदन तक उठाया गन्ना किसानों का मुद्दा

- जबाव में संसदीय कार्यमंत्री बोले, हफ्तेभर के भीतर घोषित हो जाएगा गन्ने का समर्थन मूल्य

- गवर्नमेंट के जवाब से विपक्ष असंतुष्ट, वेल में आकर किया हंगामा

>DEHRADUN: विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में गन्ना किसानों का मुद्दा छाया रहा। कांग्रेस ने सड़क से लेकर सदन तक गन्ना भुगतान पर सरकार को घेरने की कोशिश की। थर्सडे को सदन की कार्रवाई शुरू होते ही कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने गन्ना किसानों के मुद्दे पर नियम 310 (सभी कामकाज रोककर चर्चा) में चर्चा की डिमांड की। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने मुद्दे को नियम-58 की ग्राह्यता पर सुनने का भरोसा दिया, तब विपक्ष शांत हुआ।

किसानों की आय दोगुना करना दिखावा

मुद्दे पर विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि एक तरफ किसानों की आय दोगुना करने का दावा किया जा रहा है। वहीं सरकार गन्ना किसानों की उपेक्षा कर रही है। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं किया जा रहा है। विधायक ने गन्ना मूल्य के दामों में वृद्धि व स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की डिमांड की। जबकि लीडर अपोजिशन डॉ। इंदिरा हृदयेश, विधायक गोविंद कुंजवाल, फुरकान अहमद, आदेश चौहान, ममता राकेश ने भी सरकार से किसानों के हित में निर्णय लेने की मांग की। बदले में संसदीय कार्यमंत्री कौशिक ने कहा कि गन्ना मूल्य निर्धारण को परामर्श कमेटी बनी है। जल्द रिपोर्ट के लिए कहा गया है और सप्ताहभर में मूल्य घोषित कर दिया जाएगा। कहा, सरकारी चीनी मिलों पर जो बकाया है, उसके भुगतान को 58 करोड़ की व्यवस्था की जा रही हैं। इसके अलावा प्राइवेट चीनी मिलों के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के विधायक सरकार के जवाब ने संतुष्ट नहीं हुए और वेल में आकर हंगामा किया।

राज्य में 1.5 लाख बंदर, 7093 का बंध्याकरण

स्टेट में बंदरों के उत्पात से किसानों क्या आम लोग परेशान हैं। यह मामला थर्सडे को विधानसभा में भी उठा। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विधायक विनोद कंडारी ने बंदरों द्वारा खेती व किसानी को पहुंचाए जा रहे नुकसान का मामला उठाया। जवाब में वन मंत्री डॉ। हरक सिंह रावत ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में तकरीबन डेढ़ लाख बंदर हैं। बंदरों की समस्या से निपटने के लिए तीन बंदरबाड़े बनाए गए हैं। इनमें से अब तक 7093 बंदरों का बंध्याकरण किया जा चुका है। वहीं एनजीटी ने कहा है कि बंदरों को लंबे समय तक बाड़े में नहीं रख सकते। अब अल्मोड़ा व चमोली में दो सौ से लेकर ढाई सौ एकड़ के बंदरबाड़े बन रहे हैं, जिससे इन बंदरों को नेचुरल आवास मिल सके। जहां फ्रूट्स स्पेशीज का प्लांटेशन होगा। बताया कि वाइल्ड लाइफ एनिमल्स के ट्रीटमेंट को 27 वेटनरी डॉक्टर्स के पद भी स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने कहा बंदर चालाक हो गए हैं और एक बार बंदर बाड़े में फंसने के बाद दोबारा धोखा नहीं खा रहे हैं।