RANCHI: स्विमिंग पूल नहीं, तालाब चाहिए। नगर विकास मंत्री और नगर आयुक्त तत्काल डिस्टिलरी तालाब का काम बंद कराएं और तालाब को बड़ा करवाया जाए। ब्यूटिफिकेशन के नाम पर तालाब को छोटा कर स्विमिंग पूल का आकार दिया जा रहा है। इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन होगा। ये बातें एम्पावर झारखंड, झारखंड नवनिर्माण मंच और पीस फाउंडेशन की ओर से कही गई। शुक्रवार को बिरसा मुंडा समाधि स्थल पर विभिन्न संगठनों के लोगों ने ब्यूटिफिकेशन के नाम पर गड़बड़ी के खिलाफ एक दिवसीय धरना दिया।

निशाने पर मंत्री व डिप्टी मेयर

मौके परं डिस्टिलरी तालाब के ब्यूटीफिकेशन के नाम पर अनियमितता का आरोप सीधे-सीधे नगर विकास मंत्री और डिप्टी मेयर पर लगाते हुए कहा गया कि डिस्टिलरी को बर्बाद करने में इन्हीं दोनों का हाथ है। हजारों लोगों की आस्था से जुड़े इस तालाब को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है। इस वजह से पानी का लेवल भी लगातार नीचे जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो डिस्टिलरी के आसपास रहने वाले लोगों के सामने भयावह स्थिति हो जाएगी। जब लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा।

क्कद्गश्रश्चद्यद्ग ष्श्रठ्ठठ्ठद्गष्ह्ल

डिस्टिलरी तालाब कभी लालपुर, कोकर, व‌र्द्धवान कंपाउंड, पीस रोड की लाइफ लाइन हुआ करता था। लेकिन स्वार्थ पूरा करने के लिए इस तालाब को बर्बाद कर दिया गया है। ब्यूटीफिकेशन के नाम पर जनता को गुमराह करने का काम किया जा रहा है। वहीं बार-बार डीपीआर बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ाया जा रहा है।

-आदित्य विक्रम जायसवाल

ब्यूटीफिकेशन के नाम पर तालाब को स्विमिंग पूल बना दिया गया। हरमू की तरह ही यह तालाब भी बर्बाद हो चुका है। इससे हजारों लोगों की आस्था जुड़ी थी। करमा और छठ में इस तालाब में लोग पूजा करते थे। एक तरफ सरकार रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं बनाने वालों से टैक्स वसूली की बात करती है और खुद से तालाबों को बर्बाद करने में लगी है।

राजीव रंजन प्रसाद

तालाब को बर्बाद करने की साजिश है। एक तो तालाब को छोटा कर दिया। अब मार्केट बनाकर लोगों को देने की तैयारी है। उसमें लोगों से वसूली की जाएगी। लेकिन इस तालाब से जुड़े लोगों की आस्था पर चोट नहीं पहुंचाने देंगे। पहले नदी बहती थी तो लोग विधि-विधान से अपने धार्मिक अनुष्ठान भी करते थे।

विनय सिन्हा

बहती हुई नदी थी तो पुलिया छोटी होने से परेशानी होती थी। लेकिन अब तो नदी बची ही नहीं तो पुल बनाकर केवल पैसे की बर्बादी की गई है। पुल का कोई औचित्य ही नहीं है। तालाब के ऊपर मार्केट बनाने की बजाय कहीं और बनाना चाहिए। दोनों ओर पेड़ लगाने की जरूरत है। अवैध निर्माण को ध्वस्त कर सिवरेज पाइपलाइन को तालाब से अलग रखा जाए।

राजेश सिन्हा सनी

पहले इस तालाब में ही लोग पूजा करते थे। लेकिन अब तो तालाब ही नहीं बचा तो पूजा कहां करेंगे। करमा में डाल का विसर्जन बहते पानी में किया जाता था। ऐसे में डिस्टिलरी में बहते पानी में ही पूजा की जाती थी। बस अपने लिए सब इस तालाब को बर्बाद कर दिया जो कि बहुत गलत है।

सुकू पाहन