- दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक कोई भी व्हिकलधारी अधिकारी और पब्लिक नहीं जा सका बाहर

- आर्मी पर्सनल से लेकर डिसेबल्ड मैन को भी नहीं जाने दिया बाहर

- वकीलों की तालाबंदी से पब्लिक हुई काफी परेशान

Meerut : इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मेरठ जिला कोर्ट के तमाम मामलों को मुरादाबाद शिफ्ट करने का आदेश ने तूल पकड़ लिया है। पूरे दिन मेरठ वकीलों ने अपने-अपने तरीके से हंगामा किया और इस आंदोलन को कमजोर करने का मात्र एक स्टंट करार दिया। कलेक्ट्रेट में तालाबंदी कर दी गई। करीब दो हजार व्हिकलधारी तीन घंटे तक कचहरी और कलेक्ट्रेट में फंसे रहे। वहीं कचहरी के मेन गेट पर पुतला फूंका।

वकीलों में रोष

गुरुवार देर शाम हाईकोर्ट ने ऑर्डर किया था कि अब मेरठ जिला कोर्ट के सभी मामलों को मुरादाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में शिफ्ट कर दिया जाए। जैसे ही ये खबर मीडिया के माध्यम ये शुक्रवार सुबह को वकीलों के बीच आई तो उनमें रोष फैल गया। राष्ट्रीय क्रांति मोर्चा (अराजनैतिक) के अध्यक्ष देवकरण शर्मा ने बताया कि सभी वकील जुलूस के रूप में एकत्र हुए और अदालतों में कार्य बंद कराया। उसके बाद सभी गेटों को बंद कराया। देवकरण शर्मा ने सभी वकीलों को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश के बयान की निंदा की और सभी वकीलों के साथ वेस्टर्न कचहरी रोड हनुमान मंदिर के सामने पुतला फूंका। इस मौके पर मुख्य रूप से मदन गिरी, गुलफाम अली, प्रमोद चौधरी, अमरदीप चौधरी, मनोज गौड़, दिनेश कौशिक, आनंद छाबडि़या, मोर्चा जिलाध्यक्ष अरविंद शर्मा, क्षितिज भारद्वाज, विनय चौधरी, अमित जंगेठी आदि लोग मौजूद रहे।

तीन घंटे फंसी पब्लिक

करीब क्ख् बजे वकीलों ने कचहरी और कलेक्ट्रेट के सभी सात गेटों को तीन घंटे के लिए बंद कर दिया। इससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा तकलीफ उन लोगों को हुई जो अपने-अपने व्हिकल को कलेक्ट्रेट और कचहरी के अंदर लेकर गए थे। अगर अधिकारियों और कर्मचारियों को छोड़ दिए जाए तो तकरीबन दो हजार व्हिकलधारी लोग तीन घंटे तक फंसे रहे। यहां तक आरएफ और पीएसी का खाना भी बमुश्किल अंदर जा सका।

अधिकारी भी फंसे

पब्लिक के अलावा उन अधिकारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा जो क्ख् बजे से पहले कलेक्ट्रेट में घुस गए थे। लेकिन जब वो काम करके लौटने लगे तो उन्हें गेट बंद मिला। उनमें आर्मी ऑफिशियल भी रहे। ख्ख् डिव के कर्नल राकेश कुमार की काफी कोशिशों के बाद गेट नहीं खुला तो उन्होंने दूसरी व्यवस्था की। गेट के खुलने के बाद ड्राइवर बाहर जा सका।

आरएफ और पीएसी तैनात

वकीलों की घोषणा के अनुसार डिस्ट्रिक्ट जज, डीएम कार्यालय, एसएसपी आवास के अलावा कलेक्ट्रेट में भी पीएसी और आरएएफ तैनात कर दी गई। ताकि उन्हें अपने कार्यालय में आने जाने में कोई परेशानी न हो सके। जिसकी वजह से कलेक्ट्रेट के तमाम ऑफिस खुले रहे। फोर्स के सामने किसी भी कार्यालय को बंद करने की हिम्मत नहीं जुटा चुके।