- मूल्यांकन में अभी दो दिन की और हो सकती है देरी

- लगभग 400 पीटीए टीचर्स जांच रहे हैं 20 हजार का भविष्य

- अनुभवहीन टीचर्स के मूल्यांकन से बर्बाद होगा स्टूडेंट्स का भविष्य

- एबसेंट परीक्षकों पर गिरेगी गाज, रुक सकती है सीनियरटी

MEERUT: पूरे साल की मेहनत के बाद जब रिजल्ट हाथ में आता है तो निराशा एक स्टूडेंट को सुसाइड करने पर मजबूर कर देती है। टीचर्स की तो थोड़ी सी लापरवाही हो जाती है, मगर मौत की घाट उतर जाते हैं कई स्टूडेंट्स। यूपी बोर्ड मूल्यांकन में एकबार फिर से कत्ल से बड़ा जुर्म हो रहा है। मूल्यांकन में लगाए गए पीटीए के टीचर्स भले ही परीक्षकों की कमी को पूरा कर रहे हैं, मगर कॉपियों की जांच करने में वह बिल्कुल नासमझ हैं। इसकी न बोर्ड को कोई परवाह है न ही अधिकारियों को। आखिर स्टूडेंट्स के सुसाइड का जिम्मेदार बोर्ड खुद ही बन रहा है।

पीटीए टीचर की कहानी

क्क् अप्रैल से शुरू होकर पंद्रह दिन तक चलने वाले इस मूल्यांकन पीटीए के टीचर्स लगाए गए हैं। हालांकि इन टीचर्स की नियुक्ति बोर्ड द्वारा ही गई है। मगर सिटी के चार सेंटर पर लगभग चार सौ पेरेंट्स टीचर्स एसोसिएशन के यह टीचर्स वास्तव में तो बिना किसी जानकारी के ही मूल्यांकन कर रहे हैं। इंटर और हाईस्कूल के साइंस, मैथ्स, सोशल साइंस, हिस्ट्री, हिंदी इंग्लिश लगभग हर उस विषय में। जहां जितने परीक्षकों की संख्या कम पड़ी कमी को पूरा करने के लिए पीटीए के टीचर्स को लगा दिया गया है। जबकि केंद्र के प्रिंसीपल, डिप्टी हेड और टीचर्स तक इसे बोर्ड की बड़ी लापरवाही बता रहे हैं।

हर केंद्र पर पीटीए टीचर्स

सदर स्थित सनातन धर्म इंटर ब्वॉयज इंटर कालेज के प्रिंसीपल बीबी बंसल ने बताया यहां लगभग क्भ्0 परीक्षक पूरे मूल्यांकन में कम रहे। केंद्र पर बोर्ड ने लगभग सौ पीटीए के टीचर्स लगाए हैं। वहीं केके इंटर कॉलेज में लगभग भ्ख्ख् परीक्षकों में से लगभग क्फ्0 परीक्षक कम रहे। यहां भी सौ पीटीए परीक्षक लगाए गए हैं। बीएवी इंटर कॉलेज बुढ़ाना गेट के प्रिंसीपल डॉ। राकेश शर्मा ने बताया कि उनके सेंटर पर भ्म्ख् में से क्म्0 परीक्षक कम रहे हैं, यहां सौ पीटीए परीक्षक लगाए गए हैं। जीआईसी सेंटर के एग्जाम प्रभारी मनमोहन ने बताया सेंटर पर भ्ख्0 में से ब्क्7 परीक्षक आ पाए हैं। बाकी के एबसेंट रहे। यहां लगभग क्भ्0 पीटीए टीचर्स लगाए गए हैं।

दो दिन लेट होगा मूल्यांकन

सेंटरों पर टीचर्स न पहुंच पाने की वजह से अभी हर सेंटर पर मूल्यांकन अधूरा ही पड़ा है। इसलिए मूल्यांकन दो दिन की देरी में समाप्त होने की संभावना जताई जा रही है। बीएवी इंटर कॉलेज में अभी तीन हजार कॉपियों का मूल्यांकन बाकी है, केके इंटर कॉलेज में भी अभी छह हजार कॉपियों का मूल्यांकन बाकी है। जीआईसी इंटर कॉलेज पर क्फ् हजार केमिस्ट्री की कॉपियां, बाकी एजुकेशन, संस्कृत, होम साइंस, इंग्लिश की लगभग दस हजार कॉपियां बाकी है। सेंटर्स के प्रिंसीपल का भी यही मानना है कि मूल्यांकन में दो दिन की देरी हो सकती है।

डिबार होने की परवाह नहीं

पीटीए के टीचर्स को वास्तव में तो डिबार होने का भी कोई डर नहीं होता, यही कारण है कि पीटीए का टीचर बेपरवाह होकर बस पैसे बनाने के चक्कर में ज्यादा से ज्यादा कॉपियों का मूल्यांकन करने में जुट जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पीटीए टीचर्स सहायता प्राप्त कॉलेजों के प्राइवेट टीचर्स होते हैं, जिनपर बोर्ड किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर सकता है। बोर्ड में एडेड टीचर्स के लिए कोई सख्त कानून ही नहीं है। यही कारण है कि वह मूल्यांकन में लापरवाही जैसा बड़ा जुल्म कर जाते हैं।

जुर्म के बदले कमाई

बोर्ड के नियमानुसार अगर यूपी बोर्ड का कोई परीक्षक मूल्यांकन में गलती कर बैठता है, तो उसको बोर्ड सख्त कार्रवाई करते हुए एकदम डिबार घोषित कर देता है। साथ उसको पैसा भी नहीं मिलता और ऊपर से सीनियरटी भी रोकी जा सकती है। मगर पीटीए के टीचर्स को तो उनकी गलती के बदले में पैसे मिलते हैं। इंटर की एक कॉपी चेक करने के सात और हाईस्कूल की कॉपी के छह रुपए। इसके अलावा पहले दिन का आने का और लास्ट दिन जाने का भत्ता और बीस रुपए एक दिन के अलग से मिलते हैं।

यह तो बोर्ड मुख्यालय का फैसला है, इसमें तो हम भी कुछ नहीं कर सकते हैं, बोर्ड का जो फैसला है वो मानना ही पड़ता है। वैसे भी परीक्षकों की नियुक्ति बोर्ड मुख्यालय से ही हुई है। मूल्यांकन में एबसेंट टीचर्स पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-शिव कुमार ओझा, डीआईओएस

परीक्षकों की नियुक्ति तो बोर्ड ने ही की है, इसमें तो केंद्र या अधिकारी कोई भी कुछ नहीं कर सकते हैं। परीक्षकों की कमी के कारण ही ऐसा किया गया है।

-मनमोहन कुमार, एग्जाम प्रभारी, जीआईसी

सेंटर्स पर परीक्षकों की कमी को देखते हुए ही बोर्ड द्वारा पीटीए के टीचर्स नियुक्त तो कर दिए हैं। मगर इसमें तो बच्चों का भविष्य दांव पर लग सकता है।

-डॉ। राकेश कुमार शर्मा, प्रिंसीपल बीएवी इंटर कालेज

पीटीए टीचर्स तो बोर्ड की तरफ से लगाए गए हैं, इसमें सेंटर की कोई गलती नही है। सेंटर्स पर परीक्षकों की कमी थी इसलिए बोर्ड ने इनकी नियुक्ति की है।

-वीर बहादुर सिंह, पि्रंसीपल, केके इंटर कालेज

परीक्षकों की कमी को देखते हुए कुछ पीटीए परीक्षक लगाए गए हैं, लेकिन पीटीए की नियुक्ति तो बोर्ड ने ही की है, दो साल के अनुभव के आधार पर।

-बीबी बंसल, प्रिंसीपल, सनातन धर्म ब्वॉयज इंटर कॉलेज