RANCHI : शहर में लोगों को साफ पानी सप्लाई करने के दावे की पड़ताल के अगले क्रम में आईनेक्स्ट ने गोंदा डैम के बाद बूटी जलागार की स्कैन की। यह इसलिए भी और जरूरी है जब सिटी के एक बड़े हिस्से में सप्लाई के पानी में कीड़ा निकलने की शिकायत सामने आई है। मगर अफसोसनाक यह है कि बूटी जलागार का हाल भी गोंदा डैम से अलग नहीं है। यहां भी टंकियों की सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है। इस कारण टंकियां काली पड़ गई हैं और उनमें काई भी जम गया है। फिल्टरेशन के बाद इन टंकियों में स्टोर हो रहे पानी को ही एक बड़ी आबादी तक पहुंचाया जा रहा है। इसी पानी को आम पब्लिक पीने से लेकर खाना बनाने तक इस्तेमाल करती है।

टंकियां हुई जर्जर, कैसे हो सफाई

बूटी जलागार में चार बड़ी टंकियां हैं, और पहाड़ पर एक टंकी बनायी गई है। इन्हीं टंकियों से शहर के अलग अलग क्षेत्र में पानी सप्लाई होता है। इस जलागार का निर्माण 40 साल पहले हुआ था। उस वक्त जो पाइप और भल्व लगाये गए थे। वे आज तक चल रहे हैं। कभी-कभी भल्वों की मरम्मत करा दी जाती है। लेकिन नया बदलने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। टंकियों की सफाई कितने सालों से नहीं हुई इसकी जानकारी वहां के स्टाफ को भी नहीं है। 17 साल से काम कर रहे महतो ने बताया कि किसी टंकी की सफाई होते तो नहीं देखा लेकिन गंदे पानी को ड्रेन के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है। स्टाफ ने बताया कि टंकियों की सफाई करना आसान नहीं है, इनकी सीढ़ी से लेकर छत तक सभी जर्जर हो चुकी हैं। कब टूट जाएंगी कुछ कहा नहीं जा सकता। इसी डर के कारण कोई छत पर चढ़ता नहीं, छत से ही टंकियों के अंदर जाने का रास्ता है।

रुक्का से पानी फिल्टर होकर पहुंचता है जलागार

बूटी जलागार में पानी को फिल्टर नहीं किया जाता है। रुक्का डैम में ही चूना, एलएम डाल कर पानी को फिल्टर करने का प्रॉसेस किया जाता है। इसके बाद वहां से पानी को बूटी जलागार भेजा जाता है। यहां पे क्लोरीन गैस डाल कर पानी को थोड़ा साफ करने की कोशिश जरुर की जाती है। लेकिन टंकी के पानी देख ऐसा नहीं लगता की पानी साफ हो रहा है। इसकी वजह टंकी का साफ न होना ही है। हालांकि डयूटी पर तैनात कर्मियों का कहना था कि टंकियों की सफाई कराई जाती है।

टेस्टिंग लैब भी नहीं

पानी सप्लाई करने से पहले पानी की टेस्टिंग करने के नियम है। पानी पीने लायक है या नहीं इसके लिए पानी का पीएच नापा जाता है लेकिन लैब नहीं रहने के कारण बगैर पीएच नापे पानी की सप्लाई की जा रही ह। दुर्भाग्य यह भी है इन सारे कामों के लिए केमिकल डिपार्टमेंट के स्टाफ भी नहीं हैं।

30 एमजीडी पानी की है क्षमता

बूटी जलागार की 30 लाख गैलेन पानी की प्रतिदिन की क्षमता है। वैसे रुक्का डैम से निरंतर पानी भेजा जाता है और उसी अनुसार जलागार शहर में सप्लाई करता है। इस जलागार से चर्च रोड, कांटाटोली, खेलगांव, होटवार, रातू रोड, जिला स्कूल, सिरमटोली, लालपुर, मेडिकल, चुटिया आदि स्थानों पर पानी की सप्लाई की जाती है।

वर्जन

टंकियों की सफाई तो होती ही रहती है। एक महीने पहले ही सफाई कराई गई है। रुक्का से पानी फिल्टर होकर भेजा जाता है सारी प्रक्रिया वहीं पूरी कर ली जाती है। यहां से सिर्फ शहर में पानी की सप्लाई की जाती है।

किशोर वर्मा, एग्जिक्यूटिव इंजीनियर, पीएचईडी