- शहर के रैन बसेरे बारिश के दौरान भी रहते हैं बंद

- भीगते रहते हैं राहगीर, केवल ठंड के मौसम में मिल पाती है सुविधा

GORAKHPUR: कहने को तो शहर में सात रैन बसेरे हैं जिनमें आपातकाल में कोई अजनबी भी अपना सिर छिपा सकता है। लेकिन गोरखपुर के लोगों को यह सुविधा नसीब ही नहीं है। इन दिनों रुक-रुक कर अचानक बारिश हो रही है। जिसमें सड़क पर मौजूद हर आदमी को आसपास रैन बसेरे मौजूद होने पर भी भीगना पड़ रहा है। कारण यह कि रैन बसेरे केवल ठंड के दिनों में ही खुलते हैं। शायद नगर निगम यह नहीं मानता कि बारिश में रैन बसेरे लोगों को भीगने से भी बचा सकते हैं। शहर के ज्यादातर रैन बसेरों को नगर निगम ने बाहर से ही बंद रखा है जिससे लोग उसके बाहर ही भीगते रहते हैं। हालांकि मंगलवार को छात्रसंघ चौराहे पर स्थित रैन बसेरा खुला हुआ था।

रेलवे स्टेशन रैन बसेरा

रेलवे स्टेशन का रैन बसेरा बाहर से ही बंद कर दिया गया है। आसपास के दुकानदारों ने बताया कि रैन बसेरा केवल सर्दियों में ही खुलता है। कैंपस का मेन गेट भी बंद कर दिया गया है, वरना इसके अंदर खड़े होकर भी बारिश के पानी से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि सर्दियों के अलावा रैन बसेरे में केयर टेकर तक नहीं रखा जाता है। इससे राहगीरों को तो परेशानी होती ही है, रैन बसेरा भी दु‌र्व्यवस्था का शिकार होता जा रहा है।

धर्मशाला रैन बसेरा

धर्मशाला रैन बसेरा राहगीरों, बेघरों के ठिकाने से अधिक गैरेज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। आम लोगों के लिए तो रैन बसेरा नहीं खुलता लेकिन सामूहिक आयोजनों में इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है। आसपास के लोगों से बात करने पर पता चला कि रैन बसेरा सर्दियों के मौसम के अलावा हमेशा बंद रहता है। स्थानीय लोगों को जब कोई जरूरत होती है वह पार्षद से संपर्क कर उसकी चाभी ले लेते हैं।

शहर में सात रैन बसेरे

रेलवे स्टेशन

मेडिकल कॉलेज

शाहपुर

झूलेलाल मंदिर के सामने

धर्मशाला

मोहरीपुर

छात्रसंघ चौराहा

वर्जन

बंद पड़े रैन बसेरों को दुरुस्त करा फिर से चालू करवाया जाएगा। राहगीरों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

- प्रेम प्रकाश सिंह, नगर आयुक्त