ज्यादातर चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल को नहीं मानती पब्लिक

शहर के चौराहों पर हमेशा खराब ही रहते हैं ट्रैफिक सिग्नल

सिग्नल लाइट्स खराब होने से रहता है एक्सीडेंट का खतरा

चौराहों पर बेतरतीब दौड़ रहे ट्रैफिक पर नहीं है किसी की लगाम

Meerut। हम नहीं मानते 'ट्रैफिक सिग्नल'। मेरठ में आम शहरी की मानसिकता चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल की रेड लाइट होने पर भी ब्रेक मारने की नहीं है। ऐसे में भी वो कट मारकर चौराहे से कूदने की कोशिश में रहता है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब छोटे दोपहिया वाहनों के साथ-साथ बड़े वाहन भी ट्रैफिक लाइट जंप करते हैं।

शोपीस हैं ट्रैफिक लाइट

बात अगर मेरठ की करें तो यहां ट्रैफिक लाइट के पोल शोपीस बने खड़े हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रविवार को शहर के प्रमुख चौराहों पर टै्रफिक लाइट/सिग्नल का रियलिटी चेक किया। आपको जानकर हैरानी होगी की मेरठ के एक भी चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल को ट्रैफिक फालो नहीं कर रहा था। ज्यादातर चौराहों पर ट्रैफिक लाइट खराब मिली। और ट्रैफिक चौराहे पर खड़े पुलिसकर्मियों और होमगार्ड के हवाले था।

बेगमपुल चौराहा

शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल खराब पड़े हैं। हां एक-दो सिग्नल काम कर रहे थे किंतु ट्रैफिक इन सिग्नल्स को नहीं मान रहा था। ये सिग्नल ज्यादातर समय खराब ही रहते हैं जिससे ट्रैफिक की आवाजाही प्रभावित हो रही है। जीरो माइल चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल शोपीस बने खड़े हैं। एक-दो ट्रैफिक लाइट जल रही थीं किंतु वे सिर्फ देखने के लिए थीं। उन्हें कोई फॉलो नहीं कर रहा था।

रेलवे रोड चौराहा

दिल्ली रोड से पुराने मेन बाजारों को जोड़ने वाला मुख्य चौराहा है रेलवे रोड। इस चौराहे से रोजाना लाखों वाहन गुजरता है। बाद इसके चौराहे पर लगे ट्रैफिक सिग्नल काम नहीं कर रहे हैं। एक-दो ट्रैफिक लाइट जल रही थी किंतु ट्रैफिक पुलिसकर्मी उस लाइट के हिसाब से ट्रैफिक को कमांड नहीं कर रहा था। यहां दिनभर हाथ के इशारों से ट्रैफिक मूवमेंट करत हैं।

ईव्ज चौराहा

शहर के भीड़ वाले ईव्ज चौराहे की सिग्नल सिग्नल कई माह से खराब पड़े हैं। यहां शोपीस बने ट्रैफिक सिग्नल व्यवस्था की ओर मुंह चिढ़ा रहे हैं। ट्रैफिक सिग्नल के खराब होने से वाहन बेतरतीब आ जा रहे हैं।

बच्चा पार्क

बच्चा पार्क पर पिछले कई सालों से सिग्नल लाइट्स खराब पड़ी हैं। आम-ओ-खास का इस ओर से आनाजाना होता है किंतु खराब सिग्नल की ओर किसी का ध्यान नहीं है। सिग्नल लाइट्स खराब होने से चौराहे पर एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है।

तेजगढ़ी चौराहा

शहर के एकमात्र तेजगढ़ी चौराहे पर कभी-कभी ट्रैफिक सिग्नल काम करता है। जिससे वाहनों का आवागमन भी अन्य चौराहों की अपेक्षा सुचारु तरीके से होता है। हालांकि रविवार के चलते ट्रैफिक भी सड़क पर आमदिनों से कम था। बाकी के दिनों में यहां भी ट्रैफिक, पुलिसकर्मी के हाथ के इशारे पर ही दौड़ता है।

कमिश्नर आवास चौराहा

कभी शहर के मॉडल चौराहे के तौर पर फेमस इस चौराहे का व्यवस्थापन अब बिगड़ गया है। यहां न अब प्रॉपर ट्रैफिक लाइट्स काम कर रही हैं और न ही ट्रैफिक को माइक पर डॉयरेक्शन दिया जा रहा है। हालांकि शहर के अन्य हिस्सों की अपेक्षा यहां टै्रफिक दुरुस्त नजर आ रहा था।

पुलिसकर्मियों को नहीं है प्रशिक्षण

ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मी अप्रशिक्षित हैं। रेलवे रोड, बेगमपुल, घंटाघर समेत शहर के कई चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मी स्वयं ट्रैफिक लाइट्स को फॉलो नहीं कर रहे हैं। देखने में आया कि सिग्नल रेड लाइट दे रहा है और पुलिसकर्मी ट्रैफिक को मूव करा देता है। जबकि ग्रीन लाइट होने पर ट्रैफिक थमा रहता है। अव्वल तो यह है कि मेरठ के किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक लाइट्स की टाइमिंग और पुलिसकर्मी की टाइमिंग सेट नहीं है।

फुटपॉथ घेरकर खड़े हो रहे वाहन

शहर में एक बड़ी समस्या यह भी है कि बेतरतीब ट्रैफिक चौराहों पर आगे निकलने की होड़ में फुटपॉथ तक घेरकर खड़े हो रहे हैं। जिससे ट्रैफिक संचालक में खासी परेशानी होती है तो वहीं आए दिन हादसे हो रहे हैं। रेलवे रोड पर तो रोडवेज की बसें ईदगाह क्रॉसिंग से ही फुटपॉथ घेरकर खड़ी हो जाती हैं।

शहर के ज्यादातर चौराहों पर ट्रैफिक लाइट्स तो हैं किंतु वाहन चालक उनका पालन नहीं करते हैं। भीड़भाड़ को देखते हुए तैनात पुलिसकर्मी को ट्रैफिक लाइट्स से इतर वाहनों को मूव कराना पड़ रहा है। जल्द ही ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान को शहर में अमली जामा पहनाया जाएगा।

संजीव बाजपेयी, एसपी ट्रैफिक, मेरठ