- उस्मान गाजी तेल लेकर सुसाइड करने पहुंचा कमिश्नरी

- पुलिस ने धक्का देते हुए जीप में डाला और थाने ले गए

- सुसाइड के प्रयास का केस दर्ज, डॉक्टरी के बाद बंद

Meerut: कमिश्नरी चौराहे पर उस समय हड़कंप मच गया, जब लोकसभा निर्दलीय प्रत्याशी सुसाइड करने पहुंच गया। उसने एक पार्टी के प्रत्याशी पर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। साथ ही कमिश्नर से मिलने के लिए अपने अमले के साथ पहुंचे इस प्रत्याशी ने पुलिस द्वारा गेट पर ही रोके जाने पर हंगामा काट दिया। इससे पहले वह कुछ करता पुलिस ने उसको दबोच लिया और उठाकर जीप में डाल लिया। इसके बाद उसको थाने ले जाकर डॉक्टरी कर्रवाई गई और मुकदमा कायम कर दिया गया। जमानत के बाद उसे छोड़ दिया गया।

यह था मामला

हापुड़ लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी उस्मान गाजी ने कुछ दिन पहले खुद पर बसपा प्रत्याशी के द्वारा हमला कराए जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने उसको दो गनर भी दे दिए थे। शुक्रवार को उस्मान गाजी अपने अमले के साथ कमिश्नरी पर पहुंच गया। जहां उसने बसपा प्रत्याशी पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए कमिश्नर से मिलने की कोशिश की। जहां उसको गेट पर ही पुलिस ने रोक लिया। करीब आधा घंटे तक उसने कमिश्नर से मिलने के लिए भरसक कोशिश की और जमकर हंगामा किया।

पकड़कर भेजा थाने

इस बीच उसने अपने स्कूटर से पेट्रोल भरी एक बोतल निकाली और उसको अपने ऊपर डालने का प्रयास किया। इससे पहले वह कुछ करता पुलिस ने उसको दबोच लिया। उसके हाथ से बोतल छीन ली। साथ ही उसको उठाकर जीप में डाल लिया गया। जहां उसको थाना सिविल लाइन ले जाया गया। यहां इसके पीछे आए विकलांग समिति के लोग और समर्थकों ने छोड़ने के लिए नारेबाजी की। वहीं पूछताछ के लिए दो सीओ थाने पहुंचे। जहां उन्होंने सबसे पहले उस्मान गाजी को दिए गए गनर से बातचीत की।

जमकर हड़काया

दोनों गनर को सीओ ने जमकर हड़काया। साथ ही उसने कहा कि जब तुम्हे उसके साथ रहने के लिए छोड़ा गया था तो तुम कहां थे। अगर वह सुसाइड करने की तैयारी में था तो तुमने अधिकारियों को क्यों नहीं बताया। अगर इसको कुछ हो जाता तो तुम्हारी नौकरी गई थी। इसके साथ ही उस्मान गाजी की डॉक्टरी के बाद आईपीसी की धारा फ्09 अटैम्प्ट टू सुसाइड और क्88 बलवे का संकट पैदा करने की धारा में केस दर्ज किया गया। इसके साथ ही उसको जमानत के बाद छोड़ दिया गया।

उस्मान गाजी के खिलाफ आईपीसी की धारा फ्09 और क्88 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जिसको जमानत के बाद छोड़ दिया गया है।

- अजय कुमार अग्रवाल, इंस्पेक्टर सिविल लाइन