- नगीन प्रकाशन और मेरठ सिक्योरिटी प्रेस पब्लिसर्स हैं शामिल

- मेरठ के पब्लिसर्स ने माना हो रहा है किताबों में बड़ा खेल

- दूसरे पब्लिसर्स उठा रहे है इसका फायदा, किताबें बेच रहे महंगी

Meerut: यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद ने अपने स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए सस्ते बुक्स स्टूडेंट्स को उपलब्ध कराने का ऑर्डर जारी किया था। इसके लिए बोर्ड की ओर से इन बुक्स के प्रकाशन की जिम्मेदारी एक दर्जन पब्लिकेशन हाउस को दी गई थी। अब हाल ये है कि इन सरकारी पब्लिसर्स की किताबें मार्केट से गायब कर इनके स्थान पर प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स सेल हो रही हैं। जो निर्धारित रेट से करीब दोगुने से भी अधिक दाम पर बेची जा रही हैं। इसको सरकारी पब्लिसर्स भी मान रहे हैं कि उनकी किताबों की जगह दूसरी किताबें अधिक दाम में बेची जा रही है।

यह है सीन

यूपी बोर्ड ने सेशन ख्0क्ब्-क्भ् में अपने स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजूकेशन देने के लिए क्लास नौ से इंटरमीडिएट तक की बुक्स के प्रकाशन के टेंडर जारी किया था। इसके लिए बोर्ड की ओर से क्ख् प्रकाशन को इन क्लासेस की बुक्स पब्लिकेशन की जिम्मेदारी दी गई थी। बोर्ड ने इन पब्लिशर्स को किन विषय की बुक्स, किन क्लास की बुक्स, कितने पन्नों की बुक्स और उनकी कीमत कितनी होगी, सभी कुछ पहले से ही निर्धारित कर दिया था। इसके लिए बोर्ड की ओर से इन पब्लिशर्स को कब तक बुक्स देनी है, इसकी डेट लाइन भी तय कर दी थी।

मार्केट का सीन

क्लास नौ से लेकर क्ख्वीं तक की बुक्स की पब्लिशर्स की जिम्मेदारी जिन एक दर्जन प्रकाशकों को दी गई थी। मेरठ में नगीन प्रकाशन और मेरठ सिक्योरिटी प्रेस को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। मार्केट में जानकारी की गई तो इनमें नगीन प्रकाशन की किताबें मार्केट में हैं, लेकिन मेरठ सिक्योरिटी प्रेस की किताबें अधिकतर विक्रेताओं के पास नहीं मिलीं। वहीं शासन स्तर पर जानकारी के अनुसार मार्केट में केवल दो प्रकाशक काका संस प्राइवेट लिमिटेड नोएडा और राजीव प्रकाशन इलाहाबाद की ही बुक्स ही मार्केट में मिल रही हैं।

यह हो रहा है खेल

कई पब्लिसर्स की बुक का मार्केट में कुछ अता-पता नहीं है। जिसका फायदा उठाकर दूसरे प्राइवेट प्रकाशक इन्हीं नामों से मिलती-जुलती बुक्स मार्केट में बेच रहे हैं। जिनकी कीमत बोर्ड की ओर से निर्धारित कीमत से दोगुनी से भी अधिक है। सस्ती बुक्स मार्केट में नहीं मिलने के कारण यूपी बोर्ड में पढ़ने वाले गरीब स्टूडेंट्स महंगी बुक्स खरीदने को मजबूर हैं। जो किसी तरह दोगुने दामों पर किताबें परचेज करके पढ़ाई कर रहे हैं। इस बात को मेरठ के एक पब्लिसर्स नगीन चंद जैन भी मान रहे हैं। उनकी किताबें मार्केट में सरकारी दामों में उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी जगह कुछ पब्लिसर्स महंगी किताबें बेच रहे हैं।

इनका कहना है

नगीन प्रकाशन के मालिक नगीन चंद जैन का कहना है कि उनकी किताबें मार्केट में सरकारी रेट पर उपलब्ध हैं। उनकी सभी किताबें साइंस की हैं। जिसमें बायोलॉजी, बॉटनी, फिजिक्स और जूलॉजी की किताबें हैं। इनके अनुसार इनकी जिस किताब की कीमत 80-8भ् रुपए है उसको दूसरे पब्लिसर्स ख्00-ख्भ्0 रुपए में बेच रहे हैं। जबकि इनकी किताब उनकी किताब से कहीं बेहतर है। क्वालिटी वाइज भी काफी अधिक अच्छी हैं। इन्होंने साफ कहा कि भ्रष्टाचार सब जगह है। हमारी किताबें सस्ती हैं और अच्छी हैं इसके बावजूद दूसरे पब्लिसर्स की किताबें बेची जा रही हैं।

इनमें भी गड़बड़ी

वहीं यूपी बोर्ड क्लास नौवीं की इंग्लिश की बुक्स का पब्लिकेशन का काम राजीव प्रकाशन इलाहाबाद को दिया गया है। यह बुक्स फ्ख्0 पन्नों की है, जिसकी कीमत बोर्ड की ओर से फ्7.भ्भ् रुपए तय की है। इसके बाद भी यह बुक कम आने के कारण इसकी जगह दूसरे प्रकाशक की बुक्स 70 रुपए में मिल रही है। इंटरमीडिएट की गद्य गरिमा की बुक के प्रकाशन की जिम्मेदारी काका संस प्राइवेट लिमिटेड नोएडा को दी गई है। यह बुक क्ख्0 पन्नों की है, जिसकी कीमत क्ब्.भ्भ् पैसे है, लेकिन बुक्स के सप्लाई कम होने के कारण की इसी नाम की बुक फ्भ् रुपए में बिक रही है।

इसका उठा रहे हैं फायदा

देखने में आ रहा है कि प्राइवेट पब्लिशर्स हाईकोर्ट के उस ऑर्डर का फायदा उठा रहे है जिसमें कोर्ट ने कहा है कि कुछ सिलेक्ट प्राइवेट पब्लिशर्स अपनी बुक छाप सकते है। जिसका पूरा फायदा प्राइवेट पब्लिशर्स उठा रहे हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स इन प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी बुक्स खरीद कर पढने के लिए मजबूर हैं। इस मामले के सामने आने पर आनन-फानन में बोर्ड डायरेक्टर ने इस मामले का हल निकालने के लिए सभी सचिव व बोर्ड के अधिकारियों की शनिवार को बैठक बुलाई थी। लेकिन यह बैठक भी किन्हीं कारणों से टाल दी गई।

इन्होंने कहा

अगर मार्केट में हमारे पब्लिशर्स की किताबें नहीं पहुंची है तो इसके पीछे के कारणों का पता लगाया जाएगा। साथ ही अगर जितनी जल्दी हो सके सभी पब्लिशर्स को जल्द से जल्द अपनी किताबें मार्केट में पहुंचाने के लिए कहा जाएगा।

-शैल यादव, डायरेक्टर, यूपी बोर्ड

हमारी किताबें मार्केट में सस्ती और अच्छी हैं। उनको पढ़कर स्टूडेंट्स डॉक्टर और इंजीनियर बने हैं। कुछ पब्लिसर्स की किताबें हमारी किताब से महंगी है। जिनको मार्केट में बेचा जा रहा है। भ्रष्टाचार सब जगह है, इससे निपटना मुश्किल है। इस मामले में जांच भी चल रही है।

- नगीन चंद जैन, ऑनर नगीन प्रकाशन मेरठ