- निर्माण में हद दर्जे की लेट लतीफी से चढ़ा कमिश्नर का पारा

- कहा, कॉन्ट्रेक्टर कंपनी हो गई फेल, दर्ज होगी एफआईआर

KANPUR: सीओडी ओवरब्रिज का निर्माण 'बीरबल की खिचड़ी' के जैसा हो गया है। काम शुरू होने के लगभग एक दशक बाद भी ब्रिज कम्पलीट नहीं हो पाया है। लगातार वॉर्निग के बाद भी जारी लेटलतीफी से कमिश्नर का पारा चढ़ गया है। उन्होंने साफ कह दिया है कि इस ओवरब्रिज का निर्माण करना कॉन्ट्रेक्टर कम्पनी के बस की बात नहीं है, वह फेल हो गई है। अब इसका निर्माण पीडब्ल्यूडी (एनएच) को ही पूरा करना होगा।

तय समय के सवा साल बाद भी

सीओडी ओवरब्रिज का निर्माण हर हाल में जुलाई 2015 में पूरा करना प्रस्तावित था। इसकी जानकारी देने के साथ कॉन्ट्रेक्टर कंपनी को 15 फीसदी राशि का भुगतान एडवांस में कर दिया गया था। इसके बावजूद कॉन्ट्रेक्टर कंपनी ने तय समय के सवा साल बाद भी काम पूरा नहीं किया।

अब रोज होगी मॉनिटरिंग

अब सारा मामला कमिश्नर मो। इफ्तिखारुद्दीन के पास पहुंचा है। उन्होंने कॉन्ट्रेक्टर कंपनी से आगे का काम कराने से मना कर दिया और साथ ही उस पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी डीएम से कहा है। आगे जो भी कार्य होगा उसकी देख रेख के लिए उच्च विकास समिति नाम की एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी रोजाना कायरें की समीक्षा करेगी। कमिश्नर ने पीडब्ल्यूडी एनएच के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर एके गुप्ता से कहा कि यह कार्य अपने हाथ में लें और एक महीने के अंदर दोनों ओर से दो लेन चालू कराई जाए। वैसे चार लेन का पुल है। इसके लिए पुल व लिंक रोड पर मिट्टी डालने का काम तुरंत शुरू करना होगा।

यह पब्लिक के साथ धोखाधड़ी

कमिश्नर ने यह भी कहा कि यह पब्लिक के हित का मामला है, पब्लिक परेशान है। यह भी कहा कि मिट्टी में जो खर्च आए उसकी कटौती कॉन्ट्रेक्टर कंपनी की रकम से की जाए। कमिश्नर को डीएम कौशलराज शर्मा ने बताया कि कॉन्ट्रेक्टर ने ओवरब्रिज पर डाली जाने वाली मिट्टी की खोदाई की परमीशन ही नहीं मांगी। इसके लिए वह खुद जिम्मेदार है। कॉन्ट्रेक्टर कंपनी का निर्माण पूरा न करने का कार्य आपराधिक कार्यवाही के अन्तर्गत आता है, क्योंकि उसने पब्लिक के साथ धोखाधड़ी की है ।

यह भी जान लीजिए

- ब्रिज की लम्बाई - 791.359 मीटर

- ब्रिज की चौड़ाई- फोरलेन

- जुलाई 2015 में निर्माण पूरा होना था

- 38. 66 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रेक्ट था