क्या criminal करेंगे co-ordination ?

 सिटी में क्राइम कंट्रोल और लोकल एरिया में पीस कायम करने के उदेश्य से थाना लेबल पर पीस कमिटी का गठन किया गया था। लेकिन जिस सोच के साथ इसे बनाया गया था, उसे पूरा करने में ये पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। अगर ऐसा नहीं होता को शायद सिटी में इतनी तेजी से क्राइम इंसिडेंट्स में बढ़ोत्तरी नहीं होती।

थाना लेवल पर काम कर रही तीन committees
थाना लेवल पर तीन तरह की कमिटियां काम करती हैं, लेकिन तीनों का काम केवल पुलिस व एक्यूज के बीच लेन-देन के लिए मध्यस्थता करने तक ही सिमट कर रह गया है। इनमें थाना लेवल पर शांति समिति, हेल्पलाइन कमिटी व पुलिस-पŽिलक समन्वय समिति और इन सबके उपर सेंट्रल पीस कमिटी है। इन कमिटियों में ज्यादातर पोलिटिकल पार्टीज के लोग या फिर एरिया के बाहुबली शामिल हैं। सोशल वर्कर या दूसरे लोगों की संख्या काफी कम या ना के बराबर है। इस कारण पŽिलक की प्राŽलम सही तरीके से सॉल्व नहीं हो पा रही है।

सोच पर खरी नहीं उतर रही committees
थाना लेवल पर बनी पीस कमिटी द्वारा सही ढंग से काम न कर पाने के कारण फॉर्मर डीजीपी जीएस रथ ने पुलिस व पŽिलक के बीच समन्वय बनाए रखने को लेकर पुलिस-पŽिलक समन्वय समिति बनाने की पहल की थी। इसके बाद थाना लेवल पर यह बना भी, लेकिन जिस सोच के साथ इसे बनाया गया था, उसमें यह सफल नहीं हो सका। कुछ थानों की को-ऑर्डिनेशन कमिटी ने शुरूआती दौर में बेहतर काम करना शुरू किया था, लेकिन बाद में कुछ गलत लोगों के कमिटी में शामिल होने के कारण अपने उदे्श्यों से भटक गई।

दलाली करने वालों का बोलबाला
इन कमिटियों में वैसे लोगों की पूछ ज्यादा होती है जो दलाली करते हैैं। आज के समय में ज्यादातर कमिटी में सोसाइटी के अच्छे और सम्मानित कहे जाने वाले लोग नहीं है। पुलिस और एक्यूज्ड के बीच पैसे का लेन देन कर मामले को रफा दफा कराने वालों की हा बोलबाला है। क्योंकि यह काम सब के बस की बात नहीं।

नहीं हो रही meeting
को-ऑर्डिनेशन कमिटी का काम लोकल लेवल पर मीटिंग आर्गेनाइज कर पुलिस व पŽिलक के बीच समन्वय स्थापित करना है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। जहां तक पीस कमिटी की बात है तो इसका काम केवल ईद, दशहरा व दूसरे फेस्टीवल के वक्त थाना में मीटिंग की खानापूर्ति करना है। पीस कमिटी की मीटिंग हर महीने होनी चाहिए, लेकिन यह नहीं हो पा रहा है।

पीस कमिटी व को-ऑर्डिनेशन कमिटी में हर तबके के लोगों को शामिल किया गया है। इसमें बिजनेसमैन, सोशल वर्कर के साथ ही महिलाओं की भी भागीदारी है। कमिटी अपना काम कर रही है, लेकिन इसमें और इम्प्रूवमेंट की जरूरत है। इसे बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
अमोल वी होमकर, एसएसपी, इस्ट सिंहभूम

पुलिस-पŽिलक समन्वय समिति को लोगों को बीच जाकर मीटिंग करनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। शांति समिति की मीटिंग हर महीने होनी चाहिए थी जो नहीं हो पा रहा है।
सुधीर कुमार पप्पू, एडवोकेट कम मेंबर, सोनारी थाना शांति समिति

 

Report by : goutam.ojha@inext.co.in