छात्र संघ अध्यक्ष रिचा सिंह पर लगा वामपंथी नक्सली विचारधारा पर काम करने का आरोप

अध्यक्ष पद पर हारे रजनीश कुमार सिंह की पहल पर वीसी ने अलग अलग पक्षों से मांगी आख्या

ALLAHABAD: हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली और अब सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया प्रकरण की गूंज अभी थमी भी नहीं कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष रिचा सिंह पर भी नक्सली, वामपंथी विचारधारा पर काम करने का आरोप लग गया है। प्रवेश को लेकर आलरेडी विवादों में घिरी रिचा सिंह पर नए आरोप सामने आने के बाद वाइस चांसलर प्रो। हांगलू ने अलग-अलग पक्षों से रिपोर्ट मांग ली है।

लड़कों के साथ आती हैं हॉस्टल

जेएनयू से उठी चिंगारी को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी तक पहुंचाया है छात्र संघ अध्यक्ष पद का चुनाव 11 मतों से हारने वाले रजनीश कुमार सिंह रिशू ने। वीसी को सौंपे गए पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि छात्रसंघ अध्यक्ष रिचा सिंह के संबंध नक्सली वामपंथी विचारधारा के लोगों से है। वे बाहरी लड़कों को हास्टल में लेकर आती हैं। वे घंटों हास्टल में रहते हैं। उन्होंने इसकी तस्दीक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखकर करने का आग्रह किया है। रिशू ने उन पर हास्टल में नियम विरुद्ध तरीके से भी रहने का आरोप लगाया है। कहा है कि जेएनयू में आइसा, एसएफआई जैसे संगठन पूरे देश का माहौल खराब कर चुके हैं। रिचा का भी संबंध नक्सली विचारधारा से है। इससे यूनिवर्सिटी की छवि धूमिल हो रही है। इलाहाबाद में अपना मकान होने के बाद भी उन्होंने गलत तरीके से हॉस्टल एलॉट करवा लिया है। आरोप है कि छात्रसंघ अध्यक्ष हास्टल की मेरिट लिस्ट में भी नहीं हैं। कहा गया है कि रिचा देर रात हास्टल में आती हैं। लेकिन उन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है।

डीएसडब्ल्यू समेत कई को लपेटा

रजनीश ने अपने ज्ञापन में डीएसडब्ल्यू समेत बाकी ऑफिसर्स को भी लपेटा है। कहा है कई बार इसकी जानकारी अधिकारियों को दी गई। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इससे महिला छात्रावास में रह रही लड़कियों में भी भय है। वीसी से मांग की गई कि वे पूरे मामले की जांच करवाकर कार्यवाही करें। इस पूरे मामले की जांच करवाने की मांग की गई है। वीसी ने आरोपों से संबंधित पत्र महिला हास्टल की कैम्पस इंचार्ज, हाल ऑफ रेजिडेंस की अधीक्षिका, चीफ प्रॉक्टर, डीएसडब्ल्यू, हास्टल गेट के सुपरवाइजर को भी फारवर्ड किया है और आख्या मांगी है।

यह एक महिला के निजी अधिकारों का हनन है। मैने इसकी पूरी जानकारी एमएचआरडी को भेज दी है। आश्चर्य है कि वीसी ने एक छात्रनेता के मनगढंत आरोपों का संज्ञान लेते हुए लेटर को आगे फारवर्ड कर दिया।

रिचा सिंह

अध्यक्ष, छात्रसंघ, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

हास्टल एलाटमेंट की जांच करवाई तो पता चला कि आवेदन में उन्होंने अपना पता अलीगढ़ दिया है। नियम है कि इलाहाबाद में निवास करने वालों को हास्टल एलाट नहीं होगा। रजनीश के आरोपों की जांच की जा रही है। अभी मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।

-डॉ। हर्ष कुमार, डीएसडब्ल्यू

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हमेशा निशाने पर रहा एबीवीपी

छात्रसंघ अध्यक्ष रिचा सिंह ने अपने प्रवेश मामले की जांच को गठित प्रो। सत्यनारायण की जांच समिति पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि प्रो। सत्यनारायण का सेंटर आईआईडीएस के अन्तर्गत आता है। ऐसे में जांच आईआईडीएस के कोआर्डिनेटर को सौंपी जानी चाहिए थी। रिचा का कहना है कि उन्हें दूषित राजनीति से प्रेरित होकर फंसाया जा रहा है। यह सब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रसंघ पदाधिकारियों के इशारे पर हो रहा है। जिसे खुद वाइस चांसलर प्रो। आरएल हांगलू हवा दे रहे हैं।

विवादों से रिचा का नाता

20 नवम्बर 2015 को गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को एबीवीपी के पदाधिकारियों ने छात्रसंघ के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए बुलाया था। योगी आदित्यनाथ को साम्प्रदायिक चेहरा बताते हुए 19 नवम्बर की रात अनशन पर बैठी ऋचा समेत अन्य लड़कियों के साथ अभद्रता हुई। चीफ प्रॉक्टर डॉ। एनके शुक्ला पर छेड़खानी का मुकदमा तक दर्ज हो गया।

छात्रसंघ भवन पर आयोजित एक संगोष्ठी में रिचा ने प्रशांत भूषण को बुलाया। विचारधारा की जंग की नींव यहीं से पड़ी और एबीवीपी विरोध में खड़ा हो गया।

20 जनवरी 2016 को छात्रसंघ भवन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन रिचा ने किया। जिसमें विवादित भारतीय अमेरिकी पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन को बुलाया गया। एबीवीपी ने प्रचंड तरीके से इसका विरोध किया। इससे विचारधारा की लड़ाई और तेज हुई।

15 फरवरी को रिचा ने छात्रसंघ भवन पर छात्र नेतृत्व की चुनौतियों पर संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह किया। इसमें सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव एवं विधायक संग्राम यादव को बुलाया गया। विरोध करके लाठी खाने पर एबीवीपी से फासला और बढ़ गया।

रिचा ने सभी प्रवेश परीक्षाओं को केवल ऑनलाइन किए जाने के निर्णय का विरोध किया। इससे वीसी को यूजी में ऑफलाइन एग्जाम का ऑप्शन देने को मजबूर होना पड़ा।

रिचा ने ओएसडी अमित सिंह की नियुक्ति पर वीसी को घेरा। आरोप लगाया कि दलित छात्रा के उत्पीड़न समेत कई गंभीर धाराओं में आरोपी को यह जिम्मेदार पद कैसे सौंपा जा सकता है। बाद में अमित सिंह ने उन्हें नोटिस भी जारी की।

छात्रसंघ भवन पर कोई भी प्रोग्राम आयोजित न करने के वीसी के आदेश को लोकतंत्र विरोधी करार दिया।

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एडमिशन नियमों के अनुसार ही हुआ

छात्र संघ अध्यक्ष रिचा सिंह का एडमिशन फर्जी बताने पर वीसी द्वारा मांगे पर जवाब पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ग्लोबलाइजेशन एंड डेवलपमेंट स्टडीज के प्रो। वीपी सिंह ने अपना पक्ष रख दिया है। इसमें उन्होंने कहा है कि रिचा का एडमिशन नियमों के अनुसार ही किया गया है। प्रो। सिंह ने 27 मार्च 2014 को हुई डीपीसी मिटिंग के मिनट्स, क्रेट थर्ड लेवल के रिजल्ट 2013, भारत सरकार के गजट 7 जनवरी 2007, रजिस्ट्रार को 17 सितंबर को दिए गए खुद के जवाब की कापी भी जवाब के साथ संलग्न की है। कहा है कि एडमिशन से पहले न सिर्फ लीगल एडवाइज ली गई बल्कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, भारत सरकार की गाइडलाइन के साथ हाईकोर्ट इलाहाबाद की रूलिंग का पूर्णत: पालन किया गया है।