-सपा सुपीमो ने फिर सुनाई सरकार को खरी-खोटी

-बोले, बड़े नेता केवल सुविधाएं भोग रहे हैं

LUCKNOW: सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सोमवार को पार्टी मुख्यालय में झंडारोहण के बाद न केवल मंत्रियों को खरी-खोटी सुनाई बल्कि अपने भाई शिवपाल यादव के समर्थन में ढाल की तरह खड़े भी हुए। कहा कि शिवपाल के खिलाफ पार्टी में साजिश हो रही है। मैं अगर खड़ा हो गया तो आधे लोग मेरे साथ चले आएंगे। इशारा किया कि फिर सरकार बना पाना आसान नहीं होगा। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को चेताया कि इटावा से लेकर आगरा तक जो अवैध कब्जे हो रहे हैं, उन सबकी जानकारी मेरे पास है।

क्या बोले मुलायम

मुलायम ने कहा कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्री सावधान रहें, जनता सरकार बनाना और हटाना जान गई है। पार्टी के नौजवान लखनऊ में पड़े हैं, दौरा नहीं करते। मंत्री बंगलों में बैठे हैं, बाहर गर्मी लग जाएगी। बड़े नेता भी केवल सुविधाएं भोग रहे हैं। शिवपाल ने गलत नहीं कहा, पार्टी में उसका अपमान हो रहा है। उसने इस्तीफा दिया तो पार्टी मुश्किल में पड़ जाएगी। वह सबसे ज्यादा काम और प्रचार कर रहा है। पहले भी इस्तीफा देने की बात कही थी, मैंने उसे मनाया। मैं जानता हूं, शिवपाल के खिलाफ कौन साजिश कर रहा है। इसका संदेश अच्छा नहीं गया है। आगे बोले कि क्या गांधी और सुभाष में मतभेद नहीं था। सुभाष चंद्र बोस की कैसे मौत हुई, कई जांच के बाद भी नतीजा नहीं निकला। गांधी खड़े होते तो भगत सिंह को फांसी नहीं होती। लोहिया को पाकिस्तान की जेल में डाला गया। लोहिया ने गैर कांग्रेस का नारा दिया। लोहिया की बुद्धि से कांगेस कमजोर हुई। कांग्रेस ने मुझे भी जेल भेजा। सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए कितना संघर्ष किया। अखिलेश को मध्य प्रदेश जाना चाहिए था लेकिन वहां मंत्री को भेज दिया तो सपा साफ हो गयी। अगर बिहार चले जाए तो शायद कुछ हालात सुधरे।

क्या कहा था शिवपाल ने

मालूम हो कि शिवपाल यादव ने रविवार को इटावा में कहा था कि मंत्री और अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं, मैं बहुत दुखी हूं। कार्यकर्ता भ्रष्टाचार और जमीन और भूखंड पर कब्जे करने में लगे हुए हैं। पार्टी जनों के द्वारा बेईमानी, अवैध कब्जा और अत्याचार जारी रहा, तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। अब मेरी इच्छा चुनाव न लड़कर पार्टी का काम देखने की है। जिन लोगों की जमीनों पर सपा के लोग कब्जे कर रहे हैं, वह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखित शिकायत करें। लोगों पर अत्याचार, अन्याय करने वाले तथा दूसरों की जगहों पर अवैध कब्जे करने वाले चाहे कितने भी प्रभावशाली हों, एमएलए और एमएलसी भी हों तो भी उनके खिलाफ पार्टी की तरफ से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नेताजी कहते रहे हैं कि पार्टी के लोग जमीनों पर अवैध कब्जा न करें, जन सेवक बन जनता की सेवा करें, मगर लोग हैं कि बाज नहीं आ रहे।

शिवपाल ने गलत नहीं कहा, पार्टी में उसका अपमान हो रहा है। उसने इस्तीफा दिया तो पार्टी मुश्किल में पड़ जाएगी। वह सबसे ज्यादा काम और प्रचार कर रहा है। पहले भी इस्तीफा देने की बात कही थी, मैंने उसे मनाया। मैं जानता हूं, शिवपाल के खिलाफ कौन साजिश कर रहा है। इसका संदेश अच्छा नहीं गया है।

-मुलायम सिंह यादव, सपा सुप्रीमो

नसीहत या चुनावी पैंतरा

शिवपाल के बयान के बाद मुलायम सिंह यादव द्वारा उनके समर्थन में खड़े होने के पीछे कौन सा सियासी दांव है, यह सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुका है। सपा के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो कौमी एकता दल प्रकरण के बाद से ही मुलायम डैमेज कंट्रोल का सही वक्त तलाश रहे थे। शिवपाल ने इस्तीफा देने की बात कहकर यह मौका दे दिया। इसके साथ ही पार्टी में फिर से एक बार कौमी एकता दल के विलय की चर्चा तेज हो गयी है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक इस बाबत कौमी एकता दल के नेताओं से बातचीत भी शुरू कर दी गयी है। कौएद के विलय से शिवपाल की प्रतिष्ठा को दोबारा कायम करने के साथ पूर्वाचल में पार्टी के वोट बैंक को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

विपक्षियों ने बताया नाटक

मुलायम ंिसह यादव पहले भी इस तरह के बयान दे चुके हैं। सपा प्रमुख ने यह कहकर कि 'जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ मुख्यमंत्री कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं' मुख्यमंत्री पद की गरिमा को कम करने का कार्य किया है। यदि प्रदेश में कानून तोड़ने वाले मुख्यमंत्री से ज्यादा ताकतवार हो गये है तो उनको तुरंत कुर्सी छोड देनी चाहिए। मुलायम पुत्रमोह में जनता के साथ धोखा कर रहे हैं।

केशव प्रसाद मौर्य

प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी

अब यह खुलकर सामने आ गया है कि प्रदेश में एक नहीं, कई मुख्यमंत्री एक साथ काम करते हैं। सपा के अंदरूनी हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि उसके मुखिया की स्थिति भी बेचारगी वाली हो गयी है। शिवपाल द्वारा यह कहना कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं, हास्यास्पद है क्योंकि विगत साढ़े चार वर्ष की नाकामियों का ठीकरा वे अधिकारियों पर फोड़ना चाहते हैं। जब सरकार के मुखिया ही गफलत में हो तो सरकार का पंगु होना निश्चित है।

वीरेंद्र मदान, वाइस चेयरमैन

उप्र कांग्रेस कम्युनिकेशन सेल