- मिलेनियल्स स्पीक में बोले गोरखपुर के यूथ्स

- डिग्रियां देने केसाथ करें जॉब की व्यवस्था

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GORAKHPUR:
देश के युवाओं को भत्ता नहीं चाहिए। उनको रोजगार की जरूरत है। सरकारें आती हैं बेरोजगारों को भत्ता देने की बात कहकर बेरोजगारी बढ़ाती हैं। युवाओं को ऐसी एजुकेशन दी जाए कि हर कोई डिग्री लेकर सड़कों पर न घूमे। बल्कि लोगों को ऐसा रोजगार मिले जिससे उनके परिवार के साथ-साथ समाज की तरक्की का रास्ता खुले। ऐसा कोई युवा न हो जो धन कमाने के लिए सही रास्ते को छोड़कर गलत कदम उठा ले। किसी को भटकने से रोकने का सबसे अच्छा माध्यम उचित जॉब देकर इंगेज करना हो सकता है। मंगलवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से मिलेनियल्स स्पीक के तहत आयोजित राजनी-टी में युवाओं ने अपने मन की बात रखी। देश की खुशहाली के लिए किसी को बेरोजगारी से राहत चाहिए तो कोई यहां से आतंकवाद को मिटाने की ललक लिए बैठा है।

खामियाजा आज की पीढ़ी भुगत रही
राजनी-टी में सबसे ज्यादा किसी बात की हुई तो वह है बेरोजगार युवाओं की बढ़ती तादाद पर। देश में सरकारी नौकरियों का सिमटता जा रहा दायरा युवाओं को भटकने पर मजबूर कर रहा है। पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी देने वाली प्राइवेट फर्म में शोषण के सिवा ज्यादा कुछ नहीं मिल पा रहा। लोगों का मानना है कि लगातार कम होती जा रही नौकरियां देश में अराजकता को बढ़ावा दे रही हैं। अगर पढ़ी-लिखी पीढ़ी की व्यस्तता बढ़ा दी जाए तो कोई उनकी ऊर्जा का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा। खाली बैठे युवाओं को देखकर हर कोई उनको बरगलाकर गलत रास्तों पर ढकेल देता है। बढ़ती उम्र की निश्चित सीमा पूरी करने के बाद हर कोई निराशा के चंगुल में फंस जाता है। यूथ्स का कहना है कि देश की सुरक्षा में लगे जवानों की पेंशन तक खत्म कर दी गई। 14 फरवरी को पुलवामा में हुई घटना का जिक्र करते युवाओं ने आज आंतरिक सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। सरकारी तंत्र का कमजोर होता नेटवर्क देश विरोधी गतिविधियों की जानकारी नहीं जुटा पा रहा। इसके लिए नेताओं को हर नागरिक का भरोसा जीतना होगा। कश्मीर जैसी समस्या के स्थाई समाधान की बात नहीं की जाती। हर इलेक्शन में पार्टियों के अपने-अपने मेनीफेस्टो होते हैं। चुनाव बीतने के बाद सब अपने वादों को भूल जाते हैं जिसका खामियाजा आज की पीढ़ी भुगत रही।

 

 

 

मेरी बात

 

एक तरफ लोग नौकरी के लिए परेशान हैं तो दूसरी तरफ जॉब्स के लिए एग्जाम देने के बाद हाल-बेहाल होना पड़ रहा है। परीक्षा देकर घर लौटने के बाद पता लगता है कि एग्जाम कैंसिल हो गया। हर बार एग्जाम कैंसिल होने की बात सुनकर दिल को तकलीफ होती है। पता नहीं कितने लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पहले किसी जॉब के लिए आवेदन निकलने का इंतजार कीजिए। आवेदन फॉर्म जारी होने पर संघर्ष करते हुए भरकर संबंधित संस्था को जमा कराइए। दौड़भाग करके किसी तरह से एग्जाम देने पहुंच गए तो उसके कैंसिल होने की संभावना रहती है। कम सीटों पर उमड़ी अभ्यर्थियों की भीड़ देखकर इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। किसी नौकरी का पेपर निरस्त होने पर सरकार का पता नहीं कितना नुकसान होता है। लेकिन जिन युवाओं के सपने टूटते हैं उनके बारे में भी कोई सोचे। एग्जाम में गड़बड़ी करने वाले चंद लोगों की वजह से लाखों लोग परेशान होते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए कम से कम उन युवाओं को निराश होने से बचाया जाए जो कड़ी मेहनत से तैयारी करते हैं।

- शिल्पी गुप्ता

 

कड़क मुद्दा

देश में नौकरी के लिए हाय तौबा मची है। गवर्नमेंट अपने विभागों के कर्मचारियों को हर साल रिटायर कर रही है। लेकिन खाली हुए पदों को भरने के बजाय उनको समाप्त करने पर जोर दिया जा रहा है। केंद्र सरकार के तमाम विभागों में खाली पड़े पदों को खत्म किया जा रहा है। इसमें रेलवे का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। विभागों में जिनकी सीटें खाली हो गई हैं उनकी जगह दूसरे कर्मचारी कामकाज निपटा रहे। काम करने वाले कर्मचारी बोझ तले दबे हुए हैं। अगर कोई बेरोजगार बिजनेस करना चाहता है तो उसे सरकारी महकमा मदद नहीं करता। बिचौलियों की वजह से उसकी कमर टूट जाती है। पूंजी के अभाव में तमाम लोग रोजगार भी नहीं कर पाते।

 

कोट्स

स्वच्छ भारत अभियान का व्यापक असर हुआ है। जगह-जगह सफाई व्यवस्था नजर आने लगी है। लोगों में जागरुकता बढ़ी है जिससे लोग साफ-सफाई को लेकर ज्यादा जागरूक हुए हैं। लेकिन अभी पॉल्युशन कम करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। नदियों से लेकर मिट्टी, हवा तक हर जगह पॉल्युशन बढ़ता जा रहा है। इसके लिए व्यापक अभियान परमानेंट चलाने की जरूरत है। सरकार के प्रयास से इसे सफलता मिल सकती है।

- विशाल सिंह

 

पूर्व में हमारे पीएम ने दावा किया था कि ब्लैममनी वापस लाई जाएगी। देश में काली कमाई को रोकने का प्रबंध करेंगे। लेकिन ऐसा कोई प्रयास नजर नहीं आया। देश का पैसा लूटकर विदेश के बैंक में जमा कराने वाले लोगों पर शिकंजा कसना बेहद जरूरी है। ब्लैक मनी को बरामद करके राजकीय कोष में शामिल किया जाए।

- अनुराधा

 

देश में भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं कस सकी है। सरकारी विभागों में तैनात कर्मचारी जमकर अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। अनर्गल लाभ लेने वाले कर्मचारियों की तादाद बहुत जाता है। उनके स्कैनिंग की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे रोकथाम हो सके। लोकपाल बिल सहित अन्य कानून लाकर ऐसी गतिविधियों को रोका जाना चाहिए। खासकर शिक्षा विभाग में जहां छात्रों के साथ मनमानी की जा रही है।

- रामरक्षा

 

देश में आरक्षण को लेकर आग लगी है। कोई आरक्षण के खिलाफ है तो किसी को आरक्षण की दरकार है। ऐसे हालात में आरक्षण को लेकर ऐसा सिस्टम डेवलप करने की जरूरत है जिससे सिर्फ जरूरतमंद को आरक्षण मिल सके। किसी जाति-धर्म या संप्रदाय को अहमियत देने के बजाय जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ दिया जाए।

- कविता

 

मुझे लगता है कि देश की हर बड़ी समस्या के पीछे मूल जड़ में बढ़ती जा रही आबादी है। सीमित संसाधनों के बीच जब तमाम दावेदार होते हैं तो मारामारी मचती है। इसलिए अन्य चीजों पर फोकस करने के बजाय जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिया जाए। जिन देशों ने ज्यादा तरक्की है वहां पर आबादी नियंत्रित कर ली गई है। कम जनसंख्या होने से हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हो सकेंगी।

- धनंजय सिंह

 

सरकारें योजनाएं तो बहुत लाती हैं लेकिन उनका क्रिन्यावन नहीं हो पाता है। आम जनता को योजनाओं का लाभ देने वाली संस्थाएं और उनके जिम्मेदार अपना काम ठीक से नहीं करते। इससे जरूरतमंदों को फायदा नहीं मिलता। तमाम ऐसे लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठा लेते हैं जिनको कोई जरूरत नहीं है।

- दीपिका

 

वर्तमान में जो कुछ भी चल रहा है। उससे पता लगा है कि देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था खतरे में पड़ चुकी है। देश पर हो रहे आतंकी हमलों से हर किसी को डर लगने लगा है। कब तक हमारे सैनिक शहीद होते रहेंगे। ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को बिना किसी भेदभाव के नेस्तानाबूद करने वाली सरकार की जरूरत है।

- अभय गुप्ता

 

एक छोटी सी समस्या धीरे-धीरे बड़ी होती चली जाती है। रेलवे में सुधार के नाम पर नौकरियों को समेट दिया गया। प्राइवेट फर्म को ठेके पर काम देकर काम कराया जा रहा है। ठेकेदार के शोषण का शिकार होने वाले कर्मचारी परेशान हैं। सरकार अपना पैसा बचाने के लिए हर संस्था को ठेका पर उठाने लगी है। इसलिए योजनाओं को लागू करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि सरकारी नौकरियों को लेकर हताशा न हो।

- कादिर खान

 

सड़कें, बिजली और पानी मूलभूत आवश्यकताएं हैं। लेकिन जब तक भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया जाएगा तब तक लोगों को इसकी समस्या झेलनी पड़ेगी। हर बार ऐसा होता है कि मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जाएगा लेकिन कहीं पर सड़क नहीं बनती तो कहीं बिजली नहीं होती। कहीं बिजली मिलती को पानी की समस्या से पब्लिक जूझती है। लोग इसी में उलझकर रह जाते हैं। इसका सीधा असर विकास पर पड़ता है। इसलिए निश्चित प्लान के साथ इसे लागू किया जाना चाहिए।

- बलिराम