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PRAYAGRAJ: बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। ऐसे में बात आई उबलते मुद्दों पर कड़क बात की तो कोई भी पीछे नहीं रहा। गुरुवार को को आर्य कन्या पीजी कॉलेज में आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर टी-प्वाइंट डिस्कशन राजनी-टी का आयोजन किया गया। इसमें छात्राओं ने खुलेमन से अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि आगामी चुनाव में वोटिंग से पहले उनके दिमाग में वो कौन सा मुद्दा है। जिनके आधार पर वो अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले हैं।

छोटी बच्चियों के साथ घटनाओं पर उबल पड़े
देशभर में होने वाली ईव टीजिंग की घटनाओं पर छात्राओं ने एक के बाद एक अपनी बात कहनी शुरु कर दी। किसी ने अपना खुद का दर्द बताया तो कोई छोटी बच्चियों के साथ होने वाली घटनाओं पर उबल पड़ा। इनमें सबसे ज्यादा गुस्सा पुलिस और प्रशासन के रवैए को लेकर भी रहा। छात्राओं ने दो टूक कहा कि आगामी चुनावों में लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी प्रमुख होगा। इसको लेकर पिछले काफी अरसे से बातें होती हैं। लेकिन कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं बन पा रहा है। दिल्ली हो या फिर देश कोई अन्य हिस्सा, आज भी ग‌र्ल्स सेफ्टी के मामले में चीजें बहुत सही नहीं हो सकी हैं।

इंटरनेट का मिसयूज भी जिम्मेदार
छात्राओं ने विशेष तौर पर रेप की घटनाओं को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया। कहा कि देश में रेप की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इसके लिए उन्होंने सोसायटी की सोच को जिम्मेदार तो ठहराया ही, साथ ही टीवी और विज्ञापन के माध्यमों से परोसे जाने अश्लील सामग्रियों को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। छात्राओं ने कहा कि इंटरनेट की बढ़ती फैसेलिटी ने बड़ों को तो अपनी चपेट में लिया है। बच्चों पर भी इसका बहुत खराब असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कम उम्र के लड़के और लड़कियों को मोबाइल से दूर किए जाने की तत्काल जरूरत है। क्योंकि, इसके चलते अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। देश में रेप की घटनाओं पर रोक के लिए और सख्ती से कदम उठाए जाने की जरुरत पर छात्राओं ने खासा बल दिया।

कड़क मुद्दा
टी-प्वाइंट डिस्कशन में ईव टीजिंग और वुमन एम्पावारमेंट सबसे गर्मागर्म मुद्दा रहा। छात्राओं का कहना था कि यदि हमें वास्तव में वुमन एम्पावरमेंट के सपने को साकार बनाना है तो इसके लिए छेड़छाड़ जैसी घटनाओं पर शिकंजा कसना होगा। इसके लिए जरूरी है कि लड़कियों को सड़क पर तो सुरक्षा प्रदान की ही जाए। उन्हें उनके घर में भी उतना ही मजबूत बनाया जाए, जिसकी बात हम बड़े-बड़े मंचों पर किया करते हैं।

मेरी बात
स्कूल्स में महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो संगोष्ठी और सेमिनार का आयोजन किया जाता है। उसमें जो बातें बताई जाती हैं। उससे केवल छात्र-छात्राएं ही परिचित हो पाते हैं। लेकिन जब इसके अमल में आने का समय आता है तो माता-पिता का इसमें अहम रोल हो जाता है। बेहतर होगा कि माता-पिता को भी ऐसे कार्यक्रमों में भागीदार बनाया जाए।
- प्रियंका राय

डिस्कशन में छात्राओं ने सरकार द्वारा रोजगार के लिए किए गए काम पर बात रखी। उन्होंने रोजगार को लेकर किए गए काम को संतोषजनक बताया। हालांकि, इसपर नाराजगी भी जाहिर की कि मोदी सरकार में भी बेरोजगारी की समस्या जस की तस बनी हुई है। इनका कहना था कि सरकार ने बहुत कुछ खराब नहीं किया तो रोजगार को लेकर कुछ ऐसा भी नहीं किया है। जिसकी बहुत ज्यादा तारीफ की जाए। छात्राओं ने रोजगार के अधिकार को वक्त की बड़ी जरूरत बताया।

महिला सशक्तिकरण आज के समय में बड़ा मुद्दा है। स्कूल और कॉलेजेस में इसके बारे में बताया तो जाता है। लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही है। बेहतर है कि हम किताबी बातों से हटकर कुछ जमीनी स्तर तक करने की कोशिश करें।
- शबनम

 

 

महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर एक तरह से मजाक किया जा रहा है। नेता बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर ऐसी घटनाओं के होने पर वहां जाकर हाल-चाल लेना तक जरूरी नहीं समझते। इस स्थिति में तत्काल बदलाव की जरुरत है।
- मुसर्रत जहां

सड़क पर हर आंख हमें घूरती है। कोई भद्दे कमेंट पास करता है तो कोई इशारे करने से बाज नहीं आता। हालत यह है कि थाने तक जाकर शिकायत करने की हिम्मत भी हम नहीं जुटा पाते। क्योंकि, वहां का रिस्पांस भी अच्छा न होने का फीडबैक सोसायटी में है।
- सुप्रिया त्रिपाठी

हिम्मत जवाब दे जाती है, जब किसी को ईव टीजिंग का सामना करना पड़ता है। लड़के तो छेड़छाड़ की घटनाओं में शामिल ही हैं, बीते कुछ समय में यह प्रचलन तेजी से बढ़ा है कि अब 50 साल की उम्र पार करने वाले भी इसमें शामिल हैं।
- आस्था द्विवेदी

आज ईव टीजिंग की समस्या पूरे देश में है। इससे पार पाना मुश्किल साबित हो रहा है। केवल लड़कियों के साथ ही नहीं महिलाओं को भी इसे फेस करना पड़ रहा है। जरूरी नहीं कि केवल शारीरिक छेड़छाड़ ही इसमें शामिल हो। छेड़खानी के और भी तरीके हैं। जिन्हें रोकना मुश्किल होता है।
- तंजीम

ईव टीजिंग के लिए कुछ हद तक लड़कियां भी जिम्मेदार हैं। पहनावे की छूट के नाम पर ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए। जिससे ऐसी घटनाओं को निमंत्रण मिले। किसी भी ईव टीजिंग के मामले को रोकने के लिए आपकी शारीरिक भाषा और बोलचाल भी महत्वपूर्ण होता है।
- अंतिमा त्रिपाठी

प्रशासन को घटनाओं से जुड़े कानूनों के पालन के मामले में भी ईमानदार होना होगा, तब इस समस्या से निजात मिल सकेगी। लड़कियां किसी भी तरह के कपड़े में हों। छेड़ने वालों का मकसद बस एक ही होता है। ऐसे में मेरी नजर में पहनावा उतना इम्पार्टेट नहीं होता।
- अदिति त्रिपाठी

अभद्रता करने वाले करते ही हैं। मुंह पर कपड़ा बांधकर स्कूटी से निकलने वाली लड़कियों का लड़कों द्वारा बाइक से पीछा किया जाता है। ऐसे समय में लड़कियां खुलकर कदम नहीं उठा पाती। इसके पीछे कई तरह का दबाव काम करता है। जिसके चलते उन्हें निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
- सुधा विश्वकर्मा

कानून तो बहुत बनाए गए हैं। लेकिन सोसायटी को बेहतर तरीके से शिक्षित करने की जरुरत है। सोचने वाली बात है कि देश के अलग अलग स्थानो में महिलाओं के लिए माहौल अलग-अलग क्यों है ? इसमें भी एकरूपता लाने के बारे में सोच विकसित करने की जरुरत है।
- राधा विश्वकर्मा

आज यहां राजनी-टी
आज फायर ब्रिगेड चौराहे के बगल में स्थित लेजर ग्रीन गेस्ट हाउस में मिलेनियल्स स्पीक होगी।