- गोरखपुर यूनिवर्सिटी में ऑर्गनाइज राजनी-टी में युवाओं ने रखी अपने मन की बात

- बेरोगजारी, एजुकेशन के साथ ही नेशनल मुद्दों पर भी जमकर चर्चा

Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: चुनावी समर के लिए देश तैयार है। उम्मीद की जा रही है कि मार्च के पहले हफ्ते में इलेक्शन डिक्लेयर हो जाएंगे। इसलिए जहां पॉलिटिकल पार्टी ने अपनी तैयारियां काफी तेज कर दी हैं। वहीं, वोटर्स भी इस बार अपने वोटिंग राइट्स का दिल नहीं बल्कि दिमाग के साथ इस्तेमाल करने को तैयार हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से खास मिलेनियल्स के लिए ऑर्गनाइज 'राजनी-टी' की चर्चा बुधवार को गोरखपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में हुई। रेडियो सिटी से कार्यक्रम का संचालन कर रहे आरजे प्रतीक की मौजूदगी में विधानसभा चुनाव से जुड़े मुद्दों पर खूब चर्चा हुई। इस दौरान वोटर्स ने साफ किया कि यूथ सिर्फ चुनावी मुद्दा होकर रह गए हैं। अब युवा, युवा न रहकर भीड़ बन गया है। जो भी गवर्नमेंट आए, वह युवाओं को युवा ही समझे, चुनावी मुद्दा न बनाया जाए। इस बार यूथ को सिर्फ अपना वोट समझने वालों को वोट के लिए तरसना होगा.

अच्छा काम है तो अागे बढ़ाएं
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए आरजे प्रतीक ने पहले प्रोग्राम की आउटलाइन पेश की और इसके बाद मिलेनियल्स कौन हैं और वह किस तरह देश में बदलाव ला सकते हैं, इसके बारे में जानकारी दी। इसके बाद चर्चा का दौर शुरू हुआ। देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रही लॉ निवेदिता राय ने इसमें सबसे पहले बेबाकी से अपनी बातें रखीं। निवेदिता ने कहा कि ऐसा ट्रेंड सा बन गया है कि नए रिप्रेजेंटेटिव पुराने रिप्रेजेंटेटिव के कामों को तवज्जो नहीं देते हैं। जब भी नए का सेलेक्शन होता है, तो पुराना काम छोड़कर अपना नया काम करने में लग जाते हैं। मगर ऐसा नहीं होना चाहिए। मेरा मानना है कि अगर उन्होंने अच्छा काम किया है और अगर उससे लोगों को फायदा हो रहा है तो उसे और अच्छे तरीके से आगे बढ़ाएं.

कार्यकाल में एक बार ही काम
इस दौरान यह भी बात सामने आई कि अगर किसी सरकार के कार्यकाल में एक बार रोड या पुल बन जाता है, तो उस सरकार की बादशाहत भले ही पूरे पांच साल हो, लेकिन उस काम में वह दोबारा हाथ नहीं लगाना चाहते। कोई सड़क अगर बनी है, तो वह एक बार ही बनेगी। जब नई सरकार आती है, तो उनकी नजर इस पर जाती है और वह उसे बनवाती है, लेकिन पहले की तरह ही वह भी एक बार इसे दुरुस्त कर भूल जाते हैं। किसी भी समस्या का परमनेंट सॉल्युशन लोगों को मिलना चाहिए। न कि एक ही समस्या का समाधान टुकड़े-टुकड़े में हाेना चाहिए.

हम सुरक्षित तभी देश का विकास
अपनी बातें रखते हुए आदित्य पांडेय ने कहा कि आज के दौरान में सोशल और नेशनल सिक्योरिटी जरूरी है। आए दिन जो घटनाएं घट रही हैं, उस पर रोक लगनी चाहिए। हम सुरक्षित रहेंगे तभी हमारा विकास होगा। सुरक्षा ही कुंजी जिससे देश चलता है। इसलिए सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पहले वह देश को सुरक्षित करने के उपाय सोचें, इसके बाद आगे कोई बात कहें।

सिर्फ चुनावी मुद्दे न बनें प्रॉब्लम
लॉ के स्टूडेंट शिव प्रसाद शुक्ला ने कहा कि धारा 370 और 35ए को अब तो हटा ही देना चाहिए, यह हर बार चुनावी मुद्दा बनता है, लेकिन अब तक इस पर काम नहीं हो पाया है। मैं यह चाहूंगा कि यह सरकार मुद्दों को सिर्फ चुनावी मुद्दा न बनाए और लोगों को हर प्रॉब्लम का सॉल्युशन प्रोवाइड कराएं। युवाओं पर ध्यान दे, यह कहा जाता है कि भारत युवाओं का देश है, लेकिन यहां पर सिर्फ यह कहा जाता है। उनके लिए मेरी नजर में कोई खास काम नहीं हो पा रहा है.

पीएचडी वाले को भी मौके का इंतजार
बेरोजगारी दूर करने का उपाय बताते हुए डॉ। शोभित श्रीवास्तव ने कहा कि हायर एजुकेशन में रोजगार के मौके खुद कम किए जा रहे हैं। कुछ ऐसे लोगों को रोजगार दिया गया है, जो रिटायर हो चुके हैं, पहले से ही काफी पीएचडी होल्डर्स पड़े हैं जो बेरोजगार घूम रहे हैं। वहीं, आप जिन्हें हायर कर रहे हैं, पहले तो उन्होंने मोटी तनख्वाह उठाई है और अब पेंशन लेने के साथ ही अलग से पैसा पा रहे हैं, जबकि इससे भी कम पैसा खर्च कर बेहतर पीएचडी होल्डर्स को जॉब दी जा सकती है और बच्चों को नई टेक्नोलॉजी से बेस्ड एजुकेशन दी जा सकती है।

 

 

ऐसी व्यवस्था हो ताकि न जाना पड़े बाहर
देश में टैलेंट की कमी नहीं है। अमेरिका हो, जापान हो या कोई और देश यहां तक कि चाइना भी हमारे यूथ का दिमाग इस्तेमाल कर रहा है। सरकार को इंडिया में काम कर रहे रिसर्च स्कॉलर्स को अच्छी सुविधा देनी चाहिए, वहीं उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वह यहां के यूथ को अच्छी ट्रेनिंग दें। साथ ही जो ब्रिलियंट माइंड वर्क कर रहे हैं, उन्हें देश में ही ऐसी व्यवस्था और ऐसा पैकेज मिल जाए, जिससे कि वह बाहर जाने के लिए न सोचें।

कड़क मुद्दा
यूथ को वह सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उनके लिए बेहतर रोजगार नहीं है। उनके लिए स्किल डेवलपमेंट की अच्छी व्यवस्था नहीं है। जो हैं वह भी कागजों में निपटकर रह गई हैं। यूथ मिनिस्ट्री का नाम है यूथ अफेयर्स एंड स्पो‌र्ट्स मिनिस्ट्री, लेकिन यह भी पूरी तरह से स्पो‌र्ट्स पर ही फोकस होकर रह गई है। यूथ अफेयर का सिर्फ नाम ही रह गया है। इसका कोई कार्यक्रम नहीं होता है। जो होते भी थे, उन्हें बंद किया जा रहा है। यूथ को पहले पुरस्कार दिए जाते थे, राष्ट्रपति के हाथों दिया जाता था, इससे वह मोटीवेट होते थे। मगर अब ऐसा नहीं है। वहीं नेशनल लेवल पर यूथ फेस्टिवल ऑर्गनाइज किए जाते थे, जिसे देश भर से टैलेंटेड लोग इकट्ठा होते थे, यह उनके लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का बड़ा मंच था, लेकिन अब यह सब भी बंद कर दिया गया है।

 

मेरी बात

सरकार जो करना चाह रही है, वह करें, लेकिन वह देश के लिए करें। कोई भी मुद्दा उठाइए, उस पर कड़ी समीक्षा करके उसका रिजल्ट सामने लाया जाए। सिर्फ मुद्दों को चुनाव के लिए इस्तेमाल किया जाना ठीक नहीं है। आज यूथ सबकुछ समझ चुका है, वह जानता है कि कौन से मुद्दे चुनावी है और कौन से मुद्दे है, जिनपर उन्हें वोट करना है। तो पॉलिटिकल पार्टीज को भी यह समझ लेना चाहिए कि अब लॉलीपॉप देने से काम नहीं चलेगा। उन्हें कुछ करके दिखाना होगा।

डॉ। शोभित श्रीवास्तव

 

वर्जन

आर्मी पर्सनल का काम काफी रिस्की होता है। हर वक्त जान पर बनी रहती है, लेकिन उनकी सैलरी देखी जाए, तो काफी कम होती है। पेंशन भी बंद हो चुकी है। सरकार को चाहिए कि उनकी सैलरी में भी इनक्रीमेंट करें, क्योंकि टीचर्स और प्रोफेसर्स की सैलरी तो बहुत ज्यादा है।

- निवेदिता राय

 

कुछ देश ऐसे हैं, जहां सभी को बेसिक सुरक्षा की ट्रेनिंग लेनी जरूरी होती है, यहां भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कि कम से कम सभी लोग अपनी सुरक्षा तो खुद कर सकें। सबसे बड़ी देश की सुरक्षा है।

- रजनी सिंह

 

जो पुलवामा में हुआ है, वह क्यों हुआ, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसकी समीक्षा सरकार को करनी चाहिए। फेसबुक और वाट्सएप पर वायरल होने वाले फेक मैसेजेज को भी रोका जाना चाहिए।

-प्रतिभा सिंह

 

अभी शहीदों को मदद देने के नाम पर भी वसूली शुरू हो चुकी है, सरकार को इसके लिए कदम बढ़ाने चाहिए। लोग फंड लेने के लिए तरह-तरह के नंबर जारी कर रहे हैं और इसके लिंक सोशल मीडिया पर भी लोगों तक पहुंच रहे हैं, इनकी जांच होनी चाहिए और गलत लोगों के खिलाफ एक्शन होना चाहिए।

- राजेश

 

बेरोजगारी की समस्या अब तक जस की तस है। कुछ जगह रोजगार मिल रहे हैं, तो कुछ बड़ी भर्तियां लटकी पड़ी हुई हैं। सरकार को इन्हें जल्दी कंप्लीट करना चाहिए। वहीं लोगों को कैसे रोजगार दिया जा सकता है, इसके बारे में भी सरकार को सोचना होगा।

- राज

 

सभी सरकारों का जोर लोगों को कर्जदार बनाने पर है। जगह-जगह लोग लोन लेकर खड़े हुए हैं। जबकि अब जरूरत यह है कि स्किल को बढ़ावा दिया जाए, इसके लिए योजनाएं चलाई जाएं। स्किल बेहतर हो जाएगी तो इससे यूथ को खुद ब खुद रोजगार मिल जाएगा।

- सौरभ पांडेय

 

जन प्रतिनिधि जिन्हें हम चुनते हैं, पहले उन्हें जनता से बराबर संवाद स्थापित करना चाहिए। उनका काम तो पांच साल बाद नगर आता है। लेकिन अपने पूरे कार्यकाल में वह मिलने वाले फंड को भी यूटिलाइज नहीं कर पाते हैं। इस पर उन्हें सोचना होगा।

- समीर तिवारी

 

आंतकवाद और क्षेत्रीय घटनाओं को रोकना ही सरकार की प्राथमिकताएं होनी चाहिए। क्योंकि जब तक देश वासियों में इसका डर रहेगा, तब तक कोई काम करने की पहल नहीं कर सकेगा, इसका निगेटिव इफेक्ट ही सामने आएगा।

- आदित्य