यह था सीन
कंकरखेड़ा एरिया में श्रद्धापुरी के सामने खिर्वा जलालपुर के रहने वाले आलमगीर उर्फ सोनू पुत्र इदरीश की कबाड़ी की दुकान है। इस दुकान को सोनू ही संभालता था। कभी कभार इसके दो भाई मोनू व अकबर भी बैठते हैं। सोनू के पड़ोस में खड़ौली के रहने वाले इमरान खान पुत्र मुस्तकीम की निटको बैट्री के नाम से दुकान है। वहीं पास में अलीमुद्दीन पुत्र अल्लामेहर की इंडियन इलेक्ट्रॉनिक के नाम से दुकान है। गुरुवार को करीब सवा चार बजे सोनू अपनी दुकान के सामने पांच किलो के बाट को लेकर उसके ऊपर रॉकेट लांचर का सेल तोड़ रहा था.

चुगने पड़े चिथड़े
सोनू के हाथ में हथौड़ा था और पांच किलो के बाट पर रॉकेट लांचर का जिंदा सेल। पड़ोस में इमरान और अलीमुद्दीन बैठे हुए थे। जैसे ही सोनू ने इस सेल से पीतल निकालने के लिए उसकी नोक पर हथौड़ा मारा एक जबरदस्त विस्फोट हुआ। विस्फोट के साथ ही सोनू की बॉडी मांस के चिथड़ों में तब्दील होकर उसकी ही दुकान में पड़ा था। इमरान और अलीमुद्दीन भी चिल्ला रहे थे। दोनों घायल अवस्था में पड़े चिल्ला रहे थे। वहीं सब्जी खरीदने के लिए साइकिल पर खड़े पथौली के उमरदराज के सिर में भी चोट लगी और वह वहीं गिर गया। आसपास मानो भगदड़ का माहौल हो गया.

दूर तक सुनाई दी आवाज
इस विस्फोट के बाद आसपास के लोग इधर उधर भागने लगे। विस्फोट की आवाज थाने तक पहुंच गई थी। कुछ ही देर में पुलिस वाले भी मौके पर पहुंच गए। जहां सोनू की दुकान के बाहर लोगों का दूर तक जमावड़ा लगा हुआ था। अभी लोग इस विस्फोट को समझने में लगे थे कि पुलिस वाले पहुंच गए। जहां पुलिस ने मौके से तीनों घायलों को जिला अस्पताल भेजा और सोनू की बिखरी बॉडी को समेटा। घटना की जानकारी के बाद मौके पर प्रशासनिक और पुलिस अमला पहुंचा। साथ में आर्मी के मेजर सेठी भी इस घटना की जानकारी के लिए पहुंच गए.

और भी बड़ा हो सकता था हादसा
जिस दुकान को सोनू ने किराए पर ले रखा था उसके ऊपर भी परिवार रहता है। शुक्र रहा कि वह बाहर इस बम से पीतल निकाल रहा था। अगर दुकान में निकालता तो ना जाने क्या होता। जिस पांच किलो के बाट पर वह इस विस्फोटक को तोड़ रहा था उस बाट के चिथड़े भी उड़ गए थे। जो खोजने से भी नहीं मिले। पुलिस ने इस केस में खासी लापरवाही बरती। जिसमें मौके पर डॉग स्क्वायड तो आई लेकिन कोई विस्फोटक का एक्सपर्ट नहीं पहुंचा। बम डिस्पोजल टीम पहुंची और उसने अपने बस से बाहर की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया.

प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी
पड़ोस में ही प्रेस का ठेला लगाने वाले अखलाक ने इस दृश्य को अपनी आंखों से देखा था। जो अब भी उसकी आंखों में है। उसने बताया कि जब वह इस बम को फोड़ रहा था तो उसने मना किया था, लेकिन सोनू ने उसकी बात नहीं मानी और थोड़े से पीतल के लिए उसने बम पर चोट कर दी। चोट लगते ही ना सोनू का पता चला और ना ही आसपास पड़े कबाड़ का। दुकान के अंदर रखे काउंटर का भी पता नहीं चला कहां गया। सोनू की बॉडी मांस के चिथड़ों के रूप में दुकान के अंदर ड्रम के पास पड़ी थी। जो देख रहा था वही दांतो तले उंगलियां दबा रहा था.

आखिर यह बम आया कहां से
इस बम पर अब सवाल खड़े होने शुरू हो गए। आखिर यह जिंदा बम आया कहां से। स्क्रेप में आया तो जिंदा क्यों था, जिंदा था तो नीलाम कैसे हो गया, किसने यह जिंदा सेल सोनू को थमा दिया? आर्मी वाले हमेशा किसी भी विस्फोट से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। यही इस बार भी हुआ। इस धमाकेदार विस्फोट के बाद आर्मी ने फिर इसकी मौजूदगी को खुद से अलग कर लिया। पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार आगे की कार्रवाई की बात कही गई। वहीं पुलिस का कहना है कि यह कबाड़ी इस जिंदा विस्फोटक को कहां से लाया इसकी जानकारी किसी को नहीं है.