कोलकाता (पीटीआई)। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रमुख और भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने खुलासा किया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने गैर-अनुबंधित और अंडर -19 खिलाडिय़ों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर पेशेवर की मदद से खूब चर्चा की। द्रविड़ ने बुधवार रात मानसिक स्वास्थ्य पर राजस्थान रॉयल्स के वेबिनार के दौरान स्वीकार किया, यह क्रिकेटरों के लिए अनिश्चित अवधि है। ऐसे में वह मानसिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी समस्या

द्रविड़ ने कहा, "यह कुछ ऐसा है जिसे हमने इस लॉकडाउन में देखा (पेशेवरों के माध्यम से खिलाडिय़ों के मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करते हुए)। हमने अनुबंध सूची से बाहर और अंडर -19 खिलाडिय़ों के साथ मिलकर इस विषय पर चर्चा की।' पूर्व भारतीय कप्तान ने आगे बताया, 'एक पूर्व क्रिकेटर के रूप में, मैं वास्तव में मानता हूं कि पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी, क्रिकेट कोचों के पास उन मुद्दों से निपटने की विशेषज्ञता नहीं है, जो इन दिनों कुछ युवाओं के पास हैं। हमारे लिए सही बात यह है कि हम उन्हेंं पेशेवरों के लिए निर्देशित करें और इसे आगे बढ़ाएं।' यह कहते हुए कि मानसिक स्वास्थ्य क्रिकेट में एक मुद्दा रहा है, द्रविड़ ने कहा कि अब इसके बारे में लगातार बातचीत करते हुए खुशी हो रही है। उन्होंने कहा, "यह उच्च दबाव का माहौल है। अतीत में, कोई इसे स्वीकार नहीं करता था लेकिन कुछ खिलाडिय़ों के निश्चित रूप से बाहर आने से इसके आसपास कुछ बेहतर बातचीत हुई है।"

युवाओं के साथ काम करना अच्छा लगता

द्रविड़ कुछ समय से जूनियर क्रिकेटरों पर काम कर रहे हैं, पहले भारत अंडर -19 और इंडिया ए कोच और अब एनसीए प्रमुख के रूप में। टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले द्रविड़ अपने प्रारंभिक वर्षों में इनसिक्योरिटी फील करते थे। यही एक कारण है, उन्हेंं जो झेलना पड़ा वो आज के युवा क्रिकेटरों को न मिले, इसके लिए वह उन्हेंं अच्छे से ट्रेनिंग दे रहे। द्रविड़ ने कहा, 'यह बहुत सारे युवा खिलाडिय़ों के लिए काफी अनावश्यक है, यही कारण है कि मुझे अंडर -19 लड़कों या भारत ए के साथ काम करना बहुत पसंद है। मैं उनके साथ एक तरह की पहचान करता हूं, यह एक ऐसी चीज है जिसे मैंने खुद को एक युवा लड़के के रूप में अनुभव किया है।"

पांच साल फर्स्ट क्लॉस क्रिकेट खेलकर मिली इंट्री

द्रविड़, जो 'भारतीय क्रिकेट की दीवार' माने जाते हैं। क्रिकेट में आने से पहले उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की और एमबीए कर रहे थे। इसके बाद उन्हेंं भारत के लिए चुना गया और उन्हेंं प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक लंबे दौर से गुजरना पड़ा। इस पर द्रविड़ कहते हैं, 'मुझे लगता है कि भारतीय टीम में जाने की कोशिश करना सबसे चुनौतीपूर्ण चरणों में से एक था। मैंने 17 साल की उम्र में फस्र्ट क्लॉस डेब्यू किया मगर मुझे भारत के लिए खेलने के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में लगभग पाँच साल लगे।

क्रिकेट एक जुआ था

भारत के मध्यक्रम बल्लेबाज रहे द्रविड़ ने कहा, 'अगर मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मेरे लिए सबसे कठिन समय तब था, जब मैं भारत के लिए नहीं खेल रहा था। उस वक्त लगता था कि टीम में सलेक्शन नहीं हुआ तो क्या होगा। काफी इनसिक्योरिटी फील होती थी।' द्रविड़ ने कहा कि क्रिकेट पूरी तरह से उस समय उनके लिए एक जुआ था।

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