नई दिल्ली (एएनआई)। टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़, जिन्हें आमतौर पर 'द वॉल' के नाम से जाना जाता है, आज अपना 49वां बर्थडे सेलीब्रेट कर रहे हैं। जब कोई द्रविड़ की सबसे बड़ी पारियों के बारे में सोचता है, तो 2001 में ईडन गार्डन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी 180 रनों की पारी को भूलना नामुमकिन है। बल्लेबाज की इस पारी को अभी भी खेल के सबसे लंबे प्रारूप में सबसे गंभीर पारियों में से एक के रूप में देखा जाता है।

ईडन गार्डन में टीम को जिताया
ऑस्ट्रेलिया इस मुकाबले में पूरी तरह से आगे था और पहला टेस्ट हारने के बाद मैच भारत के लिए जीतना जरूरी था। ईडन गार्डन्स पर ऑस्ट्रेलियाई टीम का पूरा नियंत्रण था क्योंकि उन्होंने भारत को फॉलो-ऑन खेलने पर मजबूर किया। पहली पारी में, ऑस्ट्रेलिया के 445 रन के जवाब में भारत 171 रन पर ढेर हो गया। दूसरी पारी में, भारतीय सलामी बल्लेबाज सस्ते में आउट हो गए और तब द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने मैदान में कदम रखा। किसी ने भी यह अनुमान नहीं लगाया होगा कि यह जोड़ी टीम के लिए 'चमत्कार' करेगी। दोनों बल्लेबाजों ने 376 रन की साझेदारी की। लक्ष्मण और द्रविड़ ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त कर दिया जिसमें शेन वार्न और ग्लेन मैकग्राथ जैसे दिग्गज शामिल थे।

पाक गेंदबाजों की उड़ाई धज्जियां
2004 में रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ उनकी 270 रनों की पारी भी द्रविड़ की बेहतरीन इनिंग्स में से एक है। तीन मैचों की सीरीज 1-1 से बराबरी पर थी और भारतीय टीम पर पाकिस्तान में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीत दर्ज करने का दबाव था। द्रविड़, जिन्होंने पहले दो टेस्ट के लिए कप्तान की भूमिका निभाई थी, को कप्तानी से मुक्त कर दिया गया क्योंकि नियमित कप्तान सौरव गांगुली टीम में लौट आए। इस मैच में द्रविड़ ने शापदार दोहरा शतक जड़ा। मैच की पहली गेंद पर वीरेंद्र सहवाग को पवेलियन भेजा गया और उसके बाद से 'द वॉल' ने मोर्चा संभाल लिया और भारत को जीत भी दिलाई।

हारकर भी जीते राहुल
द्रविड़ की कुछ चुनिंदा पारियों में से एक 2011 में ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ उनकी 146 रनों की पारी है। भारत के बल्लेबाजों की बल्ले से खराब श्रृंखला थी, और अंतिम मैच में टीम 0-3 से पीछे थी। नियमित सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर चोटिल हो गए थे, जिसके चलते द्रविड़ फिर से बल्लेबाजी करने उतरे। भारत नियमित अंतराल पर विकेट खोता रहा, लेकिन द्रविड़ ने मैदान पर कब्जा कर लिया और 146 रनों की नाबाद पारी खेली। उनकी पारी भारत को मैच हारने से नहीं बचा पाई, मगर द्रविड़ ने जिस अंदाज में वो इनिंग खेली, आज भी याद की जाती है।

ऐसा रहा है करियर
द्रविड़ एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने दो 300 से अधिक एकदिवसीय साझेदारियों में भाग लिया है। उन्होंने भारत के लिए 164 टेस्ट, 344 एकदिवसीय और एक टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है। बल्लेबाज ने मार्च 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। उन्होंने 48 अंतरराष्ट्रीय शतकों के साथ अपना करियर समाप्त किया। द्रविड़ ने पिछले साल नवंबर में टीम इंडिया के मुख्य कोच की भूमिका संभाली थी।

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