थोड़े अलग नजर आए:

राहुल गांधी कल दिल्ली में जनता को संबोधित करते हुए थोड़े अलग नजर आए। वह लगातार संबोधन में पीएम मोदी की मिमिक्री भी कर रहे थे। उन्होंने मोदी सरकार के साथ-साथ आरएसएस और भाजपा पर भी निशाना साधा।

नोटबंदी के मामले को:

राहुल गांधी ने अपने भाषण में हाल ही में नोटबंदी के मामले को गंभीरता से उठाया। उनका कहना था कि जैसे अमिताभ बच्चन जी की फिल्मों में डायलॉग होते थे ना वैसे ही आज नरेंद्र मोदी जी डायलॉग होते हैं।

मोदी के मित्रों और अच्‍छे दिन पर राहुल का हमला,जानें भाषण की दस बातें

अब ये कागज हो गए:

राहुल के मुताबिक पीएम आए और बोले ‘देशवासियों… सॉरी, सॉरी माफी चाहता हूं, मित्रों, अपनी जेब में हाथ डालो। सबने अपनी जेब में हाथ डाला। उसके बाद पीएम ने जेब से 500 और 1000 रुपये के नोट निकाल कर कहा अब ये कागज हो गए हैं।

पीछे के दरवाजे पर:

राहुल नोटबंदी के फैसले के बाद हुए हालातों पर बोले कि करोड़ों लोग लाइनों में खड़े थे। ऐसे में सवाल है कि क्या वहां पर किसी भ्रष्ट व्यक्ति को खड़ा हुआ मिला? भ्रष्ट लोग बैंक के पीछे के दरवाजे पर थे।

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विचारधारा बेहद अलग:

राहुल गांधी का कहना था कि सूट-बूट की सरकार की यह विचारधारा बेहद अलग है। यह  ‘राम नाम जपना, गरीब का माल अपना कर रही है। ऐसे में लोगों को इस ओर सोचना होगा। इसके खिलाफ लड़ना भी होगा।

अच्छे दिन कब आएंगे:

राहुल गांधी बोले कि लोग पूछ रहे हैं कि अच्छे दिन कब आएंगे। लोग भरोसा रखे 2019 में कांग्रेस की सरकार से अच्छे दिन आएंगे। यह सरकार आज लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर करने में लगी है।

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रीढ़ की हड्डी तोड़ दी:

पीएम के नोटबंदी वाले फैसले पर राहुल का कहना था कि उन्होंने RBI गवर्नर के पद को मजाक बना कर रख दिया है। इसके अलावा उन्होंने नोटबंदी कर देश अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी।

इस मिशन को भूल गए:

राहुल बोले कि ढाई साल पहले पीएम ने देश की जनता से वादा किया था कि हिन्दुस्तान को स्वच्छ बना देंगे। इसके लिए उन्होंने जनता के साथ खुद भी झाड़ू पकड़ा, लेकिन इसके बाद वह इस मिशन को भूल गए।

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हम तुम्हारे साथ:

इसके बाद मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया की ओर बढ़े, लेकिन कुछ बदलाव नहीं दिखा। इसके साथ उनका कहना था कि आरएसएस और भाजपा की विचारधारा है कि डरो और डराओ। जबकि कांग्रेस की ‘डरो मत, हम तुम्हारे साथ हैं।’

मीडिया पर दबाव बनाए:

राहुल बोले कि मोदी सरकार आज मीडिया को दबाव में रखे हैं। कई मीडिया वाले उनसे इसकी शिकायत भी करते हैं कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दौर में मीडिया खुलकर बोलती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है।

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