-आज पेश होगा रेल बजट, पिछली घोषणाओं की तरह कहीं धुल न जाएं उम्मीदें

-अभी तक जमीन पर नहीं उतरी हैं पिछली घोषणाएं, फिर भी अच्छे दिनों की आस बरकरार

VARANASI:

रेल बजट में वाराणसी के लिए घोषणाएं तो बड़ी बड़ी हुई। लेकिन सारे के सारे हवा हवाई ही साबित हुए हैं। अब तक बजट में रेलवे ने वाराणसी कैंट स्टेशन कैंपस में बजट होटल, पॉलीटेक्निक, कैंट स्टेशन के यार्ड की री मॉडलिंग, बेस किचन, वाराणसी-औडि़हार रूट का दोहरीकरण, मंडुवाडीह-माधोसिंह-इलाहाबाद सेक्शन का इलेक्ट्रिफिकेशन कराने का लॉलीपाप पकड़ाया जा चुका है। यही नहीं वाराणसी स्टेशन को व‌र्ल्ड क्लास का बनाने की भी घोषणा पिछले रेल बजट में हो चुकी है। लेकिन सब कुछ केवल लोक लुभावन। अब एक बार फिर गवर्नमेंट रेल बजट लाने वाली है तो लोगों की रेलमंत्री से उम्मीदें बढ़ गयी हैं। रेल राज्यमंत्री के लोकल होने के कारण उम्मीदें और बढ़ गयी हैं।

हवा में बजट होटल

बनारस पहुंचने वालों को स्टे करने के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए दो साल पहले रेल बजट में स्टेशन कैंपस में बजट होटल बनाने की घोषणा हुई लेकिन उसका हश्र भी अन्य घोषणाओं की ही तरह रहा। मजेदार बात यह कि इसके लिए कैंट स्टेशन स्थित तांगा स्टैंड खाली कराए लगभग एक वर्ष से अधिक हो गया है। लेकिन यह प्रोजेक्ट अभी तक फाइलों में ही धूल फांक रहा है। अगर बजट होटल बन जाए तो इसमें क्80 रूम्स, बैंक, एटीएम, मेडकिल स्टोर, शॉपिंग सेंटर बन जाएंगे।

कागज पर हो रहा री-मॉडलिंग

कैंट स्टेशन के यार्ड की री-मॉडलिंग पर भी रेल बजट में हुई घोषणा में से एक है। हालांकि इसके लिए फ्0 करोड़ रुपये रिलीज भी हो गए हैं। इसके बावजूद री मॉडलिंग का वर्क अब तक स्टार्ट नहीं हो पाया है। बता दें कि सालों पुराने यार्ड के ट्रैक्स जर्जर हो चुके हैं। इससे इंजन, ट्रेनों के रैक्स व गुड्स ट्रेन आये दिन डिरेल होती रहती हैं। वहीं वाशिंग लाइन के छोटी होने के कारण ट्रेंस की सफाई भी नहीं हो पाती है।

पॉलीटेक्निक का अता पता नहीं

रेलमंत्री ममता बनर्जी ने वाराणसी में पॉलीटेक्नक कॉलेज ओपेन करने की घोषणा की थी लेकिन यह भी अब तक जमीन पर उतर नहीं पाया है। यहां तक कि पॉलीटेक्निक कॉलेज ओपेन करने से रिलेटेड कोई ऑर्डर भी अब तक एनईआर या एनआर में नहीं पहुंचा है। घोषणा हुए धीरे-धीरे दो साल से अधिक हो गए। अब तो पॉलीटेक्निक कॉलेज भी सपने की बात हो गयी। उसका भी कहीं अता पता नही है।

केवल बजट तक बेस किचन

ट्रेंस को पेंट्री कार से मुक्ति दिलाने के लिए स्टेशंस पर बेस किचन बनाने की घोषणा की गयी थी। उसमें कैंट रेलवे स्टेशन का भी नाम था। जहां से ट्रेंस में भोजन की सप्लाई होने वाली थी। इससे ट्रेंस में आग की घटनाओं को रोकने का तर्क दिया गया था। बेस किचन तो दूर प्लेटफॉर्म नंबर पांच पर स्थित भोजनालय किसी कंपनी को पकड़ा दिया गया। इससे लगता है कि अन्य प्रोजेक्ट की तरह बेस किचन भी ठंडे बस्ते में चला गया है। अब तो बेस किचन बनेगा या नहीं इसका जवाब भी कोई देने वाला नहीं है।

जमीन पर उतर नहीं पाया व‌र्ल्ड क्लास

ममता दीदी से पहले के रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने वाराणसी को व‌र्ल्ड क्लास का स्टेशन बनाने की घोषणा की थी। यह प्रोजेक्ट अभी तक जमीन पर उतर नहीं पाया है। योजना फाइल में ही बंद है। हालांकि ऑफिसर्स के मुताबिक व‌र्ल्ड क्लास के भ्0 स्टेशंस में वाराणसी भी शामिल है। यह कब तक बन पाएगा? यह बता पाना मुश्किल है। देखना होगा कि नए रेल बजट में इसको कुछ तवज्जो दिया जाता है या नहीं।

नहीं दौड़ी अहमदाबाद एक्सप्रेस

पिछले रेल बजट में वाराणसी-दिल्ली- अहमदाबाद एक्सपे्रस ट्रेन चलाने की घोषणा की गई थी। यह ट्रेन अब तक पटरी पर नहीं दौड़ पायी है। वहीं वाराणसी- बंगलुरु की भी लंबे समय से डिमांड की जा रही है लेकिन अभी तक इसकी घोषणा तक नहीं हुई है। जबकि हर बजट में इसकी उम्मीद लगायी जाती है। अब एक बार फि रेल बजट आने वाला है तो बनारस की पब्लिक उम्मीद भरी निगाहों से गवर्नमेंट की ओर देख रही है।

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बुलेट ट्रेन के लिए हुआ सर्वे

रेलवे ने बनारस के लिए भले बड़ी बड़ी योजनाओं की घोषणा की हो। लेकिन अभी भी यह सिलसिला थमा नहीं है। एक बार फिर वाराणसी कैंट से नई दिल्ली के बीच बुलेट ट्रेन चलाने के लिए सर्वे किया है। इसके अलावा इस रूट पर प्रीमियम ट्रेन को भी दौड़ाने का आकलन किया गया है। सवालों के बीच तर्क दिया गया है कि जब शिवगंगा और विभूति जैसी सुपरफास्ट ट्रेन फर्राटे भर सकती है तो बुलेट क्यों नहीं? कुछ भी हो बजट में यदि इसकी घोषणा होती है तो यह बनारसियों के लिए बड़ी राहत होगी।

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बजट से उम्मीद

-वाराणसी-बंगलुरू के बीच सुपरफास्ट ट्रेन

-गंगा कावेरी का डेली ऑपरेशन

-रामेश्वरम एक्सप्रेस वीक में तीन दिन चलाने की मांग

-नई दिल्ली को दूरंतो, प्रीमियम व बुलेट ट्रेन

-मंडुआडीह-हरिद्वार सुपरफास्ट ट्रेन

-रेलवे टूरिज्म पर मुहर

-मास्टर प्लैन के लिए फंड

-बंगलुरु गोरखपुर को मऊ तक चलाने की घोषणा

-मथुरा-इलाहाबाद को मंडुआडीह तक चलाने की मांग

-मंडुआडीह-औडि़हार-छपरा रूट का इलेक्ट्रिफिकेशन

-वाराणसी-औडि़हार-गाजीपुर का दोहरीकरण

इस बार के रेल बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। कम से कम पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के कारण यह उम्मीद तो जायज है। नयी गवर्नमेंट भी केवल लॉलीपाप ही पकड़ाती है या कुछ हकीकत में करती है देखना होगा।

संजय सिंह, पैसेंजर

इधर कई सालों से केवल सपना ही दिखाया जा रहा है। बजट में केवल बड़े बड़े सपनों की घोषणाएं हो रही हैं और फिर उसे भुला दिया जाता है। अब एक बार फिर बजट की बारी है तो सपना नहीं हकीकत की उम्मीद जगी है।

मनोहर लाल, पैसेंजर

जिस हिसाब से कैंट स्टेशन पर पैसेंजर्स का फ्लो है, वैसे में यहां एमेनटीज का नामोनिशान नहीं है। बेहतर हो कि रेलमंत्री जो घोषणा करें उसे पूरा भी कराएं। वरना उसका भी हश्र पहले जैसे हुई घोषणाओं की तरह ही होगा।

डॉ। रमेश सिंह, पैसेंजर

रेलमंत्री नयी घोषणा करने की बजाए पहले हुई घोषणाओं को इम्प्लीमेंट करा दें तो अच्छा होगा। क्योंकि रेल बजट में केवल घोषणा करने से कुछ नहीं होगा। इसे जमीन पर भी उतारना जरूरी है।

डॉ। सुनील मिश्रा, पैसेंजर