पुरानी करेंसी जमा कराने में फंसे रेलवे के अफसर

>ALLAHABAD/LUCKNOW (12 Aug): नोटबंदी के बाद सरकारी महकमों में पुरानी करेंसी जमा करने में धोखाधड़ी का एक और मामला सामने आया है। इस बार सीबीआई जांच के घेरे में रेलवे के अफसर और ठेकेदारी करने वाली दिल्ली की फर्म है। सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने शनिवार को दिल्ली और इलाहाबाद में आरोपितों के ठिकानों पर छापेमारी की। जिसमें कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए। सीबीआई ने 32 लाख रुपये की पुरानी जमा करने की साजिश में शामिल उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद के तत्कालीन असिस्टेंट डिविजनल फाइनेंस मैनेजर एम एच अंसारी, डिविजनल कैशियर मदन मोहन यादव और दिल्ली के विश्वास नगर की फर्म विशाखा फैसिलिटी मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड व अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में केस रजिस्टर किया है।

सफाई का ठेका लिया था

सीबीआई के मुताबिक दिल्ली की विशाखा फैसिलिटी मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 19 अक्टूबर 2016 को कानपुर रूट की ट्रेन के कोचों की साफ सफाई का तीन साल का ठेका मिला था। 6.42 करोड़ के इस ठेके के लिए कंपनी को पांच प्रतिशत परफार्मेस गारंटी करीब 32 लाख 10 हजार 187 रुपये एक माह के भीतर जमा करना था। कई बार कहने के बाद भी कंपनी ने 16 नवंबर तक ये रकम जमा नहीं की। इस दौरान आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के साथ रेलवे को पुरानी करेंसी जमा करने की छूट मिली थी। इसके बाद तत्कालीन असिस्टेंट डिविजनल फाइनेंस मैनेजर एम एच अंसारी और डिविजनल कैशियर मदन मोहन यादव ने विशाखा कंपनी के लोगों व अन्य से मिलीभगत कर कंपनी से कैश के रूप में 32 लाख 10 हजार 820 रुपये की पुरानी करेंसी रेलवे के सरकारी खाते में जमा करवा दी। इसमें 549 नोट एक हजार के और 5323 नोट 500 के थे। नोटबंदी के बाद होने वाली धोखाधड़ी पर नजर रख रही सीबीआई को विश्वस्त सूत्रों के जरिए रेलवे में अंजाम दिये गये इस गोरखधंधे की जानकारी मिली। एंटी करप्शन ब्रांच के डीआईजी प्रणव कुमार ने इसका केस दर्ज करने के बाद आज दिल्ली और इलाहाबाद में छह ठिकानों पर छापेमारी के निर्देश दिए थे।