रेलवे भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले 4 अरेस्ट

- सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने धरा

- भर्ती परीक्षा आयोजित कराने वाला रेलवे का पूर्व अफसर भी पकड़ा

- निजी एजेंसी के दो पार्टनर व दलाल को भी दबोचा

LUCKNOW :रेलवे रिक्रूटमेंट सेल, इलाहाबाद की ग्रुप डी की भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले चार आरोपितों को राजधानी स्थित सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। इनमें भर्ती प्रक्रिया का जिम्मा संभालने वाला रेलवे का पूर्व अधिकारी भी शामिल हैं। इसके अलावा भर्ती परीक्षा की ओएमआर शीट का मूल्यांकन करने वाली दिल्ली की निजी फर्म के दो पार्टनर व अभ्यर्थियों से साठगांठ कराने वाला दलाल भी सीबीआई की गिरफ्त में आ चुका है। सीबीआई ने चारों को पूछताछ के लिए राजधानी स्थित जोनल मुख्यालय बुलाया था, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

ओएमआर शीट में की हेराफेरी

सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2012 में रेलवे में ग्रुप डी के पांच हजार पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की गयी थी। परीक्षा संपन्न होने के बाद सीबीआई को शिकायत मिली कि परीक्षा के बाद जमा की गयी ओएमआर शीट में भारी पैमाने पर हेराफेरी की गयी है। सीबीआई ने जांच शुरू की तो पाया कि ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी के मुकाबले मूल शीट में ज्यादा सवालों के सही जवाब बाद में भरे गये। सीबीआई ने इसके बाद रेलवे रिक्रूटमेंट सेल, इलाहाबाद के तत्कालीन उप मुख्य कार्मिक अधिकारी बसंत लाल शाह, ओएमआर शीट का मूल्यांकन करने वाली दिल्ली की निजी फर्म एबीएस कम्प्यूटर प्राइवेट लिमिटेड के पार्टनर विनोद कुमार मिश्रा उर्फ सुमित व अनोज कुमार सिंह से गहन पूछताछ की। जांच के दौरान अभ्यर्थियों से खासी रकम लेकर हेराफेरी कराने वाले दलाल सुनील कुमार का नाम भी सामने आया। सीबीआई ने इसके बाद चारों को मंगलवार को राजधानी के नवल किशोर रोड स्थित जोनल मुख्यालय में पूछताछ के लिए तलब किया और गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई के मुताबिक रेलवे का अफसर बसंत लाल शाह ही इस मामले का मास्टरमाइंड था। वह एक साल पहले रिटायर हो चुका है। सीबीआई चारों आरोपितों को बुधवार को राजधानी स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में पेश करेगी।

मूल कॉपी में 150 जवाब सही

सीबीआई ने जब परीक्षा की ओएमआर शीट की मूल कॉपी और कार्बन कॉपी का मिलान किया तो पता चला कि मूल कॉपी में करीब 150 जवाब सही मार्क किए गये है। वहीं उनकी कार्बन कॉपी में केवल दस जगहों पर ही मार्किंग का निशान पाया गया। इसके बाद सीबीआई को यकीन हो गया कि मूल्यांकन करने वाली फर्म ने ही इसमें गड़बड़ी कर कुछ अभ्यर्थियों को अनुचित फायदा पहुंचाने की कोशिश की है। मालूम हो कि विनोद कुमार मिश्रा और अनोज कुमार सिंह बिहार के रहने वाले है। वे करीब आठ साल से दिल्ली में निजी फर्म संचालित कर रहे हैं। वहीं बसंत लाल शाह और सुनील कुमार भी बिहार के रहने वाले हैं। जांच में सामने आया है कि ओएमआर सीट में हेराफेरी के दौरान बसंत लाल शाह वहीं पर मौजूद था।