-भवनों में नहीं लगाए गए हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

-एमडीए के डेढ़ दर्जन हार्वेस्टिंग सिस्टम में से आधे खराब

आई कन्सर्न

मेरठ: शहर के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम न होने कारण वर्षा का जल सड़कों पर बहकर बर्बाद हो रहा है। मानसून में बारिश का जल नाला-नालियों में बहकर बर्बाद हो रहा है। वर्षा जल के नुकसान के पीछे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का न होना है।

प्रशासन नहीं सजग

एक ओर जहां प्रशासन जल संरक्षण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सख्ती से लागू करने की बात करता है, वहीं, दूसरी ओर प्रशासन और सरकारी विभागों द्वारा ही भूजल बचाओ अभियान के खिल्ली उड़ाई जा रही है। शासन की सख्ती के बाद भी प्रशासन ने सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं और यदि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए भी गए हैं तो वो मेंटीनेंस के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को सख्ती से लागू कराने के लिए शासन ने मेरठ विकास प्राधिकरण को रेग्यूलेटरी एजेंसी बनाया है। ग्रुप हाउसिंग को छोड़कर 300 वर्ग मीटर एवं अधिक के क्षेत्रफल के समस्त उपयोगों के भूखंड़ों में रुफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग कम्प्लसरी है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि एमडीए खुद ही सारी प्लानिंग की धज्जियां उड़ा रहा है। ऐसा तो तब है जब एमडीए पूरे शहर को मानकों की दुहाई देकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग लागू करने के लिए कहता है।

दफ्तर में खराब पड़ा सिस्टम

मेरठ विकास प्राधिकरण के दफ्तर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सालों से खराब पड़ा है। खराब सिस्टम जहां अफसरों की लापरवाही का दर्शाता है, वहीं इस बात को भी बता रहा है कि जल बचाने को लेकर रेगुलेटरी एजेंसी कितनी गंभीर है। प्राधिकरण के रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सालों से साफ नहीं किया गया है। जिसके चलते उसमें कूड़ा करकट भर गया है। हालांकि एमडीए अफसर सिस्टम को ठीक होने का दावा करते हैं।

खराब पड़े 16 हार्वेस्टिंग सिस्टम

मेरठ विकास प्राधिकरण ने लाखों खर्च कर अपनी आवासीय योजनाओं में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए थे। इन हार्वेस्टिंग सिस्टम की संख्या 16 है। चौंकाने वाली बात यह कि जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने मौके पर जाकर इन सिस्टम का निरीक्षण किया तो एक दर्जन हार्वेस्टिंग सिस्टम खराब पड़े मिले। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के इन सिस्टम में कूड़ा जमा है। समस्या का सबसे बड़ा कारण यह है कि एमडीए की ओर से न तो इनका मेंटीनेंस कराया जाता है और न ही इनकी रेगुलर सफाई की जाती है।

लाखों रुपए स्वाहा

एक सामान्य रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर एक से डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है। इसी खर्चे के साथ एमडीए ने अपनी आवासीय योजनाओं में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए थे, लेकिन लाखों की कीमत के ये सारे सिस्टम लापरवाही की भेंट चढ़ गए।

इन योजनाओं में लगे सिस्टम

गंगानगर, शताब्दी नगर, रक्षा पुरम, सैनिक विहार, वेदव्यासपुरी, लोहियानगर, श्रद्धापुरी, मेजर ध्यान चंद नगर आदि।

फाइलों में हो रहा जल संचय

असल में सरकारी नियम कायदों और अर्बन प्लानिंग एक्ट का अनुपालन करने के लिए एमडीए किसी भी इमारत का नक्शा पास करते समय दस्तावेजों में सारी औपचारिकताएं पूर्ण करा लेता है। दस्तावेजों में तमाम एनओसी के साथ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की औपचारिकता भी पूर्ण करा ली जाती है, ताकि नक्शा पास करने में कहीं कोई परेशानी न खड़ी हो। लेकिन इसके बाद एमडीए मौके पर बिल्डिंग का मुआयना करने भी नहीं जाता।

क्या कहते हैं आंकड़े?

-95 फीसदी सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं

-कमिश्नरी और कलक्ट्रेट जैसे दफ्तरों में प्लान पड़ा ठप

-वर्षा जल संरक्षण को गंभीर नहीं सरकारी अफसर

-एमडीए, निगम और आवास। विकास जैसे सरकारी विभाग बने पंगु

-एमडीए के योजनाओं में भी नहीं लग रहे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

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रेन वाटर हार्वेस्टिंग के खराब होने की जानकारी नहीं है। इसको तत्काल प्रभाव से दिखवाया जाएगा। अन्य मामलों में एमडीए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की कीमत वाली एफडीआर बिल्डर से लेकर अपने पास रखता है, जिसको समय आने पर इस्तेमाल किया जाता है।

-सीताराम यादव, वीसी एमडीए