रांची: गुजरात की तरह अपने राजधानी रांची में भी सूरत शहर के माफिक माने जाने वाले अतिमहत्वपूर्ण इलाकों में भी आग का खतरा तेजी मंडरा रहा है. गुजरात के कोचिंग सेंटर में शुक्रवार को हुई भयंकर अगलगी की घटना यहां के कोचिंग सेंटरों में भी दोहरा सकती है. सिटी के हरिओम टावर, सिटी सेंटर, सरकुलर रोड, शहीद चौक प्रताप कार्ड स्टोर बिल्डिंग, जेल रोड, हीनू जैसे इलाकों में कोचिंग सेंटर्स की भरमार है. लेकिन इनमें से ज्यादातर कोचिंग संस्थानों में फायर फाइटिंग का सही इंतजाम नहीं है. आग लगने की स्थिति में जान और माल का बड़ा नुकसान हो सकता है.

हरिओम में हर फ्लोर पर कोचिंग

राजधानी के सरकुलर रोड स्थित हरिओम टावर के ग्राउंड फ्लोर को छोड़ ऊपर के हर फ्लोर पर कई कोचिंग सेंटर्स हैं. यहां हर दिन 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स कोचिंग के लिए आते हैं. चूंकि यह कमर्शियल टॉवर है इसलिए यहां बिल्डर के द्वारा ही फायर फाइटिंग सिस्टम लगायी गयी है लेकिन वह फ्लोर और इस टॉवर में डेलीं आ जा रहे लोगों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं है. लापरवाही ये भी है कि किसी कोचिंग संस्थान ने नॉ‌र्म्स को पूरा करते हुए फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगाया है.

सिटी सेंटर में 50 कोचिंग

क्लब रोड पर स्थित सिटी सेंटर में भी एक ही भवन में 50 से ज्यादा कोचिंग सेंटर हैं. यहां भी स्थिति बिल्डर भरोसे ही चल रही है. किसी भी कोचिंग संस्थान ने अपने यहां फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगाया है. हर दिन इस सेंटर में हजारों बच्चे पढ़ने आते हैं और इनसे फीस और ट्रेनिंग देने के नाम पर लाखों रुपये झटके जाते हैं. इसके बावजूद बच्चों की सुरक्षा और सुविधा का कोई ख्याल नहीं रखा जाता.

छठे, 7वें तल्ले पर हैं संस्थान

शहर में चलने वाले ज्यादातर कोचिंग सेंटर्स छठे और सातवें फ्लोर पर चलाए जा रहे हैं. यहां यदि कोई घटना हो जाए तो आपातकालीन विकल्प तक नहीं हैं. कई भवनों में तो कोचिंग संचालकों ने इंस्टीटयूट के साथ साथ लॉज भी बना रखा है. यह हाल तब है जबकि यहां शहर के विभिन्न इलाकों से हर दिन हजारों की संख्या में बच्चे अपना भविष्य संवारने आते हैं.

फायर ब्रिग्रेड गाड़ी लाना मुसीबत

कोचिंग खोलने की आपाधापी में कई संस्थान संकरी गलियों के मकानों में संचालित हो रहे हैं. जितनी संकरी गलियां हैं, उतनी ही पतली इन मकानों की सीढि़यां हैं. इन्हीं सीढि़यों से हर दिन स्टूडेंट्स को चौथी मंजिल तक जाना होता है. इन गलियों में अग्निशमन की गाडि़यां भी नहीं पहुंच पाती हैं.

एक्सपायर फायर एस्टिंगवशर

कई भवनों में लगे फायर एस्टिंगवशर एक्सपायरी डेट पार कर चुके हैं. इन्हें या तो रिफीलिंग नहीं कराया गया है या टेस्ट ही नहीं हुआ है. कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले दो दर्जन से ज्यादा स्टूडेंट्स से बात करने पर पता चला कि इन संस्थानों में आग से बचाव के लिए न तो प्रॉपर इंतजाम हैं और न ही अग्निशमन यंत्र हैं. यहां तक की पानी की व्यवस्था भी नहीं है. पीने के पानी के लिए नल जरूर हैं. जबकि एक अन्य संस्थान के छात्र ने बताया कि बिल्डिंग में दिखाने के लिए फायर एस्टिंगवशर तो है, लेकिन कब उसकी जांच नहीं हुई है मालूम नहीं.

जुगाड़ से चल रहा विभाग

झारखंड अग्निशमन विभाग में कर्मचारी और पदाधिकारी के टोटल 875 पद स्वीकृत हैं. लेकिन विभाग में 433 पदाधिकारियों और कर्मचारियों के भरोसे ही काम चल रहा है. यानी विभाग में आज भी आधे से ज्यादा 442 कर्मचारियों की कमी है. एक्सपर्ट की भी कमी है. साथ ही जो मैन पावर मौजूद है, वो एग्जिस्टिंग सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि अग्निशमन विभाग जुगाड़ के भरोसे चल रहा है.

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वर्जन

रांची डीसी राय महिमा पत रे को एक ज्ञापन दिया और मांग की कि रांची में जितने भी कोचिंग संचालक हैं उनको अपने यहां 72 घंटे के अंदर फायर सेफ्टी की व्यवस्था कराने के लिए नोटिस जारी किया जाए. यह भी मांग की गयी कि कोचिंग सेंटर ऐसा नहीं करते हैं तो वैसे कोचिंग को बंद किया जाए. रांची में सैकड़ों कोचिंग सेंटर हैं और हजारों बच्चे उसमें पढ़ाई करते हैं पर कोचिंग सेंटरों के संचालक फायर सेफ्टी पर कोई ध्यान नहीं देते.

सुधीर श्रीवास्तव,

भाजपा नेता

सिर्फ टीचर के नाम पर बच्चे को किसी भी जगह के कोचिंग में भेज देना, वह भी बिना जांच पड़ताल किये, एक अभिभावक के लिए किसी भी दृष्टि से सही नहीं है. अभिभावक कॉम्पटीशन के इस दौर में सिर्फ और सिर्फ बच्चे का भविष्य देखने का प्रयास करते हैं, उनकी सुरक्षा व्यवस्था का ख्याल नहीं रख पाते. बच्चे कोचिंग के लिए जहां जाते हैं उस जगह पर सुरक्षा व्यवस्था क्या और कैसी होनी चाहिए, यह जानना जरूरी है

किशोर स्टूडेंट, रातू