सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि हम सभी ऐसा समझते हैं कि वास्तव में सबसे ज्यादा यदि कोई प्रदूषित होता है, तो वह है पृथ्वी, किन्तु हम यह समझ नहीं पाते हैं कि अंतत: हम मनुष्य ही प्रदूषण करके स्वयं अपनी ही कब्र खोदने के निमित्त बनते हैं, क्योंकि प्रदूषण न केवल हमारे स्वास्थ्य को बर्बाद कर देता है, अपितु वह हमारे जीवन की कुल गुणवत्ता को भी बिगाड़ देता है। यह सब तो हुई पर्यावरण प्रदूषण की बातें पर क्या आपको यह पता है कि हम मनुष्य अपने विचारों से वायुमंडल को प्रदूषित करने में भी सबसे अव्वल हैं? जी हां! यह कटु सत्य हजम करना थोड़ा कठिन है, परन्तु यही हकीकत है। कुछ चिकित्सा विशेषञ्जरूाों के अनुसार मानव मस्तिष्क में प्रति मिनट तकरीबन 42 विचार उत्पन्न होते हैं, अर्थात 2520 विचार प्रतिघंटा।

ऐसे हालात में सूक्ष्म स्तर पर हमें 'असीमित विचारों और सीमित समाधान' जैसी असामान्य समस्या का सामना करना पड़ता है, जिसके फलस्वरूप हममें से अधिकांश लोग तनाव और चिंता के शिकार बन जाते हैं। तो क्या इसका अर्थ यह हुआ कि हमारे विचार हमारे मन के अंदर भीड़भाड़ कर रहे हैं? क्या इस समस्या से उभरने के लिए हम केवल ऐसे विचार नहीं कर सकते हैं, जो हमारे मन में सद्भाव और खुली जगह बनाएं? क्योंकि खुली जगह हमारे समक्ष एक खुला क्षितिज और असीमित संभावनाओं के साथ स्वतंत्रता की भावना को निर्मित करती हैं। अत: जितना हम अपने विचारों की गुणवत्ता में सुधार लाएंगे, उतना ही हमारे मन के भीतर शुद्धता और सौहार्दता का निर्माण होगा। इस कठिन लक्ष्य को 'राजयोग' नामक एक सरल तकनीक के साथ प्राप्त किया जा सकता है। राजयोग एक ऐसी क्रिया है, जो हमें न्यूनतम अव्यवस्था के साथ जीना सि१ाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हमारे जीवन में हमें अधिक से अधिक शांति की अनुभूति होती हैं।

यदि हम अपने मन को 'सीमित संसाधनों के साथ' जीने के लिए समझा लें, तो फिर दुनिया की कोई भी चीज हमें परेशान नहीं कर सकती। स्मरण रहे! हमारा उद्देश्य अपने विचारों को दबाने का नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें धीरे-धीरे और स्वाभाविक रूप से अनावश्यक एवं व्यर्थ विचारों से स्वयं को मुक्त कर अपने मन को श्वांस लेने की खुली जगह देनी हैं। इस भागती-दौड़ती जिंदगी के बीच शुरू-शुरू में यह सारी बातें हमें थोड़ा अवास्तविक और अपनी पहुंच से बाहर लगेगी, पर हमारे विचारों की सादगी हमारे जीवन में दृढ़ता और स्पष्टता लाएगी, जिससे फिर समाधान के अनेक दरवाजे खुल जायेंगे और हमारे भीतर सहज शक्ति का नवनिर्माण होगा, जो कुशल निस्पंदन के कार्य द्वारा उच्चतम गुणवत्ता के विचारों को ही हमारे मन के भीतर प्रवेश देने का सफल कार्य करेगी, जिससे हमारा मन सदा स्वस्थ,आनंदित और सदाबहार रहेगा।

-राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज जी

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