- भाइयों को राखी बांधने के बाद की उपवास तोड़ती हैं बहनें

- रक्षाबंधन पर दोपहर पौने दो बजे तक रहेगा भद्रा नक्षत्र, माना जाता है अशुभ

- सूर्पणखा ने रावण को भद्रा नक्षत्र में बांधी थी राखी, हो गया सर्वनाश

Prakashmani.Tripathi@inext.co.in

ALLAHABAD: शनिदेव की बहन भद्रा इस बार रक्षाबंधन पर सभी बहनों के भाई के प्रति प्रेम का इम्तिहान लेंगी। त्यौहार पर दोपहर तक भद्रा नक्षत्र होने के कारण इसके बाद ही भाइयों की कलाई पर राखी सज सकेगी। परंपरा के अनुरूप इस अवधि तक बहनों को उपवास रखना होगा। क्योंकि बहने भाई को राखी बांधने के बाद ही इस दिन कुछ खाती हैं। राखी बंधवाने का शुभ मुहूर्त दोपहर पौने दो बजे के बाद शुरू होगा। इसके पूर्व भद्रा काल लगा रहेगा।

क्या है भद्रा नक्षत्र

भद्रा ग्रहों के स्वामी सूर्य और छाया की पुत्री है और शनिदेव की बहन है। ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे बताते हैं कि इसी कारण से शास्त्रों के अनुसार इनकी दृष्टि को क्रूर माना जाता है और भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है। एक किवदंती है कि सर्वप्रथम सूर्पणखा ने अपने बड़े भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांधी थी। जिसके कारण रावण सर्वनाश हो गया।

रक्षाबंधन में रक्षासूत्र का महत्व

रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व है। राखी कच्चे सूत लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चांदी तक की हो सकती है। राखी सामान्यत: बहनें भाई को बांधती हैं, परंतु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित संबंधियों को भी बांधी जाती है।

वैदिक काल से चल रही परम्परा

रक्षा-बंधन का त्योहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्योक्त पुराण में वर्णन है कि देव-दानव युद्ध में दानव हावी होने लगे तो देवगुरु बृहस्पति की सलाह पर इंद्राणी ने अपने पति देवराज इंद्र को अभिमंत्रित रेशम का धागा कलाई पर बांधा। वह सावन पूर्णिमा का दिन था। आस्था है कि इसी धागे की मंत्रशक्ति से इंद्र ने दानवों पर विजय पाई। तब से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। स्कंद पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में भी रक्षाबन्धन का प्रसंग मिलता है। प्रसंग के अनुसार दानवेंद्र राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग छीनने का प्रयत्‍‌न किया तो इंद्र सहित सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान ने वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान ने तीन पग में सारा आकाश, पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। वहां बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान के घर न लौटने से परेशान लक्ष्मीजी ने नारद जी की सलाह पर राजा बलि को रक्षाबंधन बांधकर अपना भाई बनाया और भगवान विष्णु को अपने साथ ले आयीं। उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी।

वैदिक रक्षासूत्र (राखी ) बनाने की विधि

इसके लिए 5 वस्तुओं की आवश्यकता होती है

- दूर्वा (घास)

- अक्षत (चावल)

- केसर

- चन्दन

- सरसों के दाने

इन 5 वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी।

इन पांच वस्तुओं का महत्व

दूर्वा : जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सद्गुणों का विकास तेजी से हो। सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ती जाए। दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उसके जीवन का सभी विघ्नों को विघ्नहर्ता गणेश हर लें।

अक्षत : हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे।

केसर : केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं वह वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम न हो।

चन्दन : चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है। उसी प्रकार भाई के जीवन में शीतलता बनी रहे। कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।

सरसों के दाने : सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें। इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान के चित्र पर अर्पित करें। फिर भाई या अन्य संबंधियों को बांधें।

- रक्षाबंधन पर्व पौराणिक समय से चला आ रहा है। अब इसे केवल भाई-बहन के त्यौहार के रूप में प्रचारित किया जाता है। जबकि कोई भी स्त्री राखी अपने भाई, पिता अथवा अपने पति को भी बांध सकती है।

अमित बहोरे

ज्योतिषाचार्य व वास्तुशास्त्री

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राखियों का कार्टून फ्लेवर

पर्व को देखते हुए राखी का मार्केट तैयार है। इस बार भी कार्टून कैरेक्टर मार्केट में छाया है। अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार डोरेमोन जैसे कार्टून कैरेक्टर की जगह मोटू पतलू जैसे कैरेक्टर ने जगह ले ली है। इसके अलावा मार्केट में मोदी राखी की भी डिमांड है। फैशन का ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है। जिसमें मोतियों से बनी राखियों से लेकर कई दूसरी वैरायटी की राखियां मार्केट में मौजूद हैं। ज्वैलरी मार्केट में भी चांदी व सोने से तैयार राखियां व ब्रेसलेट मौजूद हैं।