भाई-बहन का प्यारा त्योहार यानि रक्षाबंधन या राखी श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को अर्थात् इस माह के 26 तारीख को पड़ रहा है। इस वर्ष भद्रा के साए में नहीं होगा रक्षाबंधन। पिछले कई वर्षों से भद्रा का साया रहता था, जिससे समय कम मिल पाता था, किसी वर्ष ग्रहण पड़ जाने से एक दिन आगे पीछे राखी बाँधनी पड़ती थी लेकिन इस वर्ष ऐसा कुछ नहीं है।

व्रती को चाहिए कि उस दिन प्रातः स्नान आदि करके वेदोक्त विधि से रक्षाबंधन, पित्र तर्पण और ऋषि पूजन करें। रक्षा के लिए रेशम आदि का रक्षा बनावें। उसमें सरसों, सुवर्ण, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्व रखकर रंगीन सूत के डोरे में बांधे अपने मकान के शुद्ध स्थान में कलशादि स्थापना करके उस पर उसका यथा विधि पूजन करें। फिर उसे बहन भाई को, मित्रादि परस्पर दाहिने हाथ में बांधें।

शुभ मुहूर्त-

26 अगस्त को रक्षाबंधन पर बन रहा है अद्भुत संयोग,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

प्रातः 5:40 से रात्रि पर्यन्त

रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र   

1. येन बद्धोबलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

   तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

इस मंत्र से रक्षा बाँधने से वर्ष भर तक पुत्र पौत्रादि सहित सभी सुखी रहते हैं।

2. य: श्रावणे विमलमासि विधानविज्ञो

रक्षाविधानमिदमाचरते मनुष्य:।

आस्ते सुखेन परमेण स वर्षमेकं

पुत्रप्रपौत्रसहित: ससुहृज्जन: स्यात।।

कथा

26 अगस्त को रक्षाबंधन पर बन रहा है अद्भुत संयोग,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

एक बार देवता और दानवों में 12 वर्ष तक युद्ध हुआ, पर देवता विजयी नहीं हुए, तब बृहस्पति जी ने सम्मति दी कि युद्ध रोक देना चाहिए। यह सुनकर इन्द्राणि ने कहा कि मैं कल इन्द्र को रक्षा बाँधूंगी, उसके प्रभाव से इनकी रक्षा रहेगी और यह विजयी होंगे। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को वैसा ही किया गया और इन्द्र के साथ संपूर्ण देवता विजयी हुए।

ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र, शोध छात्र, ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

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