रावण हथियार के बल पर और कुसंग ह्रदय के अंदर फैलाता है अंधकार

BAREILLY:

त्रिवटीनाथ मंदिर में चल रहे श्रीराम चरितमानस कथा के तीसरे दिन पं उमाशंकर व्यास ने श्रद्धालुओं को जीवन में संग और तथा कुसंग का महत्व बताया। कथाव्यास ने कहा कि अच्छी संगत से प्रभु मिलते हैं। जबकि कुसंग व्यक्ति का साथ प्रभु के मार्ग से कुमति की ओर ले जाता है। कुसंग रुपी मंथरा के वशीभूत माता कैकई प्रभु के भक्ति के मार्ग से भटक गई थीं। कथाव्यास ने सलाह दी कि जीवन में हमें संगत का ध्यान रहना चाहिए। प्रभु से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि हमें अच्छा संग प्रदान करें ताकि हमारा विवेक और बुद्धि सन्मार्ग पर लगे।

संत-असंत का बताया महत्व

कथाव्यास ने बताया कि हनुमान के संग की वजह से विभीषण को प्रभु श्री राम से मिलन हो पाया था। कहा कि संत भी दुख देता है और असंत भी दुख देता है। परंतु दोनों स्थान पर अंतर यह है कि संत बिछड़ने पर दुख देता है और असंत मिलने पर दुख देता है। तुलसीदास का रचित प्रंसग 'बिछुरत एक प्राण हरि लेही, मिलत एक दुख दारुन देहि' सुनाकर बात को स्पष्ट किया। बताया कि श्रीराम चरितमानस कथा में संत भरत हैं और असंत मंथरा है। रावण, कुंभकरण तो शस्त्र के द्वारा लोगों को बुराई के लिए बाध्य करते हैं परंतु मंथरा ने कैकेई का हृदय में जहर भर दिया। कथा में मंदिर कमेटी के प्रतापचंद्र सेठ, हरि ओम अग्रवाल, संजीव औतार अग्रवाल व अन्य मौजूद रहे।