-माधोबाड़ी स्थित रामायण मंदिर में चल रही रामकथा का हुआ समापन

बरेली: यदि आपको सच्चा आराम चाहिए, तो उस परमपिता परमात्मा की शरण में आ जाओ. आप अनेकों भौतिक संसाधन तो इकट्ठे कर सकते हो, किंतु जो सुख प्रभु की शरण में आने पर मिलता है. उसकी अनुभूति केवल वही व्यक्ति कर सकता है, जो प्रभु राम की शरण में आ गया है. उसका तो वर्णन भी नहीं किया जा सकता. माधोबाड़ी स्थित श्री रामायण मंदिर में चल रही राम कथा के आखिरी दिन चित्र विचित्र ने राम कथा के वर्णन के दौरान ये बातें कहीं.

भाव से करें प्रभु का सुमिरन

कथा के दौरान उन्होंने कहा कि प्रभु सुमिरन भाव से ही करना चाहिए. भाव से किया हुआ सुमिरन जीवात्मा की अनेक बाधाओं को तो दूर करता ही है, यहां तक कि भवसागर से भी पार लगा देता है. प्रभु को उसकी कृपा के जरिए अनुभव करना होता है. इस कलिकाल में ईश्वर का साक्षात्कार शीघ्र ही होता है, आवश्यकता है तो एक करुण एवं भावमयी पुकार की. इस दौरान 'वृंदावन जाने वालों, वृंदावन जाने वालों, बांके बिहारी के नाम मेरा पैगाम ले जाओ'..भजन पर श्रोता झूम उठे.

भगवान तो सिर्फ भाव के भूखे

जीवात्मा को भगवान सेवा तो सौभाग्य से मिलती है. परमात्मा की कृपा के बिना भगवत सेवा प्राप्त नहीं होती है. भगवान तो प्रेम और भाव के भूखे हैं, उन्होंने तो प्रेम से शबरी के जूठे बेर भी खा लिए थे. उन्होंने तो दुर्योधन की मेवा से बने पकवान को छोड़कर विदुर के घर पर भाव से बना साग ही ग्रहण किया. कथा के दौरान भजन गायक जगदीश भाटिया ने भी बाबा चित्र विचित्र के भावपूर्ण भजन का गायन किया. उनके गाए गए भजन 'मैं बुझा हुआ दीया था तेरी बंदगी से पहले'.. को मौजूद श्रद्धालुओं ने पूर्ण आनंद के साथ श्रवण किया. कथा में बाबा चित्र विचित्र ने भी कई भजन सुनाए. कार्यक्रम के अंत में शाम तक भंडारा चला जिसमें सभी ने प्रसाद ग्रहण किया.