Ramzan 2020 : जैसा कि हम सभी जानते है, कोरोना वायरस से जंग के साथ ही पवित्र माह रमज़ान भी शुरू होने वाला है। जिसमे दुनिया भर के मुसलमान रोज़ा रखते है और इबादत करते है। ऐसे समय में ज़रूरत है कि खानपान में अहतियात बरतते हुए दोनों ही परिस्थितियों के बीच सामंजस्य रखा जाए। रोज़ा रखने वालों को सहरी एवं इफ्तार में पोषण का ख्याल रखना होगा जिससे रोग प्रतिरोधक तंत्र मज़बूत रहे। कुछ रिसर्च में यह भी कहा जा रहा है की जिन लोगो की रोग प्रतिरोधक क्षमता जितनी ज़्यादा मज़बूत है, उन लोगों को कोरोनावायरस से से कम खतरा है एवं इससे लड़ने की क्षमता भी उतनी ही अधिक है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी यह बताया गया है की जब तक रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत रहती है, तो रोगाणु शरीर में पहुंचकर भी नुकसान नहीं कर पाते, जिससे बीमारियो का असर शरीर पर न के बराबर होता है और जब ये कमज़ोर हो जाती है तो शरीर रोगाणुओं के आक्रमण को झेल नहीं पाता, जिससे शरीर पर बीमारियों का असर हो जाता है।

खानपान में लापरवाही से कमजोर होती बीमारियों से लड़ने की क्षमता

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह शरीर को बीमार ज़रूर बना सकती है। खानपान में लापरवाही से शरीर में ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है साथ ही शरीर का एनर्जी लेवल भी कम हो जाता है, जिससे हम बहुत जल्दी थकान महसूस करने लगते है तथा बीमार भी जल्दी हो जाते है। ऐसी महामारी के समय हमें दिल, दिमाग़ और पाचन तंत्र को मजबूत करने की ज़रूरत होती है।

ख़मीरा मजबूत करता है रोग प्रतिरोधक क्षमता

यूनानी पद्धति में खमीरा की बहुत अहमियत है, ख़मीरा दिल और दिमाग की शक्ति को बढ़ाता है। ख़मीरा मरवारीद की थोड़ी मात्रा रोज़ाना दूध के साथ लेने से रोग प्रतिरोधक तंत्र मज़बूत होता है एवं इसके नियमित सेवन से पुराना बुखार भी ठीक होता है। शुगर के मरीज़ो के लिए हब-ए- मरवारीद भी आती है। 10 साल के ऊपर 1 गोली एक बार सुबह खानी हैं। 5 साल से कम उम्र के बच्चो को 2 ग्राम, 5-10 साल तक 3 ग्राम 10 साल से ज़्यादा को 5 ग्राम ख़मीरा मरवारीद सुबह एक बार खिलाना हैं। इसी प्रकार ख़मीरा गावज़बां अथवा ख़मीरा आबरेशम भी खा सकते हैं। आब ए अनार, शरबत ए सन्दल, शरबत ए लीमू, मुरब्बा आमला, मा-उल असल (शहद का पानी), मा-उल शईर (जौ का पानी) और तलबीना (जौ के आटे की खीर) भी इसमें लाभदायक होते है।

भोर में खाई जाने वाली सहरी कभी नहीं छोड़ें

भोर में खाई जाने वाली सहरी कभी नहीं छोड़े क्योंकि यह आपके लिए मुख्य भोजन है, जिस पर पूरा दिन आपका शरीर निर्भर रहता है। यह भी ध्यान रखे कि सहरी में गरिष्ठ भोजन खाने से बचना चाहिए। सहरी में सूखे मेवें, तलबीना, दलिया और मौसमी सब्ज़ियों का इस्तेमाल करे। सूखे मेवें खाने से भी रोग प्रतिरोधक तंत्र मज़बूत होता है। सूखे मेवे में मौजूद फाइबर से पाचन तंत्र भी मज़बूत होता है और शरीर को ऊर्जा भी मिलती है। यूनानी में इसे खाने की कई विधियां हैं। इसके लिए बादाम 5-7, काजू 3-5, किशमिश 8-10, पिस्ता 5, अखरोट आधा टुकड़ा लेना है।

पहला तरीक़ा - सारे मेवे को 250 मिली. दूध में पीस कर पिये। दूध मीठा या फीका इच्छानुसार ले सकते हैं।
दूसरा तरीका - सूखे मेवे को भिगो कर पीस लें और सूजी के हलवे में मिला कर खा सकते है। इसे खाने के 15 मिनट बाद ही कुछ और खाये पिएं।
तीसरा तरीका- बादाम को रात भर पानी में भिगो दें और सुबह छिलका उतार कर काली मिर्च के साथ चबा चबा कर सुबह खाली पेट खाये इसे खाने से दिमाग़ तेज़ होता है, स्मरण शक्ति बढ़ती है, बार-बार सर्दी ज़ुकाम नहीं होता और पुराने सर दर्द में भी लाभदायक है। 2 साल तक के बच्चे को 2, 2 से 10 साल तक 3-5 और 10 साल के ऊपर 5-7 बादाम और उतनी ही काली मिर्च खिला सकते हैं।
चौथा तरीका- हरीरा बना कर -सूखे मेवों को दूध या पानी के साथ पीस कर थोड़े से देसी घी से छौका लगाकर सुबह सहरी में खाये। तीन से चार गिलास पानी ज़रूर पिये।

शाम का इफ्तार

शाम के इफ्तार के समय एक गिलास नींबू पानी, शरबत रूहअफजा, शरबत सन्दल से रोज़ा खोले। इससे शरीर मे पानी की कमी नही होगी। खजूर खाये ये ऊर्जा का स्त्रोत है एवं पोषक तत्वों से भरपूर है। एक साथ ज़्यादा मात्रा में नही खाये इससे पाचन तंत्र को नुकसान पहुँच सकता है क्योंकि यह पूरे दिन बंद रहता है, अचानक से इसपर ज़ोर ना डालें। पाचनतंत्र के मज़बूत होने से इन्फेक्शन का खतरा कम होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। ज़्यादा तेल मसाले वाली चीज़ खाने से पेट मे जलन एवं गैस की समस्या हो सकती है, इसे अहतियात के साथ कम मात्रा में ही खाये।

रोज़ा रखने वाली महिलाएं खुराक में कैल्‍शियम जरूर शामिल करें

रोज़ा रखने वाली महिलाओं को अपनी खुराक में कैल्शियम ज़रूर शामिल करना चाहिए। इसके लिए दूध, दही, मठ्ठा, पनीर जैसी चीज़े सहरी और इफ्तार में ले सकती है। ख़मीरा का इस्तेमाल भी कर सकती है।गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं को रोज़ा रखने में अहतियात बरतनी चाहिए। भारत मे रोज़ा लगभग 15 घंटे लंबा हो रहा है, ऐसी महिलाओं को इतने लंबे समय तक भूखा प्यासा रहना मुश्किल पैदा कर सकता है। अपनी नींद पूरी करने का भी ख्याल रखना चाहिए वरना बीमार हो सकते है। मौसमी फलों का सेवन भी अवश्य करना चाहिए। इस प्रकार अपने आहार में सतुंलन और आचार में योग और कसरत को शामिल कर के रोग प्रतिरोधक तंत्र को कमज़ोर होने से बचा सकते है।

जोशांदा देगा आराम

कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर, इस समय खट्टी चीज़ें और आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक जैसे पेय पदार्थ से परहेज़ करना चाहिए ऐसा करके हम सर्दी और खाँसी से बच सकते है। श्वसन सम्बन्धी परेशानियों के लिए जोशांदा (काढ़ा) बहुत लाभकारी होता है, इससे भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसको बनाने का तरीका ये है की 3 काली मिर्च, 5 तुलसी के पत्ते, 1 गिलोय का पत्ता, 2 लौंग, 1 सेमी अदरक का टुकड़ा ले लें, सारी सामग्री कूट कर 1 कप पानी में उबाल लें और सहरी में व इफ़्तार के बाद पिये। बच्चो को पिलाने के लिए इसमें शहद मिला कर दे सकते है।

बदलते मौसम में रखें ध्‍यान

बदलते मौसम में होने वाली कुछ आम बीमारियों का यूनानी पद्धति द्वारा भी इलाज किया जा सकता है, जैसे मामूली सर्दी होने पर तिरयाक़ नज़ला या लऊक सपिस्ता 1 चम्मच गर्म पानी में मिला कर सुबह शाम पीने से आराम मिलता है। सूखी खाँसी होने पर शरबत तूत स्याह, शरबत सदर, शरबत उन्नाब इन तीनो में से कोई एक 3 चम्मच आधा कप गरम पानी में मिला कर सुबह शाम पीना लाभप्रद होता है। बुखार होने पर शरबत खाकसी 3 चम्मच या हब मुबारक 2 गोली या फिर क़ुर्स काफूर 1 गोली सुबह शाम ले सकते है। अर्क़ अजीब पानी मे डाल कर भपारा लेने से बंद नाक, सर्दी और सरदर्द में आराम मिलता है। इसकी बस 1-2 बूंद ही पानी मे डालना है। यह दवाएँ आसानी से यूनानी या हमदर्द फार्मेसी में मिल जाती है। यह सिर्फ जानकारी के लिए है, उपयोग हेतु यूनानी चिकित्सक से परामर्श लें।

डॉक्टर उज़मा सिद्दीक़ी (सीनियर रिसर्च फेलो (यूनानी), क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र (यूनानी), अधीन केन्द्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार), एस एम देव सिविल अस्पताल, सिलचर, कछार, असम

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