नई दिल्ली (एएनआई)। टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग रामायण के चरित्र अंगद को देखकर काफी खुश हुए। रविवार को दूरदर्शन पर पॉपुलर टीवी शो रामायण में अंगद प्रसंग का वर्णन किया जा रहा था। जिसमें वहं राम के दूत बनकर लंका जाते हैं, जहां कोई उनका पैर नहीं हिला पाता। अब जब पैर न हिलने की बारी आई, तो सहवाग की चर्चा होना लाजिमी है। भारत के बेहतरीन ओपनर में से एक वीरू ने पूरी जिंदगी बिना पैर हिलाए क्रिकेट खेला। सहवाग हाथ और आंख के कार्डिनेशन से ही शॉट लगाते थे। दूरदर्शन पर अंगद को देखकर सहवाग को अपनी बैटिंग की याद आ गई।

सहवाग ने अंगद से ली बैटिंग की प्रेरणा

भारतीय बैट्समैन रहे वीरू ने कहा कि उन्होंने रामायण के चरित्र 'अंगद' से प्रेरणा ली है। उन्होंने ट्विटर पर 'अंगद' की एक तस्वीर साझा की और यह भी बताया कि यह चरित्र उनके लिए एक प्रेरणा क्यों है। सहवाग ने ट्वीट किया, "यहां वह जगह है जहां से मैंने अपनी बल्लेबाजी की प्रेरणा ली। पैर हिलाना मुश्किल नहीं नामुमकिन है। अंगद जी रॉक्स।"

क्या है अंगद की कहानी

रामायण की कहानी के अनुसार, यह माना जाता है कि भगवान राम ने अंगद को युद्ध से बचने के लिए एक दूत के रूप में रावण के दरबार में भेजा था। रावण के अहंकार को तोडऩे के लिए, अंगद ने तब रावण के दरबार में सभी योद्धाओं को चुनौती दी कि यदि कोई अपने पैरों को जमीन से उठाने में सक्षम है, तो भगवान राम हार मान लेंगे और छोड़ देंगे। लेकिन किंवदंती यह है, कि कोई भी अंगद के पैरों को नहीं उठा पाया था।

सहवाग का भी ऐसा ही अंदाज

अंगद की तरह ही वीरेंद्र सहवाग भी बैटिंग के दौरान पैर न हिलाने के लिए मशहूर रहे। हालांकि बहुत लोग सहवाग की इसे कमजोरी मानते थे, मगर वीरू ने अपना अंदाज कभी नहीं बदला। एक बार सहवाग ने बताया था कि, कोच ग्रेग चैपल ने उनका फुटवर्क बदलने की कोशिश की थी मगर वो भी कुछ नहीं कर पाए। सहवाग एक दशक तक अपने स्टाईल में बल्लेबाजी करते रहे। सहवाग टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरे शतक बनाने वाले एकमात्र भारतीय हैं। उन्होंने खेल के सबसे लंबे प्रारूप में पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो ट्रिपल सेंचुरी बनाई हैं।

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