व्यापारियों के चंदा देने से मना करने के बाद सिविल लाइंस का राम दल न निकालने का फैसला

prayrgaj@inext.co.in

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अंतिम चरण में है। इसी महीने फैसला आ जाना है। माना जा रहा है कि कोर्ट मंदिर के पक्ष के फैसला देगी। इसके बाद सरकार जनता के सहयोग से शानदार राम मंदिर का निर्माण कराएगी। यह एक पहलू है। दूसरा पहलू यह है कि इन्हीं भगवान राम के लिए प्रयागराज में धन का अकाल पड़ गया है। व्यापारियों ने चंदा देने से मना कर दिया तो तीन सौ साल पुराने राम दल निकालने की परंपरा को पूर्ण विराम देने का फैसला ले लिया गया। व्यापारियों ने तो तय कर लिया है कि वे फ्राइडे को अपनी दुकान का ताला भी नहीं खोलेंगे।

see pg 9

300 साल पुरानी परंपरा पर लग जाएगा ब्रेक

आज निकलना था राम दल, सिविल लाइंस में आज बंद रखेंगे अपने प्रतिष्ठान

pryagraj: सिविल लाइंस में शारदीय नवरात्र के षष्ठी के दिन राम दल निकलना, इस साल इतिहास बन जायेगा। व्यापारियों ने चंदा देने से मना किया तो आयोजकों ने तीन सौ साल पुराने आयोजन को इस साल विराम दे दिया है। व्यापारियों ने ऐलान किया है कि वे इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाएंगे। अपने प्रतिष्ठान बंद रखेंगे और रात में भी दुकानों के बाहर रोशनी नहीं करेंगे।

छोटे व्यापारियों ने हाथ खींचा

सिविल लाइंस में कई मल्टी नेशनल कंपनियों के आउटलेट हैं। सिविल लाइंस में होने वाले किसी भी आयोजन में आम तौर पर इनकी कोई भागीदारी नहीं होती। यहां के बड़े आयोजन रामलीला और राम दल छोटे व्यापारियों के सहयोग से ही निकलते हैं। सिविल लाइंस रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विनोद चंद्र दुबे का कहना है कि रामदल निकालने में दस लाख रुपये तक खर्च आता है। इसकी व्यवस्था चंदा लगाकर की जाती है। छोटे व्यापारी इसमें बड़ा योगदान देते हैं। इस बार उन्होंने साफ मना कर दिया है।

लाइट भी रखेंगे आफ

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सम्पर्क किया तो व्यापारियों ने बताया कि शुक्रवार को अपने प्रतिष्ठान बंद करके के साथ शाम को लाइट ऑन भी नहीं करेंगे। सिविल लाइंस व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुशील खरबंदा ने बताया कि पदाधिकारियों के साथ बैठक में यह निर्णय लिया गया है।

बाक्स

अंग्रेजों को चिढ़ाने के लिए हुई शुरुआत

सिविल लाइंस रामलीला कमेटी के सदस्य आशीष का दावा है कि यहां राम दल निकालने की परंपरा तीन सौ साल पुरानी है। शरद नवरात्रि के षष्ठी के दिन इसे निकाला जाता है। उनका कहना है कि आजादी के पहले सिविल लाइंस अंग्रेजों का गढ़ था। उन्हें चिढ़ाने और भक्ति के जरिये लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए यहां राम दल निकालने की शुरुआत हुई। करीब 35 वर्षो के दौरान यह अपने विशाल रूप में आ गया।

सिविल लाइंस में व्यापार ठप पड़ने लगा है। हाई कोर्ट के नाम पर प्रशासन की सख्ती से व्यापार करना कठिन हो गया है। क्राइसिस के चलते ही रामदल के लिए चंदा न देने एवं षष्ठी के दिन काला दिवस मनाने को फैसला लिया गया है।

सुशील खरबंदा,

अध्यक्ष सिविल लाइंस व्यापार मंडल

छोटे व्यापारियों के सहयोग से ही रामदल का आयोजन भव्य होता था। मल्टीनेशनल कंपनियों के आउटलेट से कोई हेल्प पहले भी नहीं मिलती थी। छोटे व्यापारियों ने भी इस पर हाथ खड़े कर दिये हैं। मजबूरी में इस बार राम दल नहीं निकाला जायेगा।

विनोद चंद्र दुबे

अध्यक्ष, सिविल लाइंस रामलीला कमेटी

शरद नवरात्र की षष्ठी के दिन सिविल लाइंस का रामदल तीन सौ साल से निकाला जाता रहा है। हमारा बिजनेस चौपट हो रहा है तो हम चंदा कहां से देंगे। इसीलिए रामदल नहीं निकालने का निर्णय लिया गया।

आशीष, सिविल लाइंस व्यापार मंडल

क्या चाहते हैं व्यापारी

सिविल लाइंस में दुकानों के सामने तक आने की छूट कस्टमर्स को दी जाय

दुकान के सामने से गाडि़यों को टोचन करके न ले जाया जाय। उनका चालान न हो

दबाव में अफसर

सिविल लाइंस में मल्टी स्टोरी पार्किंग होने के बाद भी पब्लिक अपने वाहन सड़क किनारे खड़े करती है

इससे सुबह से लेकर शाम तक लम्बा जाम लगता है

हाई कोर्ट ने इसे नोटिस लेकर डीएम और पीडीए वीसी को आदेश दिया था कि वे सिविल लाइंस में पार्किंग के बाहर कोई वाहन पार्क न करने दें

प्रशासन ने इसी के चलते सिविल लाइंस के आसपास के एरिया की स्ट्रीट फूड शॉप को भी आउटर एरिया में शिफ्ट करा दिया है

अफसर कहते हैं कि हाई कोर्ट का आदेश है, हम हेल्पलेस हैं