एक्सक्लुसिव न्यूज
BAREILLY: रामगंगा नदी की मछलियां खाने से कैंसर हो सकता है। नदी का पानी इतना जहरीला हो चुका है कि मछलियां उसके प्रभाव से नहीं बच पा रही हैं। उनके शरीर में ऐसे रासायनिक तत्वों की अधिकता हो गई है, जो कैंसर के कारक हैं। इस बात का खुलासा बरेली कॉलेज से रिटायर प्रोफेसर डॉ। डीके गुप्ता ने अपने शोध में किया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन, पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड समेत केंद्र और राज्य सरकार को फारवर्ड कर दी है। क्या कहता है रिसर्च पढि़ए
मछलियों के शरीर में 'जहर'
रिसर्च टीम ने मछलियों की जांच की। टीम ने मुरादाबाद में कटघर और दसवा घाट व बरेली के चौबारी घाट की मछलियों की जांच की। करीब 90 परसेंट मछलियों में कैडमियम, जिंक, कोबाल्ट, आयरन और लेड बड़ी मात्रा में मिला है। रामगंगा नदी के पानी में लेड, कॉपर व निकिल को भोजन समझकर खा रही मछलियां कैंसर से पीडि़त मिली हैं। जिनके सेवन से मनुष्यों में भी यह हानिकारक पदार्थ पहुंच रहे हैं। रिसर्च में संभावना जताई है कि ऐसी मछलियों के सेवन से मनुष्यों में भी कैंसर होने की संभावना 70 परसेंट तक बढ़ जाती है।
रामगंगा में 0.5 एमजी ऑक्सीजन
रामगंगा नदी में टीम को चौबारी पर महज 1 एमजी ऑक्सीजन मिली। जबकि इसकी सहायक नदी नकटिया, देवरनिया, किला के आसपास 0.5 एमजी ऑक्सीजन मिली। बताया कि 1 लीटर पानी में 7 से 8 एमजी आक्सीजन होनी चाहिए, लेकिन शोध में महज 0.5 से 1 या 2 एमजी आक्सीजन मिली। बताया कि पानी का स्टैंडर्ड डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन 4 एमजी से कम होना जलीय जीवों के लिए खतरा है। पानी में बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 3 एमजी प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन रामगंगा में ऑक्सीजन शून्य की ओर और बीओडी हाई रेटेड ग्रोथ पर मिले हैं।
बरेली में सर्वाधिक प्रदूषण
डॉ। डीके गुप्ता ने बताया कि रिसर्च में आरयू की प्रोफेसर डॉ। नीलिमा गुप्ता भी शामिल रही हैं। बीसीबी और आरयू की जीव विज्ञान की ज्वॉइंट टीम ने रिसर्च किया। टीम ने कालागढ़ से कन्नौज तक पांच स्थानों पर पानी की जांच की, जिसमें यह बात सामने आई कि मुरादाबाद से बरेली जिले के आखिरी छोर तक नदी सबसे अधिक प्रदूषित है। दोनों शहर के सीवर, ड्रेनेज और उद्योगों का गन्दा पानी नदी में गिर रहा है जिसने नदी को प्रदूषित किया है। जिसका असर नदी में रहने वाले जन्तुओं पर पड़ रहा है।
रामगंगा में मछलियां
- मांगुर
- झींगा
- साल
- लांची
- सींघी व अन्य
शोध की स्थिति
- कालागढ़ से फर्रुखाबाद तक होगा शोध
- बरेली तक शोध कार्य हो चुका है पूरा
- आरयू के 150, बीसीबी के सौ शोधपत्र प्रकाशित
रामगंगा में प्रदूषण एक नजर में
- 14 लाख शहर की पॉपुलेशन
- 48 लाख जिले की पॉपुलेशन
- 116 शहर में छोटे, बड़े नाले
- 8 बड़े नाले रामगंगा में गिर रहे
- 80 परसेंट गंदगी देवरनिया, किला नदी से
- 20 परसेंट गंदा पानी नकटिया नदी से
- 103 एमएलडी गंदा पानी रामगंगा पहुंच रहा
प्रयास और स्थिति
- 4 सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का बजट मंजूर, निर्माण प्रस्तावित
- 1193 ग्राम पंचायतों का दूषित जल का आकलन नहीं
- 26 संस्थाएं रामगंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को प्रयासरत
मछलियां में लेड, कोबाल्ट, जिंक, कैडमियम आयरन पाया गया है। मछलियां कैंसर से पीडि़त हैं, इनके सेवन से मनुष्यों में भी कैंसर होने की संभावना है। वहीं, रामगंगा में ऑक्सीजन लेवल 0.5 एमजी मिला है, जो जलीय जीवन के लिए खतरनाक है।
डॉ। डीके गुप्ता, रिटायर्ड प्रोफेसर, बीसीबी