- आधी रात भी बाजारों में दिखती है पूरी रौनक

LUCKNOW : रमजान के मुबारक महीने में दिन में सबसे ज्यादा रोशन रहने वाले बाजारों की रौनक आजकल आधी रात भी देखते ही बनती है। तरावीह की नमाज पढ़ने के बाद से यहां की गलियां रौशन होने लगती हैं। शहर में खास कर पुराने लखनऊ का क्षेत्र सबसे ज्यादा रोशन रहता है। इसके अलावा अमीनाबाद, नजीराबाद, कैसरबाग, नक्खास आदि ऐसी मार्केट है, जो पूरे रमजान के महीने में रात भर खुली रहती है।

रातों में बढ़ गई चहल पहल

रमजान के चार रोजे पूरे होने के साथ ही बजारों में रौनक भी बढ़ने लगी है। ईशा की नमाज के बाद से सुबह सहरी के समय तक यहां पर काफी भीड़ रहती है। खानपान का दौर व जमावड़ा सबसे ज्यादा रहता है। यहां पर शाम को लोग अपनी फैमिली के साथ व दोस्तों के साथ आते हैं। रात में जगह-जगह पर खान पान की दुकानें सज गई हैं। जिसमें बिरयानी के साथ सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला नहारी कुल्चे लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। टुंडे कबाब, चौक की नहारी, वाहिद की बिरयानी, आलमगीर के अलावा कई होटलों में रात भर भीड़ देखने को मिलती है।

चाय की दुकानों में जमने लगी महफिल

शहर की गलियों से लेकर सड़कों तक सबसे ज्यादा भीड़ चाय के होटलों पर देखने को मिल रही है। सबसे ज्यादा भीड़ कैसरबाग बस अड्डे के पास चाय की दुकान, अमीनाबाद चौराहे पर लगने वाली कश्मीरी चाय की दुकान, बर्लिगटन चौराहे और दूसरे चाय के स्टालों पर पूरी रात महफिल सजने लगी है।

इन जगहों पर सबसे ज्यादा भीड़

रमजान में सबसे ज्यादा भीड़ नक्खास, चौक एरिया के अलावा अमीनाबाद, नजीराबाद में रहती है। नजीराबाद वाली रोड पर इफ्तार के समय से लगने वाले खानपान के स्टॉल में बिरयानी, रोस्टेड कलेजी, शाही टुकड़े के अलावा कश्मीरी चाय के स्टालों पर सहरी तक खूब भीड़ लगने लगी है। सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या देखने को मिलती है।

'रमजान में तो बात ही अलग है'

तरावीह की नमाज पढ़ने के बाद पूरी रात दोस्तों के घूमने में निकल जाती है। उसके बाद सहरी के समय बिरयानी या नहारी कुल्चे खाकर फर्ज की नमाज पढकर ही वापस घर आते हैं, जो रौनक रमजान के समय होती है, वो किसी भी मौके पर नहीं होती।

मुजीब कुरैशी

रमजान का मौका इबादत के साथ-साथ दोस्तों के साथ वक्त भी गुजारने का समय देता है। रात में उन दोस्तों से मुलाकात हो जाती है, जिनसे आम दिनों में महीनों मुलाकात नहीं होती। अकबरी गेट के कुल्चे नहारी सबसे ज्यादा पसंद हैं। लगभग रमजान के सारे दिन ही नहारी खाने जाता हूं।

गुफरान अहमद

मेरा घर ही चौक में है इसलिए मेरा सबसे ज्यादा वक्त तो घर के बाहर ही खानपान की दुकानों पर गुजरता है। मेरे साथ दोस्त रात में ही नमाज के बाद आते हैं तो उनके साथ मेरा भी पूरा वक्त गुजर जाता है। पुराने लखनऊ में जो रौनक दिखती है, वो और इलाकों में नहीं नजर आती है।

फरदीन खान

'गरीबों का भी रखें ख्याल'

रमजान का महीना सभी मुस्लिमों के लिए सबसे पाक महीना है। इस महीने में अपने आस-पास रहने वाले गरीब लोगों का भी ख्याल करना चाहिए। गरीबों की मदद करनी चाहिए। लोगों की बुराई करने से बचना चाहिए, रोजा रखने के साथ नमाज भी पढ़ना चाहिए। इबादत के साथ रोजे की मान्यता ज्यादा है। रोज किसी ऐसे परिवार को भी इफ्तारी भेजनी चाहिए जो गरीब हो और इफ्तार करने में असमर्थ हो।

सैय्यद नसीम अहमद, उजरियांव

'अखलाक का अच्छा रखे रोजेदार'

रमजान उल-मुबारक की अज्मतों और फजीलातों को बयान करते हुए इमाम-ए-जुमा मौलाना सय्यद कल्बे जव्वाद नकवी ने कहा कि रमजान अल्लाह की रहमतों का महीना है। रोजे की हालत में जरूरी है कि रोजदार अपने अखलाक को अच्छा रखे। रसूल-ए-अकरम अ.स। ने फरमाया है कि जिस वक्त पुल-ए-सिरात पर लोगों के कदम डगमगा रहे होंगे, उस वक्त जिसने माह-ए-रमजान में हुस्न-ए-खुल्क का मुजाहरा किया होगा, वो आसानी के साथ पुल-ए-सिरात से गुजर जाएगा। इसका सबब ये है कि भरे पेट इंसान का मिजाज बेहतर होता है, मगर भूख और प्यास के आलम में वो बदमिजाजी का शिकार हो जाता है। रोजे की हालत में जब भूख और प्यास अपने उरूज पर हो, उस वक्त अच्छे अखलाक का मुजाहेरा करना कमाल की बात है।

मौलाना कल्बे जव्वाद

सुन्नी धर्मगुरु से सवाल

इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के तहत दारुल निजामिया फरंगी महल में रोजेदारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने दिया।

सवाल: मेरे दांत में बहुत तकलीफ है तो क्या रोजे़ की हालत में दांत उखड़वा सकती हूं।

जवाब: हां उखड़वा सकते हैं, शर्त यह है कि हलक़ में दवा और खून जाने का ख़तरा न हो।

सवाल: क्या क़हक़हा (ज़ोर से हंसना) से वुजू टूट जाता है।

जवाब: क़हक़हा से सिर्फ नमाज़ की हालत में वुजू टूटता है, इसके अलावा नही।

सवाल: क्या नाबालिग़ लड़का तरावीह की नमाज़ की इमामत कर सकता है।

जवाब: नहीं, इमामत के लिए बालिग़ होना शर्त है।

सवाल: मस्जिद से कुरान पाक या पारा वगैरा अपने साथ ले जाना कैसा है।

जवाब: जायज़ नहीं है, इसको दोबारा मस्जिद में रख दें या दूसरा रखें।

सवाल: क्या वक्त की तंगी की वजह से तयम्मुम करके नमाज़ पढ़ सकते हैं।

जवाब: नहीं पढ़ सकते हैं।

अपने सवालों के जवाबों के लिए 9415023970, 9415102947, 9335929670 पर फोन कर सकते है।

शिया धर्मगुरू से सवाल

आयतुल्लाह अल उज़मा सैयद सादिक़ हुसैनी शीराज़ी से जारी हेल्पलाइन पर रोजेदारों के पूछे गए प्रश्नों के उत्तर मौलाना सैयद सैफ अब्बास नक़वी ने दिए

प्रश्न: अगर कोई शुगर का मरीज़ रोज़ा रखे और दौराने रोज़ा शुगर चेक करवाये तो क्या हुक्म है।

उत्तर: खून चेक कराने और शुगर चेक कराने से रोज़ा नही टूटेगा।

प्रश्न: अगर कोई व्यक्ति रमज़ान से पहले दस दिन की नीयत से यात्रा पर जाए और कुछ दिन रमज़ान में पड़ें तो क्या रोज़ा रखा जा सकता है।

उत्तर: चूंकि दस दिन की नीयत से आया था इसलिए रोज़ा कस्र नहीं होगा और रोज़ा रखा जाएगा।

प्रश्न: अगर कोई व्यक्ति वज़ू में कुल्ली ना करे या नाक में पानी ना डाले तो क्या उसका वजू सही नहीं होगा।

उत्तर: कुल्ली करना, नाक में पानी डालना ये सब मुस्तहब हैं। अगर कोई नहीं करता है तो उसका वजू सही है।

प्रश्न: अगर नमाज़ खत्म करने के बाद नमाज़ के किसी रूक्न के बारे में शक करे कि वह सही किया या भूल गया है तो क्या हुक्म है।

उत्तर: अगर नमाज़ खत्म होने के बाद नमाज़ के किसी रूक्न के बारे में शक हो तो कोई परवाह नहीं करनी चाहिए।

प्रश्न: रोज़ा कब कस्र होता है और क्या शरायत हैं।

उत्तर: अगर कोई शख्स दस दिन से कम के लिए तकरीबन पचीस किमी। से ज्यादा जाए दूसरे शहर तो उसका रोज़ा कस्र होगा और नमाज़ भी कस्र होगी।

दीनी मसअला जानने के लिए नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क करें: सुबह 10 से 12 बजे तक हेल्पलाइन नंबर -9415580936, 9839097407, 9335280700