RANCHI : रांची पुलिस ने बादशाह गिरोह के मास्टरमाइंड जितेंद्र कुमार महतो उर्फ रवि और उसके सहयोगी विजय गोप को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उन दोनों के पास से एक देसी कट्टा, दो जिंदा कारतूस और गैंग से संबंधित पांच सादा पर्चा बरामद किया है। जितेंद्र के खिलाफ हत्या, भयादोहन और रंगदारी के कई मामले कर्रा और नगड़ी थाने में दर्ज हैं। पुलिस को लंबे समय से इन अपराधियों की तलाश थी। इनके पकड़े जाने से कई अहम आपराधिक कांडों के खुलासे हो सकते हैं।

अपराधी अर्जुन को मारी थी गोली

एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने बताया कि इस साल तीन अगस्त को कुख्यात अपराधी अर्जुन ठाकुर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को बादशाह गैंग के जितेंद्र ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर अंजाम दिया था। इस मामले में पुलिस को जितेंद्र की तलाश थी। इसके लिए हेडक्वार्टर टू डीएसपी संदीप गुप्ता के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया। इस टीम में धुर्वा इंस्पेक्टर सुबोध श्रीवास्तव, बेड़ो थाना प्रभारी बिंदेश्वरी दास व नगड़ी थाना प्रभारी अजय कुमार सिंह शामिल थे। तीन दिनों से यह टीम बादशाह गिरोह के अपराधियों की तलाश कर रही थी। इस बीच पुलिस को सूचना मिली कि रंगदारी वसूलने के लिए जितेंद्र महतो आने वाला है। ऐसे में पुलिस ने छापेमारी कर जितेंद्र और उसके एक सहयोगी को हथियारों के साथ दबोच लिया।

पीएलएफआई के लिए भी कर चुका था काम

कुख्यात अपराधी जितेंद्र महतो पहले पीएलएफआई के लिए काम करता था। वह इस संगठन के लिए लेवी वसूली करता था, लेकिन बाद में उसने पीएलएफआई से नाता तोड़कर बादशाह गैंग के नाम से अपना गिरोह बना लिया। पूछताछ के दौरान उसने पुलिस को बताया कि यह गैंग नगड़ी, ईटकी, बेड़ो, कर्रा, एवं धुर्वा में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता था।

कई हत्याकांडों में था वांटेड

बादशाह गैंग के मास्टरमाइंड जितेंद्र कुमार महतो के खिलाफ सिर्फ बेड़ो थाने में तीन हत्या के मामले दर्ज हैं। वह खूंटी जिले के कर्रा थाना क्षेत्र के लोहागढ़ा का रहने वाला है। नगड़ी में गुडडू अंसारी व बजरंग महतो तथा टाटीसिल्वे के समीर हत्याकांड को बादशाह गैंग ने अंजाम दिया था। यह गैंग रंगदारी वसूली का काम करता था। गैंग में प्रेम बारला, लक्ष्मण, अर्जुन उरांव और विजय गोप चला रहा था। इसमें विजय भी पकड़ा जा चुका है।

अपने ही गैंग के सरगना की ले ली जान

जितेंद्र कुमार महतो उर्फ रवि ने एसएसपी को बताया कि वह पहले अर्जुन ठाकुर गैंग के लिए काम करता था। लेकिन, वारदातों को अंजाम देने के बाद उसे लेवी में काफी कम हिस्सेदारी दी जाती थी। इसी वजह से अर्जुन को मारने का फैसला किया, ताकि अपना गैंग बनाकर रंगदारी वसूली का धंधा चला सकें। हालांकि, अर्जुन ठाकुर जल्दी कहीं नहीं जाता था। उसे हमारे ऊपर पूरा विश्वास था। ऐसे में जब उसे अपने साथ चलने को कहा तो वह तैयार हो गया। इसके बाद नगड़ी स्थित मध्य विद्यालय के चहारदीवारी के अंदर उसकी हत्या कर शव को फेंक कर फरार हो गए।