RANCHI : आयुष्मान भारत की लांचिंग के साथ ही मरीजों का इलाज फ्री में शुरू हो चुका है। इसमें सबसे ज्यादा मरीजों का योजना के तहत इलाज कराकर सदर हॉस्पिटल ने बाजी मार ली है। जबकि रिम्स की रफ्तार भी प्राइवेट हॉस्पिटलों से काफी धीमी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल में ही अधिक से अधिक मरीजों को लाभ दिलाने में प्रबंधन सुस्त पड़ जाएगा तो योजना का हाल क्या होगा?

अब तक 75 मरीजों का इलाज

सदर हॉस्पिटल में इलाज के लिए काफी मरीज आते हैं। इसमें 75 मरीजों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया जा चुका है। इसमें सिजेरियन के अलावा हाइड्रोसील व अन्य आपरेशन शामिल हैं। साथ ही मरीजों को दवाएं भी मुफ्त में उपलब्ध कराई गई। वहीं छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज मरीज आसानी से करा रहे हैं। इसके लिए हॉस्पिटल में पहले से ही व्यवस्था है।

फाइल मेंटेन करने में उलझा रिम्स

रिम्स हॉस्पिटल के सभी विभागों को मिलाकर करीब 1600 मरीज एडमिट हैं। इसमें से अबतक 20 मरीजों को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है। इसके अलावा कई लोगों के आपरेशन और इलाज जारी हैं। लेकिन फाइलों के चक्कर में उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। अगर यही रफ्तार रही तो मरीज को इलाज कराने में पहले की तरह ही पैसे खर्च करने पड़ेंगे या फाइल कंप्लीट होने तक उन्हें इंतजार करना पड़ेगा।

सिर्फ इनडोर के मरीजों को ही कार्ड

योजना के तहत लोगों का गोल्डेन कार्ड बनाने का काम 23 सितंबर से शुरू हो गया था। लेकिन कुछ दिनों बाद ही सभी का गोल्डेन कार्ड बनाने का काम बंद कर दिया गया। अब तो केवल इनडोर में एडमिट मरीजों का ही गोल्डेन कार्ड बनाया जा रहा है। इसके लिए वार्डो में जाकर आयुष्मान मित्र मरीजों का कार्ड जेनरेट कर रहे हैं।

वर्जन

सदर हॉस्पिटल में मरीजों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए हम तत्पर हैं। वहीं प्राइवेट हॉस्पिटलों को भी रजिस्टर्ड करने का काम तेजी से चल रहा है। 20 से अधिक हॉस्पिटलों को इंश्योरेंस क्लेम की अथॉरिटी भी दी गई है। जल्द ही बाकी प्राइवेट हॉस्पिटलों का भी रजिस्ट्रेशन कर दिया जाएगा, ताकि लोग इलाज के लिए कहीं भी जा सकें।

डॉ वीबी प्रसाद, सिविल सर्जन, रांची

हमलोग मरीजों को इस योजना का लाभ देने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। अभी इनडोर के मरीजों का ही कार्ड बन रहा है। चूंकि इलाज के लिए उनका कार्ड बनाना जरूरी है। हमलोग सभी मरीजों का इलाज आयुष्मान के तहत करेंगे। इसके लिए जल्द ही बैठक कर कई अहम निर्णय भी लिए जाएंगे। कुछ मरीजों के इलाज में कागजी प्रक्रिया पूरा करने में समय लग रहा है।

डॉ। विवेक कश्यप, सुपरिंटेंडेंट, रिम्स