RANCHI: बुधवार दिन के 12 बज रहे थे, एक निजी स्कूल के क्लास वन का बुरी तरह पसीने से तरबतर स्टूडेंट रोहित अचानक बेहोश हो गया। उसे आनन फानन में प्रिंसिपल के एयरकंडीशंड रूम में ले जाया गया और जूते मोजे उतारकर उसे होश में लाने को प्रयास किया जाने लगा। उसके परिजनों को भी तत्काल फोन कर रोहित के तबीयत बिगड़ने की जानकारी दी गई। जिसके बाद परिजन भी आनन फानन में स्कूल पहुंचे। तब तक रोहित को होश आ चुका था। परिजन उसे लेकर डॉक्टर के पास गए। कमोबेश हर स्कूल में डेली ऐसे हालात सामने आ रहे हैं। शहर का टेम्प्रेचर 40 डिग्री पार कर चुका है। धूप और ह्यूमिडीटी के कारण लोगों का हाल बेहाल है। हीट वेब के कारण स्कूल के लिए निकल रहे कम उम्र के नौनिहालों की हालत खस्ता हो जा रही है। इसके बावजूद शहर के सारे स्कूल खुले हैं।

नौनिहाल हो जा रहे बेहाल

गंभीर बात यह है कि इस चिलचिलाती गर्मी में भी शहर के प्ले स्कूल खोल दिए गए हैं। 2 साल से 6 साल तक के नौनिहालों को इस तपती गरमी में सुबह स्कूल जाना पड़ रहा है। कई स्कूल दोपहर 1 बजे तक चल रहे हैं। ऐसे में इन छोटे छोटे बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बच्चे बीमार पड़ जा रहे हैं और गार्जियन समझ नहीं पा रहे कि क्या करें।

बारिश से डीसी ने बदला आदेश

11 जून को डीसी राय महिमापत रे ने आदेश निकाला था कि गर्मी के कारण सारे स्कूल 24 जून तक बंद रहेंगे। उसी दिन शाम में महज आधे घंटे तक बारिश हुई। इसके बाद 12 जून को एक बार फिर डीसी ने अपने पूर्व के आदेश को बदल दिया। इसके बाद स्कूलों ने 13 जून से स्कूल चालू कर दिया। लेकिन इस बारिश के बाद बच्चों को कोई राहत तो नहीं मिली, अलबत्ता गर्मी से उनकी परेशानी और बढ़ गई है।

धूप से बचने को बस्ते बने छाता

भीषण गर्मी से परेशान स्टूडेंट्स स्कूल जाते-आते समय अपने बस्तों को ही छाता बनाकर धूप से बचने का प्रयास कर रहे हैं। यह नजारा ज्यादातर स्कूलों में छुट्टी होने के बाद देखा जा सकता है। रिक्शे से आने-जाने के वाले स्टूडेंट्स को भी यह परेशानी झेलनी पड़ रही है। एक रिक्शे में ठूंस-ठूंस कर बैठाए जा रहे स्कूली बच्चे इस दौरान पसीने से तर-बतर हो जा रहे हैं। साइकिल से स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स तो गर्मी की मार से कुछ ज्यादा ही परेशान नजर आ रहे हैं।

ना पंखा, ना खिड़की

कई स्कूलों में कूलर पंखे की सुविधा नहीं होने से नौनिहाल भीषण गर्मी में तप जा रहे हैं। तमतमाता सूरज दोपहर मे आंखों को लाल कर दे रहा है। इसके बाद भी स्कूल प्रबंधन स्टूडेंट्स की परेशानी पर ध्यान नहीं दे रहा है। वहीं निजी स्कूलों में सुविधाएं होने के बावजूद छात्र- छात्राओं को सुविधाएं प्रोवाइड न कराये जाने से इन स्टूडेंट्स की हालत खराब हो जा रही है। कई स्कूलों में तो न पंखा है न खिड़की। ऐसी स्थिति में छात्र-छात्राओं का क्लास में बैठना मुश्किल हो रहा है। टीचर्स भी परेशान हैं। जिले के अधिकांश प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों में भी ये हाल है।