- यूजीसी ने जारी किए हैं सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देश

- एडमिशन प्रक्रिया का हिस्सा पेरेंट्स का शपथ पत्र

आई एक्सक्लूसिव

Meerut। रैगिंग रोकने यूजीसी ने सख्ती शुरू कर दी है। अब अगर स्टूडेंट्स किसी के साथ रैगिंग करते हैं तो उनके पेरेंट्स को भी जिम्मेदार माना जाएगा। क्योंकि यूजीसी ने सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देश जारी किए हैं कि वे एडमिशन लेने वाले छात्रों के साथ ही उनके पेरेंट्स से भी एक शपथ पत्र लें। इससे अगर कोई छात्र रैगिंग घटना में शामिल पाया जाता है, तो उसकेपेरेंट्स को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

शपथ पत्र अनिवार्य

यह निर्देश विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के सचिव प्रो। जसपाल सिंह संधू ने जारी किए हैं। साथ ही सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि रैगिंग रोकने के लिए वर्कशॉप करें और पोस्टर लगाकर छात्रों को जागरूक करें कि वे रैगिंग में शामिल होने से बचें। इससे पहले यूजीसी जाति, रंग और धर्म पर फब्तियां कसने को भी रैगिंग की श्रेणी में रख चुकी है। आर्थिक आधार पर मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताडि़त करने को भी रैगिंग माना है। यह प्रावधान यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग अपराध निषेध विनियम 2016 में किए हैं। इसी अधिनियम के तहत छात्रों के पेरेंट्स के लिए भी शपथ पत्र अनिवार्य किया गया है।

दर्ज होगी एफआईआर

अगर किसी संस्थान में रैगिंग की शिकायत आती है, तो एंटी रैगिंग कमेटी उसकी जांच करेगी। शिकायत सही होने पर छात्र को निष्कासित किया जा सकता है। उसके खिलाफ जुर्माना लगाया जा सकता है। रैगिंग की घटना गंभीर है, तो संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने का प्रावधान है।

पीटीएम के निर्देश

यूजीसी ने सभी कॉलेजों को निर्देश जारी किए हैं कि वो अपने कॉलेजों में एडमिशन के बाद पेरेंट्स टीचर मीटिंग का आयोजन करें। इसमें वो सभी पेरेंट्स को शपथ पत्र देकर उनसे ये शपथ लें कि वो अपने बच्चों की गलती के जिम्मेदारी उठाने को तैयार हैं।

यूपी में रैगिंग

साल शिकायत

2015 48

2014 74

2013 80

2012 32

2011 37

2010 33

2009 40

मेरठ में रैंगिंग

2015 2

2014 3

2013 2

2012 1

2011 2

2010 4

2009 2

यूजीसी के निर्देशों का पालन किया जाएगा, इसके लिए कॉलेजों को यूनिवर्सिटी की तरफ से निर्देश जारी किया जाएगा।

-प्रो। एनके तनेजा, वीसी, सीसीएसयू