मंडी पहुंचते ही 60 परसेंट तो बाजारों में 400 परसेंट बढ़ जाते हैं सब्जियों के दाम
-मनमाने रेट लगाकर व्यापारी बेच रहे सब्जियां, बरेलियंस की जेब पर खुलेआम डाला जा रहा डाका
-थोक व्यापारी सिर्फ खर्च जोड़कर तो फुटकर व्यापारी सब्जियों सड़ने के हिसाब से बढ़ाते दाम
बरेली:
सब्जी नाम किसान मंडी रेट बाजार रेट
लौकी 5 8 25
टमाटर 15 20 60
भिंडी 8 15 40
केला 10 15 25
आलू पुराना 7 10 15
आलू नया 12 15 20
परवल 30 40 80
तोरई 6 10 30
फूल गोभी 25 30 60
बंद गोभी 20 25 50
खीरा 20 25 40
कद्दू 4 6 30
शिमला मिर्च 15 22 70
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बरेली: शहर में महंगी बिक रही सब्जियों पर सैटरडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने रियलिटी चेक किया तो चौंकाने वाली बातें सामने निकल कर आई। किसानों से खरीदी गई सब्जियों के दाम मंडी पहुंचते ही करीब 60 परसेंट बढ़ गए तो वहीं फुटकर मार्केट में पहुंचने ही 400 परसेंट तक महंगी हो गई। सब्जियों को लेकर कोई रेट फिक्स न होने से डेली बरेलियंस के जेब पर खुलेआम डाका डाला रहा है, लेकिन सबकुछ जानते हुए भी वे महंगी सब्जी खरीदने को मजबूर हैं। क्योंकि इसके लिए वे कंप्लेन करें तो कहां और किसके पास, यह सबसे बड़ा सवाल है।
महंगी बेचना मजबूरी
मंडी में महंगी सब्जी बेचे जाने को लेकर जब कुछ व्यापारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि वे मंडी शुल्क और दुकान का किराया आदि के खर्च के साथ ही थोड़ा मुनाफा लगाकर सब्जियों का रेट लगाते हैं। इस वजह से किसान से खरीदने के बाद सब्जी महंगी करना उनकी मजबूरी है। लेकिन उनसे खरीदारी के बाद फुटकर मार्केट में सब्जी कितनी महंगी हो रही है, इसके लिए वे जिम्मेदार नहीं है।
सब महंगा तो सब्जी क्यों नहीं
फुटकर मार्केट में चार से पांच गुना सब्जियों के रेट बढ़ाकर बेच रहे व्यापारियों ने बताया कि वे मंडी से सब्जी लाने में लगने वाला रेंट के साथ ही सब्जियों के सड़ने का भी चार्ज लगाते हैं। जिस कारण सब्जी महंगी बेचनी पड़ती है। वहीं कुछ शॉप ओनर्स का कहना कि वह महंगी सब्जी नहीं बेचेंगे तो क्या बचाएंगे। क्योंकि मार्केट में सभी चीजों पर महंगाई है तो सब्जी भी महंगी हो रही।
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मंडी व्यापारियों की बात
-सब्जी देहात क्षेत्र से आ रही है इसलिए मंडी में तो रेट ज्यादा नहीं होते हैं, लेकिन फुटकर मार्केट में जाकर कितने बढ़ जाते हैं इसके लिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं।
लियाकत, थोक व्यापारी
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-यह बात ठीक है कि सब्जी महंगी बेची जा रही है क्योंकि मार्केट में सब्जी के रेट बेचने वाला अपने हिसाब से लगाता है। रेट निर्धारण के लिए कोई टीम नहीं होती है।
फराज, थोक व्यापारी
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- मंडी में जो भी सब्जी आती है, उसे हम लोग किसान से खरीदते हैं या फिर मंगवाते हैं। इसलिए हम उसका खर्च लगाकर व्यापारियों को बेचते हैं। लेकिन फुटकर मार्केट में मनमाने तरीके रेट बढ़ाए जाते हैं। इसके लिए रेट निर्धारित करने चाहिए।
अब्दुल, थोक व्यापारी
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जब सब्जियों की आवक बढ़ती है तो रेट कम हो जाते हैं, लेकिन जैसे ही आवक कम होती है तो उसके रेट कुछ बढ़ते हैं। लेकिन कई बार ऐसे होता है कि मंडी में रेट कम हो जाते हैं, लेकिन मार्केट में नहीं।
फारुख, थोक व्यापारी
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-सब्जी के रेट तो मंडी के हिसाब से ही तय होते हैं इसीलिए हम लोगों को सब्जी खराब निकलने की भी भरपाई करनी होती है। इसीलिए रेट महंगे हो जाते हैं।
रजनीश, फुटकर व्यापारी
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-फुटकर व्यापारी भी नहीं चाहता है कि सब्जी महंगी बेंचे लेकिन, जब कोई दुकानदार सब्जी लेकर आता है तो उसमें खराब भी निकलती है, जो सब्जी बचती उसके रेट और फिर शॉप का भी खर्च तो सब्जी से ही निकालना होता है इसीलिए कुछ रेट महंगे हो जाते हैं।
रामनिवास, फुटकर व्यापारी
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महंगाई ने बिगाड़ दिया बजट
-पहले जितने रुपए में दो से तीन सब्जी मिल जाती थी, लेकिन अब एक ही सब्जी उतने में मिल रही है। अचानक रेट बढ़ने से किचन का बजट ही बिगड़ गया है।
अंजना, हाउस वाइफ
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-हरी सब्जी महंगी होने से लोगों ने यूज करना भी कम कर दिया है। सब्जियों के दाम की निगरानी रखने के लिए कुछ होना चाहिए। ताकि आम पब्लिक पर महंगाई मार न पड़े।
प्रीती, हाउस वाइफ