भुवनेश्वर (पीटीआई)। कोरेाना वायरस ​​महामारी के कारण इस साल सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर रोक लगा दिया है। इस संबंध में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति (एसजेटीएमसी) ने शुक्रवार को कहा कि शनिवार को शंकराचार्य से परामर्श के बाद पुरी में 12 वीं शताब्दी के मंदिर के परिसर के भीतर अनुष्ठान आयोजित करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जाएगा। गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब जो एसजेटीएमसी के अध्यक्ष भी हैं, जो मंदिर के मामलों पर निर्णय लेते हैं ने कहा कि समिति को अब और देरी करने का कोई मतलब नहीं है। मुहूर्त, विद्वानों और पंडितों के परामर्श से अनुष्ठान आयोजित करने के तौर-तरीके तैयार किए जाने चाहिए।

अनुष्ठान आयोजित करने पर अंतिम निर्णय होगा

समिति ने दिन के दौरान अपने सदस्यों के साथ एक बैठक की और बाद में विभिन्न समूहों, पुरी जिला प्रशासन और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। बैठक देर रात तक जारी रही।समिति शनिवार को पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मिलेगी। इससे पहले इनके सानिध्य में ही भक्तों की अनुपस्थिति में मंदिर परिसर के अंदर अनुष्ठान आयोजित करने पर अंतिम निर्णय अक्षय तृतीया और चंदन जात्रा के मामले में भी किया गया था।वहीं शंकराचार्य और सभी सेवकों ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश पर पुनर्विचार करने और इस वर्ष रथ यात्रा को आयोजित करने की अनुमति देने का आग्रह किया है।

पुरी रथ यात्रा पर कोरोना वायरस की वजह से रोक लगी

बता दें कि बीते 18 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की ऐतिहासिक पुरी रथ यात्रा पर कोरोना वायरस की वजह से रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में, ओडिशा के पुरी में इस साल की रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अगर हम इस साल की रथ यात्रा का आयोजन करने देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे। सीजेआई बोबडे ने कहा कि महामारी के दौरान इतनी बड़ी सभा नहीं हो सकती। कोर्ट ने यह आदेश एक एनजीओ द्वारा इस साल की रथ यात्रा को रद करने या स्थगित करने की जनहित याचिका पर दिया है।

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