मुंबई (पीटीआई)। कोरोना वायरस महामारी की वजह से इन दिनों देश की अर्थव्यवस्था पर भी संकट है। इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार से लेकर भारतीय रिजर्व बैंक तक बड़ी-बड़ी योजनाओं का क्रियान्वन कर रही है। इस संबंध में शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक कोरोना के कारण उपजे वित्तीय तनाव को कम करने के लिए बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी की सुनिश्चित करेगा। केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो दर को कम कर दिया। रिवर्स रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके 3.75 फीसद कर दिया है। हालांकि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पहले रिवर्स रेपो रेट 4 फीसद था।

रिवर्स रेपो रेट घटने से बैंकों के पास नगदी ज्यादा होगी

भारतीय रिजर्व बैंक के रिवर्स रेपो दर घटाने से अनुमान है कि अब एफडी, आरडी, बैंक डिपोजिट पर ब्याज कम हो जाएगा तो लोग बैंक में अपना पैसा कम रखेंगे। इसके बदले में लोग अपना पैसा किसी व्यवसाय, सोना, जमीन आदि में लगाना चाहेंगे। वहीं बैंक भी अपनी नकदी को भारतीय रिजर्व बैंक के पास रखने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाएंगे। ऐसे में बैंकों के पास नगदी ज्यादा होगी और वे अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने को प्रोत्साहित होंगे। इस दाैरान रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने और भी कई अन्य उपायों के ऐलान किए हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई ट्रान्च में किए जाने वाले टारगेटेड लाॅन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायेगा।

इन वित्तीय संस्थानों को भी आरबीआई राहत देगा

इसके अलावा नाबार्ड, सिडबी, एनएचबी जैसे वित्तीय संस्थानों को भी आरबीआई राहत देगा। आरबीआई ने इन्हें 50,000 करोड़ रुपये की विशेष वित्तीय सहायता उपलबध कराएगा। केंद्रीय बैंक के कार्यों के परिणामस्वरूप बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी काफी बढ़ गई है। इसके साथ ही यह भी कहा कि आरबीआई काेरोना वायरस के प्रकोप से पैदा होने वाले हालात पर नजर बनाए रखे हुए है। मार्च में निर्यात 34.6 प्रतिशत घटा है, जो 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट की तुलना में कहीं बड़ी गिरावट की ओर संकेत कर रहा है।

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